ब्लॉगः हिमाचल प्रदेश में नहीं चल पाया भाजपा का जादू, कांग्रेस ने वोट और आधार दोनों बढ़ाया
By अरविंद कुमार | Published: December 10, 2022 01:53 PM2022-12-10T13:53:18+5:302022-12-10T13:54:30+5:30
हिमाचल प्रदेश को अपने कब्जे में रखने के लिए भाजपा ने पूरा प्रयास किया लेकिन मतदाताओं ने उसे ठुकरा दिया। हिमाचल प्रदेश भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का गृह राज्य है। भाजपा ने मई महीने से ही वहां पर तमाम परियोजनाओं के साथ लोगों को रिझाने का प्रयास किया और तमाम रैलियां कीं। लेकिन विजय कांग्रेस की हुई। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहला राज्य कांग्रेस के खाते में आया है, जो वहां प्रचार में भी आखिरी दौर में पहुंच सके थे।
हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव एक साथ घोषित करने की परंपरा रही है, जिसे इस नाते तोड़ा गया क्योंकि भाजपा को भरोसा था कि एक साथ चुनाव में जुट जाने पर हिमाचल में दिक्कत आ सकती है। भाजपा को आम आदमी पार्टी के उभार की भी संभावना थी और लगता था कि इससे कांग्रेस के मतों में विभाजन हो सकता है जिसका उसे सीधा फायदा होगा। पड़ोसी पंजाब में आप की सरकार बनने के बाद पहाड़ की राजनीतिक हवा बदलेगी ऐसा अंदाज था। अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी कोशिश कम नहीं की थी। गुजरात में कांग्रेस को आप ने नुकसान पहुंचाया लेकिन हिमाचल में उसकी एंट्री नहीं हो पाई। खाता खोलना तो दूर वह केवल 1.10% वोट पा सकी।
कांग्रेस की ओर से प्रचार अभियान की बागडोर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने संभाली थी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी वहां मेहनत की। यह सच है कि 1985 के बाद से हिमाचल प्रदेश में किसी दल की सरकार रिपीट नहीं हुई है। लेकिन हाल के बदलाव और राजनीतिक तस्वीर के बदलने से जुड़े तथ्यों को सामने रख कर भाजपा लगातार एड़ी-चोटी का जोर लगा रही थी।
कांग्रेस का हिमाचल प्रदेश में जमीनी आधार मजबूत रहा है। 2017 के चुनाव में भी वह पराजय के बाद भी 21 सीटें और 41.68% वोट हासिल करने में सफल रही थी। वहीं पिछली सत्ता यानी 2012 में वह 36 सीटों पर जीती थी तो उसे 42.81% वोट मिले थे। यह अलग बात है कि तब कांग्रेस का नेतृत्व दिग्गज वीरभद्र सिंह के पास था जिनका 2021 में निधन हो गया। उनकी गैरमौजूदगी को भाजपा अपने पक्ष में मान कर विजय के लिए सारे प्रयास कर रही थी, फिर भी वह 25 सीटों पर सिमट गई जबकि कांग्रेस 40 सीटों पर विजयी रही। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का कहना है कि हिमाचल में कांग्रेस ने राज्य के इतिहास में सबसे कम वोट शेयर के साथ जीत हासिल की है लेकिन हकीकत यह है कि भाजपा 49.2% वोट और 44 सीटों से गिर कर इस बार 42.9% वोट और 25 सीटों पर आ गई है। जबकि कांग्रेस ने पहले की तुलना में अपना वोट और आधार दोनों बढ़ाया है।