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ब्लॉग: भारत जोड़ो यात्रा, बिहार की 'पराजय' या फिर दिल्ली में ऑपरेशन लोटस का आरोप? भाजपा की अतिसक्रियता की वजह क्या है

By अभय कुमार दुबे | Updated: September 20, 2022 08:44 IST

भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना में बगावत कर सरकार में आने में सफल रही। वहीं, बिहार में उसे नुकसान उठाना पड़ा। ऐसे ही दिल्ली में चीजें उसके हिसाब से अभी तक नहीं हो सकी हैं। कांग्रेस भी सड़कों पर उतर आई है। क्या ये सबकुछ भाजपा की चिंता को बढ़ा रहा है?

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ऐसा लगता है कि राहुल गांधी को पदयात्रा के रूप में अपनी और अपनी पार्टी की वापसी के लिए एक रामबाण औषधि मिल गई है. 2014 के बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि कांग्रेस लगातार अखिल भारतीय स्तर पर सड़कों पर होगी इसलिए इस कार्यक्रम से भाजपा का माथा ठनकना स्वाभाविक ही है. दूसरी तरफ गोवा में भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों से दलबदल करवा कर दिखा दिया है कि वह देश की सबसे पुरानी पार्टी को नष्ट करने के लिए किस हद तक जा सकती है. 

गोवा में भाजपा की ही सरकार है. गोवा की घटना से भाजपा ने यह दिखाने की कोशिश भी की है कि कांग्रेस जितनी चाहे पदयात्रा कर ले, उसका गिरता हुआ ग्राफ न रुकने वाला है, न उठने वाला है. इस घटनाक्रम के मर्म को अगर ठीक से समझना है तो हमें थोड़ा पीछे लौटकर महाराष्ट्र और बिहार के घटनाक्रम को याद करने से शुरुआत करनी होगी.

महाराष्ट्र में महाआघाड़ी की सरकार को तोड़ने के लिए भाजपा ने जिस रणनीतिक कुशलता के साथ शिवसेना में बगावत करवाई, और फिर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनने से रोक कर दूरंदेशी का परिचय देते हुए एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवाया-उसने इस पार्टी का सिक्का एक बार फिर से जमा दिया था. लेकिन बिहार में भाजपा को पराजय का सामना करना पड़ा. 

नीतीश कुमार ने रातोंरात भाजपा से गठजोड़ तोड़कर तेजस्वी के साथ मिलकर सरकार बना ली. भाजपा भौंचक्की रह गई. लोकसभा के लिए बिहार एक ऐसा मॉडल पेश करता है जिसके तहत भाजपा अकेली है, और बाकी हर राजनीतिक ताकत उसके विरोध में है. कुल मिलाकर बिहार भाजपा के दबदबे को मिली एक ऐसी चुनौती है जिसका जवाब भाजपा के पास अभी तक नहीं है.

मेरी समझ यह है कि जब से बिहार का झटका लगा है, तभी से भाजपा कुछ न कुछ ऐसा कर दिखाने के फेर में है जिससे इस नुकसान की भरपाई हो सके. कभी वह झारखंड में सोरेन सरकार को गिराने की योजना पर काम करते हुए दिखती है, कभी दिल्ली में उसके ऊपर ऑपरेशन लोटस चलाने का आरोप लगता है. कभी वह गोवा में कांग्रेस तोड़ते हुए अपनी पीठ थपथपाती है. यह तो केवल एक मोर्चा है. 

एक दूसरे मोर्चे पर भाजपा स्वयं को भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम चलाते हुए दिखाना चाहती है. एक तीसरा मोर्चा भी है जो मुसलमान समुदाय को उत्तरोत्तर कोने में धकेलने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है. चौथा मोर्चा है कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा की खिल्ली उड़ाने का अभियान. भाजपा एक साथ इतने मोर्चों पर अति-सक्रिय है. यह केवल एक संयोग ही नहीं है. यह एक सुनियोजित श्रृंखला है.

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