वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: महिलाएं बन सकेंगी सेना प्रमुख
By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 19, 2020 06:53 AM2020-02-19T06:53:52+5:302020-02-19T06:53:52+5:30
अदालत ने ऐसी 11 भारतीय महिला अफसरों के विलक्षण करतब गिनाए हैं, जिसके द्वारा उन्होंने देश और विदेशों में भारत का नाम रोशन किया है.
सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा क्रांतिकारी फैसला किया है जो भारतीय महिलाओं का सिर्फ फौज में ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्न में महत्व काफी बढ़ा देगा. अदालत ने भारत सरकार की इस परंपरा को रद्द कर दिया है कि महिलाओं को मैदानी युद्ध-कार्य से दूर रखा जाए. महिलाओं को भारतीय फौज में नौकरियां जरूर मिलती हैं लेकिन वे नौकरियां होती हैं प्रशासकीय, डॉक्टर और नर्स की, पायलट की, शिक्षिका की. उनको न तो जमीनी युद्ध के मैदान में उतारा जाता है और न ही उनको फौजी टुकड़ियों का कमांडर बनाया जाता है.
हमारी सरकारों ने इस ब्रिटिश परंपरा को कायम रखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के 2010 में दिए गए एक फैसले के खिलाफ बड़ी अदालत में कई तर्क दिए थे. उसका सबसे वजनदार तर्क यह था कि फौज के ज्यादातर जवान गांवों के होते हैं. वे किसी औरत ऑफिसर के आदेश कैसे मानेंगे? अदालत ने कहा कि यह तर्क बिल्कुल अमान्य है, असंवैधानिक है और देश की महिलाओं का अपमान है. क्या सरकारी वकील को यह पता नहीं है कि दुनिया के 19 देश ऐसे हैं, जिनमें महिलाओं को वर्षो से लड़ाकू भूमिका दी जाती रही है? जिस ब्रिटेन की हम अभी तक हर बात में नकल करते हैं, उसने भी अपनी सेना में 2016 से महिलाओं के लिए सभी द्वार खोल दिए हैं. अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में यह सुविधा महिलाओं को पहले से मिली हुई है. इजराइल और पाकिस्तान-जैसे एशियाई देश भी इस मामले में काफी जागरूक दिखाई पड़ते हैं.
अदालत ने ऐसी 11 भारतीय महिला अफसरों के विलक्षण करतब गिनाए हैं, जिसके द्वारा उन्होंने देश और विदेशों में भारत का नाम रोशन किया है. मैं तो वह दिन देखने के लिए बेताब हूं जबकि कोई महिला भारत की सर्वोच्च सेनापति बनेगी. यदि इंदिरा गांधी अपने आप को एक बेजोड़ प्रधानमंत्नी साबित कर सकती हैं तो कोई महिला सेनापति भी चमत्कारी क्यों नहीं सिद्ध हो सकती? जिस दिन कोई महिला भारत की सर्वोच्च सेनापति बनेगी, उस दिन भारत की हर महिला का मस्तक गर्व से ऊंचा होगा.