हरीश गुप्ता का ब्लॉग, नीतीश कुमार की घटती लोकप्रियता से चिंतित भाजपा
By हरीश गुप्ता | Published: October 29, 2020 03:21 PM2020-10-29T15:21:21+5:302020-10-29T15:22:57+5:30
प्रवासी मजदूरों और कोरोना वायरस के मुद्दों से सही ढंग से नहीं निपट पाना उन्हें बहुत महंगा पड़ सकता है और अगर एनडीए बिहार में हार जाता है तो आने वाले महीनों में भाजपा को ज्यादा नुकसान होगा. ऐसा नहीं है कि भाजपा को नीतीश कुमार के गिरते ग्राफ की जानकारी नहीं थी.
मोदी के कम नहीं होने वाले करिश्मे और अपार लोकप्रियता के बावजूद, भाजपा नेतृत्व के पास बिहार में चिंता का कारण है. राज्य में ध्रुवीकरण की गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दूसरे चरण में प्रवेश करते ही नीतीश कुमार के ग्राफ में गिरावट को देखते हुए भाजपा परेशान है.
प्रवासी मजदूरों और कोरोना वायरस के मुद्दों से सही ढंग से नहीं निपट पाना उन्हें बहुत महंगा पड़ सकता है और अगर एनडीए बिहार में हार जाता है तो आने वाले महीनों में भाजपा को ज्यादा नुकसान होगा. ऐसा नहीं है कि भाजपा को नीतीश कुमार के गिरते ग्राफ की जानकारी नहीं थी.
आरएसएस और भाजपा द्वारा किए गए सभी आंतरिक सर्वेक्षणों ने संकेत दिया था कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता घट रही है. बिहार का मुखर भाजपा नेतृत्व मोदी लहर पर सवार होकर अकेले ही चुनाव मैदान में उतरना चाहता था. लेकिन जून-जुलाई में पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार में दो दौर की वार्ता की. इसमें जनता दल (यू) के साथ जाने का निर्णय लिया गया क्योंकि नीतीश कुमार को दरकिनार करने के परिणाम घातक हो सकते थे.
इससे नीतीश कुमार राजद-कांग्रेस में वापस जाने के लिए प्रेरित हो सकते थे. नीतीश कुमार के एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर की क्षतिपूर्ति के लिए, लोजपा के चिराग पासवान के रूप में एक बफर जोन बनाया गया. यह इस उम्मीद के साथ किया गया था कि लोजपा नीतीश कुमार के विरोधी वोटों को अपनी ओर खींच सकेगी जो अन्यथा राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन के पास जाते. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान, जद (यू) की गिरावट अधिक स्पष्ट दिखाई दे रही है. दूसरे, कोरोना वायरस ने भाजपा के बड़े नेताओं देवेंद्र फडणवीस, सुशील मोदी, मंगल पांडे, राजीव प्रताप रूड़ी, शाहनवाज हुसैन और अन्य को अपनी चपेट में ले लिया. अमित शाह भी सक्रिय नहीं हैं.
बिहार भाजपा का वॅाटरलू!
मई 2019 के लोकसभा चुनावों में अपनी प्रचंड जीत के बाद भाजपा सातवें आसमान पर थी. लेकिन राज्यों में एक के बाद एक नुकसान ङोलते हुए इसके सितारे फीके पड़ने लगे. महाराष्ट्र में जहां वह सरकार बनाने में विफल रही, वहीं हरियाणा में उसे सरकार बनाने के लिए दुष्यंत चौटाला पर निर्भर रहना पड़ा. फिर उसे 2020 में झारखंड और दिल्ली में बड़ी हार का सामना करना पड़ा इसलिए भाजपा के लिए बिहार की जीत महत्वपूर्ण है.
बिहार के नुकसान का सीधा असर पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी और असम में पड़ेगा जहां अगले साल के शुरू में विधानसभा चुनाव होने हैं. भाजपा में कई लोग कहते हैं कि बिहार में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने में उन्हें खुशी होगी. इसलिए भाजपा ने अपनी रणनीति को मध्य-मार्ग में बदल दिया है. वह उन निर्वाचन क्षेत्रों में पीएम की कुछ रैलियों को आयोजित कर सकती है जहां भाजपा के उम्मीदवार नीतीश कुमार के बिना चुनाव लड़ रहे हैं. पहले से ही ऐसे कुछ पोस्टर जनता के बीच हैं जिसमें नीतीश कुमार नहीं हैं. दूसरे, प्रधानमंत्री आने वाले दिनों में अपने भाषणों में अधिक आक्रामक होंगे.
लुटियंस की दिल्ली में लौटीं प्रियंका
हरियाणा के गुरुग्राम में एक संक्षिप्त निवास के बाद, प्रियंका गांधी वाड्रा वापस लुटियंस की दिल्ली में हैं. उन्होंने कुछ महीने पहले अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया था जब सरकार ने एक नोटिस दिया था. वह कुछ दिनों के लिए गुरुग्राम में स्थानांतरित हो गई थीं और अब खान मार्केट के पास सुजान सिंह पार्क में वापस आ गई हैं. हालांकि वेजगह की कमी के कारण अपने आवास पर राजनीतिक कार्यकर्ताओं से नहीं मिलती हैं. उनके सुरक्षा गार्डो के लिए यह काफी मुश्किल समय है क्योंकि आवासीय परिसर बहुत छोटा है.
राम माधव के सितारे गर्दिश में!
ऐसा लगता है कि भाजपा के उभरते सितारे राम माधव के लिए पार्टी में यह बदकिस्मती का दौर है. वे जम्मू-कश्मीर मामलों और उत्तर पूर्व के प्रभारी थे. उन्होंने भाजपा की जम्मू-कश्मीर नीति तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सरकार बनाने में मदद की. वे इंडिया फाउंडेशन चलाते हैं जिसने पीएम बनने से पहले अमेरिका और अन्य देशों में मोदी के लिए काम किया था. जब उन्हें भाजपा में महासचिव के पद से हटाया गया तो यह व्यापक रूप से माना गया था कि उन्हें राज्यसभा सीट और फेरबदल होने पर संभवत: मंत्री पद मिलेगा. यह भी उम्मीद की जा रही थी कि वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए नामांकित होंगे जहां भाजपा दस में से कम से कम आठ सीटें जीत सकती है. लेकिन उनका नाम सूची में नहीं था. अब यह पता चला है कि वे अपने साउथ एवेन्यू स्थित सरकारी फ्लैट को खाली कर रहे हैं, जिसे उन्हें महासचिव के रूप में आवंटित किया गया था. उनके नए कार्यभार के बारे में अभी कोई फैसला नहीं हुआ है. एक रिपोर्ट यह है कि वे अब आरएसएस में वापस जा सकते हैं क्योंकि अब वह पूर्णकालिक ‘संघ प्रचारक’ हैं.