भारत डोगरा का ब्लॉग: हम धरती की रक्षा का संकल्प करें
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 8, 2019 11:07 AM2019-01-08T11:07:35+5:302019-01-08T11:07:35+5:30
स्टॉकहोम रेसिलियंस सेंटर के वैज्ञानिकों के अनुसंधान ने हाल के समय में धरती के सबसे बड़े संकटों की ओर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है।
वर्ष 1992 में विश्व के 1575 वैज्ञानिकों ने (जिनमें उस समय जीवित नोबल पुरस्कार प्राप्त वैज्ञानिकों में से लगभग आधे वैज्ञानिक भी सम्मिलित थे) एक बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा, ‘‘हम मानवता को इस बारे में चेतावनी देना चाहते हैं कि भविष्य में क्या हो सकता है? पृथ्वी और उसके जीवन की व्यवस्था जिस तरह हो रही है उसमें एक व्यापक बदलाव की जरूरत है अन्यथा बहुत दुख-दर्द बढ़ेंगे और हम सबका घर यह पृथ्वी इतनी बुरी तरह तहस-नहस हो जाएगी कि फिर उसे बचाया नहीं जा सकेगा।’’ इस चेतावनी के 25 वर्ष पूरा होने पर अनेक प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने वर्ष 2017 में फिर एक नई चेतावनी जारी की।
स्टॉकहोम रेसिलियंस सेंटर के वैज्ञानिकों के अनुसंधान ने हाल के समय में धरती के सबसे बड़े संकटों की ओर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है। यह अनुसंधान बहुत चर्चित रहा है। इस अनुसंधान में धरती पर जीवन की सुरक्षा के लिए नौ विशिष्ट सीमा-रेखाओं की पहचान की गई है जिनका अतिक्रमण मनुष्य की क्रियाओं को नहीं करना चाहिए। गहरी चिंता की बात है कि इन नौ में से तीन सीमाओं का अतिक्रमण होना आरंभ हो चुका है। यह तीन सीमाएं हैं-जलवायु बदलाव, जैव-विविधता का ह्रास व भूमंडलीय नाइट्रोजन चक्र में बदलाव।
इस अनुसंधान में सामने आ रहा है कि इन अति संवेदनशील क्षेत्रों में कोई सीमा-रेखा एक ‘टिपिंग प्वाइंट’ के आगे पहुंच गई तो बहुत अचानक बड़े पर्यावरण बदलाव हो सकते हैं। यह बदलाव ऐसे भी हो सकते हैं जिन्हें सीमा-रेखा पार होने के बाद रोका न जा सके या पहले की जीवन पनपाने वाली स्थिति में लौटा न जा सके। यह बदलाव ऐसे हो सकते हैं जो ‘रिवर्सिबल’ न हो। इस चिंताजनक स्थितियों को देखते हुए बहुत जरूरी है कि अधिक लोग इन समस्याओं के समाधान से जुड़ें। इन समस्याओं की सही जानकारी लोगों तक ले जाना बहुत जरूरी है क्योंकि तभी वे इनके समाधान से जुड़ सकते हैं।
इस संदर्भ में वैज्ञानिकों व विज्ञान की अच्छी जानकारी रखने वाले नागरिकों की भूमिका व विज्ञान मीडिया की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। पहला जरूरी कदम यह है कि उन तक इन गंभीर समस्याओं व उनके समाधानों की सही जानकारी पंहुचे। नए वर्ष के आगमन का समय इन बड़ी चुनौतियों को ध्यान में रखने, इन पर सोचने विचारने का समय भी है ताकि नए वर्ष में इन गंभीर समस्याओं के समाधान से जुड़कर अपने जीवन में अधिक सार्थकता ला सकें।