वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः श्रीलंका और मालदीव में मोदी
By वेद प्रताप वैदिक | Published: June 10, 2019 07:21 AM2019-06-10T07:21:46+5:302019-06-10T07:21:46+5:30
पहले मालदीव जाकर प्रधानमंत्नी ने यह संदेश दिया कि इस बार उन्होंने अपनी शपथ-विधि में दक्षेस (सार्क) की बजाय ‘बिम्सटेक’ के देशों को बुलाया तो इसका अर्थ यह नहीं कि भारत दक्षेस देशों की उपेक्षा कर रहा है.
दूसरी बार प्रधानमंत्नी बनते ही नरेंद्र मोदी ने मालदीव और श्रीलंका की यात्र की, यह दर्शाता है कि अब भारत पड़ोसी देशों को कितना महत्वपूर्ण मानने लगा है. पहले मालदीव जाकर प्रधानमंत्नी ने यह संदेश दिया कि इस बार उन्होंने अपनी शपथ-विधि में दक्षेस (सार्क) की बजाय ‘बिम्सटेक’ के देशों को बुलाया तो इसका अर्थ यह नहीं कि भारत दक्षेस देशों की उपेक्षा कर रहा है.
मालदीव दक्षेस का सदस्य है, ‘बिम्सटेक’ का नहीं लेकिन मोदी श्रीलंका भी गए, जो दक्षेस और बिम्सटेक दोनों का सदस्य है. दोनों देशों में उन्होंने जो किया, उस महत्वपूर्ण बात पर सबका विशेष ध्यान गया. मालदीव में उन्होंने 17 वीं सदी की ‘शुक्रवार मस्जिद’ के पुनरुद्धार का जिम्मा लिया और श्रीलंका में वे सेंट एंटनी चर्च में गए, जहां आतंकवादियों ने 250 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.
मोदी की इस यात्ना ने दुनिया के सभी मुस्लिम और ईसाई देशों को भारत की दरियादिली और इंसानियत का संदेश दिया. दूसरी बात यह कि इन दोनों देशों में उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना आतंकवाद की भर्त्सना की. तीसरी बात, इन देशों को मदद के नाम पर कर्ज में डुबोने की चीनी चाल को उन्होंने उजागर कर दिया. चौथी, इन दोनों देशों में उन्होंने जो भाषण दिए, उनमें एक वृहद भारत परिवार की सांस्कृतिक एकता की झांकी मिलती है, जो चीन की आर्थिक आक्रामकता के मुकाबले बहुत भारी पड़ती है.
पांचवीं, इन देशों के साथ आर्थिक और सामरिक सहयोग के जो समझौते हुए हैं, उनसे पारस्परिक विश्वास और सहकार बढ़ेगा. मालदीव सरकार ने मोदी को अपना सबसे बड़ा राष्ट्रीय सम्मान भी दिया है. श्रीलंका में मोदी ने विपक्ष के नेता और पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे तथा तमिल नेताओं से मिलकर भी दूरदृष्टि का परिचय दिया, क्योंकि वहां की राजनीति आजकल नाजुक हालत में है. तमिल नेताओं से मिलने और भारतीयों के बीच भाषण देने का असर तमिलनाडु की राजनीति पर भी पड़े बिना नहीं रहेगा. मुझे सबसे ज्यादा खुशी इस बात से है कि मोदी ने दोनों देशों में अपने भाषण हिंदी में दिए.