कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉग: राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर टकराव शुरू

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 19, 2019 09:16 AM2019-11-19T09:16:11+5:302019-11-19T09:16:11+5:30

केंद्र सरकार सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में उक्त ट्रस्ट के गठन के लिए विधेयक लाएगी और तभी साफ होगा कि उसका स्वरूप, शक्तियां और सदस्यों की संख्या क्या हैं.

Blog of Krishna Pratap Singh over ayodhya verdict: Confrontation over Ram Mandir Trust | कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉग: राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर टकराव शुरू

कृष्ण प्रताप सिंह का ब्लॉग: राम मंदिर ट्रस्ट को लेकर टकराव शुरू

लंबे अरसे से मंदिर-मस्जिद विवाद का नासूर झेलती आ रही अयोध्या में गत नौ नवंबर को आए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से ही यह सवाल लाख टके का बना हुआ है कि क्या अब वह इस विवाद से जुड़े दु:खदायी अतीत को भुलाकर सौमनस्य भरे सुखद भविष्य की ओर बढ़ सकेगी?

फैसले को लेकर जिस तरह की समझदारी और सौहार्द्र दिखा, उससे उम्मीदें खासी बलवती हो चली थीं कि जैसे भी हो, विवाद अब खत्म होकर ही रहेगा. लेकिन अयोध्या का दुर्भाग्य कि फैसले के दूसरे-तीसरे दिन से ही नए मोर्चे खोलने और नई उलझनें पैदा करने की कोशिशों ने रंग दिखाना और नासूर से पूर्ण मुक्ति की उम्मीदों को धुंधलाना शुरू कर दिया. अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह अपील आम लोगों की याददाश्त से बाहर भी नहीं हुई है कि न्यायालय के फैसले को किसी की हार और किसी की जीत के रूप में न देखा जाए और विघ्नसंतोषी चीजों को उस दिशा में ले जाने लग गए हैं, जिसमें थोड़ी दूर की भी यात्रा के बाद न्यायालय के निर्देश के अनुसार मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन और मस्जिद निर्माण के लिए दी जाने वाली पांच एकड़ भूमि का चयन, दोनों मुश्किल हो जाएं.

एक ओर खबर है कि केंद्र सरकार सोमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में उक्त ट्रस्ट के गठन के लिए विधेयक लाएगी और तभी साफ होगा कि उसका स्वरूप, शक्तियां और सदस्यों की संख्या क्या हैं. साथ ही यह भी कि उसका स्वरूप सोमनाथ मंदिर निर्माण ट्रस्ट जैसा ही होगा या उससे अलग. लेकिन विश्व हिंदू परिषद ने अभी से बेसब्र होकर मंदिर निर्माण में अपनी ‘प्रमुख भूमिका’ के लिए पेशबंदियां आरंभ कर दी हैं. इस चक्कर में उसके भीतर जो हायतौबा मची है, उसमें उसके नेताओं को अलग-अलग सुर में बोलने से भी गुरेज नहीं है.

विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक दिनेश का कहना है कि सरकार चाहे तो उसके श्रीराम जन्मभूमि न्यास का अधिग्रहण कर ले लेकिन मंदिर उसके मॉडल के अनुसार ही बनवाए और उसकी पूजित शिलाएं भी हर हाल में स्वीकार करे. दूसरी ओर उसके श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास को सरकार द्वारा नया ट्रस्ट बनाने की आवश्यकता ही नहीं दिखाई देती.

वे इस कदर जोश में हैं कि ‘मोदी और योगी’ तक को झिड़क दे रहे हैं. यह कहकर कि उनकी गरज हो तो अयोध्या आएं, अयोध्या किसी को बुलाने नहीं जाती. निर्मोही अखाड़े में भी, न्यायालय ने जिसके एक प्रतिनिधि को मंदिर के ट्रस्ट में रखने को कहा है, दांव-पेंच चल रहे हैं. भव्य राम मंदिर बनने के बाद उसे पर्यटन के विश्व मानचित्र पर आते भी देर नहीं लगेगी. फिर तो कारपोरेट और टूर आॅपरेटर भी दौड़े चले आएंगे और उसकी शक्ल-व-सूरत बदल कर रख देंगे.

Web Title: Blog of Krishna Pratap Singh over ayodhya verdict: Confrontation over Ram Mandir Trust

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