वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: ओडिशा में महिलाओं को महत्व
By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 13, 2019 07:26 AM2019-03-13T07:26:11+5:302019-03-13T07:26:11+5:30
मैंने तो कुछ साल पहले देश के राजनीतिक दलों से आग्रह किया था कि वे अपनी पार्टी के 33 प्रतिशत पद भी महिला नेताओं को दे दें.
ओडिशा के मुख्यमंत्नी नवीन पटनायक बधाई के पात्न हैं, जिन्होंने घोषणा की है कि वे इस लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के कुल उम्मीदवारों में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं को देंगे. महिलाओं को 33 प्रतिशत सीटें विधानसभाओं और लोकसभा में देने का विधेयक पिछले 25 साल से अधर में लटका हुआ है लेकिन किसी पार्टी में हिम्मत नहीं है कि वह एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दे.
मैंने तो कुछ साल पहले देश के राजनीतिक दलों से आग्रह किया था कि वे अपनी पार्टी के 33 प्रतिशत पद भी महिला नेताओं को दे दें. यदि महिलाएं नेतृत्व में आगे होंगी तो देश की राजनीति में गुणात्मक सुधार होगा और हमारे पड़ोसी देशों को भी प्रेरणा मिलेगी. अभी तो हमारी विधान सभाओं और संसद में 8-10 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं होती ही नहीं हैं.
अब नवीन पटनायक ओडिशा की 21 सीटों में से एक तिहाई सीटों पर महिला उम्मीदवार खड़े करेंगे. जाहिर है कि अन्य दल इन सीटों पर पुरुष उम्मीदवार भी खड़े करेंगे. ओडिशा के इस चुनाव पर पूरे देश की नजरें रहेंगी. कई राज्यों में पुरु षों से ज्यादा महिलाओं ने मतदान किया है. इधर कई राज्यों ने अपनी पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत तक प्रतिनिधित्व दे दिया है.
विधानसभाओं व संसद में महिलाओं का अनुपात बढ़ेगा तो जाहिर है कि मंत्रिमंडलों में भी उनकी संख्या बढ़ेगी. तब इंदिरा गांधी की तरह कई महिलाएं प्रधानमंत्नी बनने की होड़ में रहेंगी और सुचेता कृपलानी, नंदिनी सत्पथी, वसुंधरा राजे, सुषमा स्वराज, उमा भारती, महबूबा मुफ्ती, ममता बनर्जी, मायावती और जयललिता की तरह दर्जनों महिलाएं कई प्रांतों में मुख्यमंत्नी का पद सुशोभित करेंगी. सभी पार्टियों को नवीन पटनायक से सबक लेकर महिलाओं को सत्ता में अधिकार बांटना चाहिए और इस आशय का कानून संसद में बने या न बने, राष्ट्रीय जीवन में तो लागू हो ही जाना चाहिए.