बिम्सटेक की प्रगति से पाकिस्तान पर भारत से रिश्ते बेहतर करने का बनेगा दबाव
By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 3, 2018 03:58 PM2018-09-03T15:58:20+5:302018-09-03T15:58:20+5:30
नेपाली प्रधानमंत्नी के.पी. ओली और नरेंद्र मोदी के बीच इस बार बेहतर संवाद हुआ है। 400 बिस्तरोंवाली धर्मशाला का उद्घाटन किया गया और रक्सौल-काठमांडू रेल बनाने का समझौता भी हुआ।
भारत के पड़ोसी देशों के दो संगठन हैं। एक है दक्षेस और दूसरा बिम्सटेक। दक्षेस में आठ राष्ट्र हैं। भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल और भूटान।
बिम्सटेक में बंगाल की खाड़ी से लगे हुए सात देश हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मालदीव इसमें नहीं हैं। दक्षेस (सार्क) के बाकी देश इसमें हैं। इसमें तीन घटे हैं तो दो नए जुड़ गए हैं। म्यांमार और थाईलैंड।
यह संगठन 1997 में बना था लेकिन इसकी कुल चार शिखर बैठकें हुई हैं। चौथी अभी नेपाल में संपन्न हुई है। इसमें इन सातों राष्ट्रों के शिखर नेता शामिल हुए। उनमें आपस में द्विपक्षीय बातचीत तो हुई ही है, साथ ही नेपाल के साथ भारत के संबंधों में काफी सुधार हुआ है।
नेपाली प्रधानमंत्नी केपी ओली और नरेंद्र मोदी के बीच इस बार बेहतर संवाद हुआ है। 400 बिस्तरोंवाली धर्मशाला का उद्घाटन किया गया और रक्सौल-काठमांडू रेल बनाने का समझौता भी हुआ। मोदी ने अन्य देशों के नेताओं से भी भेंट की।
आतंकवाद के हर पहलू पर सम्मति
सबसे अच्छा यह हुआ कि आतंकवाद के हर पहलू के खिलाफ सर्वसम्मति हुई। सारे देशों के बीच साझा व्यापार, साझा सड़कें, साझा जलमार्ग, साझा संचार आदि शुरू करने के लिए ठोस कदम उठाने का संकल्प हुआ। बिना चीन का नाम लिए चीनी महापथ (ओबोर) की टक्कर की तैयारी वहां दिखाई दी।
चीन से अब श्रीलंका, नेपाल और मालदीव का मोहभंग हो रहा है। जाहिर है कि बिम्सटेक की प्रगति पाकिस्तान को भी प्रेरित करेगी कि वह भारत से अच्छे रिश्ते कायम करे ताकि दक्षेस भी तेज रफ्तार से आगे बढ़े।
बिम्सटेक देशों की जनसंख्या एक अरब 60 करोड़ है। विश्व जनसंख्या का यह 22 प्रतिशत है। इन सात देशों का सकल उत्पाद (जीडीपी) 28 खरब डॉलर है।
बिम्सटेक राष्ट्रों ने काठमांडू में जो संकल्प किए हैं, यदि उनके आधे पर भी अमल हो गया तो पाकिस्तान क्या अफगानिस्तान, ईरान और मालदीव भी इसकी सदस्यता ग्रहण करने के लिए बेताब हो जाएंगे।