भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: मुक्त व्यापार भारत के लिए लाभदायक नहीं

By भरत झुनझुनवाला | Published: June 27, 2020 10:45 AM2020-06-27T10:45:36+5:302020-06-27T10:45:36+5:30

Bharat Jhunjhunwala's blog: Free trade not profitable for India | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: मुक्त व्यापार भारत के लिए लाभदायक नहीं

जब तक हम अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं करते हैं तब तक हम मुक्त व्यापार में नहीं जीत पाएंगे.

Highlights चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने से आसियान देशों को भारी घाटा हुआ है. चीन की प्रशासनिक व्यवस्था कुशल है, उद्यमी को सुविधा है

पूर्वी एशिया के देशों इंडोनेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, फिलीपीन्स, म्यांमार, ब्रुनेई, कम्बोडिया, वियतनाम और लाओस ने आपस में एक मुक्त व्यापार समझौता कर रखा है जिसे आसियान नाम से जाना जाता है. समझौते के अंतर्गत इन देशों के बीच माल लगभग शून्य आयात कर पर आ जा सकता है. आसियान के देशों ने वर्ष 2010 में चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया. उस समय इनके चीन को निर्यात अधिक और आयात कम थे. शुद्ध व्यापार इनके पक्ष में 53 अरब डॉलर प्रतिवर्ष का था. चीन के साथ समझौते के बाद यह परिस्थिति बदल गई. वर्ष 2016 में इनके निर्यात कम और आयात अधिक हो गए. इन्हें 54 अरब डॉलर का घाटा लगा. जाहिर है कि चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने से आसियान देशों को भारी घाटा हुआ है.

प्रश्न है कि यह मुक्त व्यापार समझौता हानिप्रद क्यों हुआ? अर्थशास्त्न का सिद्धांत कहता है कि मुक्त व्यापार से दोनों देशों को लाभ होता है. जो देश जिस माल का कुशलतापूर्वक उत्पादन कर सकता है, यानी अच्छी गुणवत्ता के माल का सस्ता उत्पादन कर सकता है, वह उस माल का उत्पादन एवं निर्यात करेगा. और सभी देश जिस माल का कुशल उत्पादन नहीं कर सकते हैं उसका वे आयात करेंगे. जैसे भारत की दवाएं बनाने में कुशलता है जबकि बिजली के बल्ब बनाने में हमारा खर्च ज्यादा आता है. ऐसे में मुक्त व्यापार का सिद्धांत कहता है कि भारत को दवाओं का निर्यात करना चाहिए और चीन से बल्बों का आयात करना चाहिए. ऐसा करने से दोनों देशों को लाभ होगा. भारत के उपभोक्ता को चीन में बने सस्ते बल्ब मिल जाएंगे और चीन के उपभोक्ता को भारत में बनी सस्ती दवा. भारत में दवा बनाने में रोजगार उत्पन्न होंगे जबकि चीन में बल्ब बनाने में. इस प्रकार मुक्त व्यापार दोनों ही देशों के लिए लाभप्रद हो जाएगा.

लेकिन ऊपर बताया गया प्रत्यक्ष अनुभव बताता है कि आसियान देशों ने जब चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता किया तो उनका घाटा बढ़ गया. इसका कारण यह है कि मुक्त व्यापार में सब देशों के बीच ‘नीचे की तरफ दौड़’ लागू हो जाती है. जो देश अपने श्रमिक एवं पर्यावरण के प्रति सबसे घटिया रुख अपनाएगा, वही रुख सभी देशों को अपनाना पड़ेगा. जैसे यदि चीन में श्रम कानून ढीले हैं तो उत्पादन लागत कम आती है. इस परिस्थिति में यदि चीन के साथ आसियान ने मुक्त व्यापार का समझौता किया तो आसियान को भी अपने श्रम कानून नरम बनाने होंगे अन्यथा आसियान देशों में माल की उत्पादन लागत अधिक आएगी; श्रम कानून नर्म होने के कारण चीन का माल सस्ता पड़ेगा; और आसियान देश बाजार में पिट जाएंगे. अथवा मान लीजिए चीन में पर्यावरण की हानि की छूट है.

उद्योगों द्वारा वायु प्रदूषण करने पर रोक नहीं है अथवा प्रदूषित पानी को नदियों में डालने पर रोक नहीं है. ऐसी परिस्थिति में चीन में उत्पादन लागत कम आएगी और चीन का माल सस्ता पड़ेगा. उसके सामने टिकने के लिए आसियान देशों को भी अपने पर्यावरण को नष्ट होने देना पड़ेगा अन्यथा उनका माल महंगा पड़ेगा. एक अन्य कारण प्रशासनिक व्यवस्था का है. चीन की प्रशासनिक व्यवस्था कुशल है, उद्यमी को सुविधा है और उसकी उत्पादन लागत कम आती है. आसियान देशों में यदि प्रशासन सुस्त है तो उनकी उत्पादन लागत ज्यादा आएगी. इन कारणों से चीन का माल विश्व बाजार में सस्ता पड़ रहा है. ऐसे में अन्य देशों के सामने विकल्प है कि या तो इसी के समकक्ष अपनी व्यवस्था बनाएं या फिर चीन से पिटें या उससे व्यापारिक दूरी बनाए रखें.

दूसरी समस्या यह है कि भारत की महारत सेवा क्षेत्र में है जैसे सॉफ्टवेयर, सिनेमा, संगीत, अनुवाद, डेटा एनालिसिस, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, ऑनलाइन टय़ूटोरियल इत्यादि में. लेकिन आसियान सहित विश्व व्यापार संगठन जैसे बहुराष्ट्रीय समझौतों में सेवा क्षेत्रों को सम्मिलित नहीं किया जाता है. मुख्यत: मुक्त व्यापार क्षेत्न में केवल भौतिक माल के आवागमन की व्यवस्था होती है. लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में हमारी परिस्थिति कमजोर है जिसके कारण मुक्त व्यापार समझौता करके हम मैन्युफैक्चरिंग में पिटते हैं चूंकि इसमें हम कमजोर हैं और सेवा क्षेत्र का लाभ नहीं उठा पाते क्योंकि यह मुक्त व्यापार समझौतों के बाहर रहता है.  

इस समय कोविड-19 के संकट को देखते हुए भारत के सामने दो रास्ते खुले हैं- एक रास्ता यह है कि हम मुक्त व्यापार को और गहराई से अपनाएं और आशा करें कि इससे हमें लाभ होगा. दूसरा रास्ता है कि हम मुक्त व्यापार से पीछे हटें और उससे भी हमें लाभ हो सकता है. मेरा मानना है कि जब तक हम अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं करते हैं तब तक हम मुक्त व्यापार में नहीं जीत पाएंगे. इसलिए सरकार को पहले देश के प्रशासन को सही करना चाहिए, उसके बाद ही मुक्त व्यापार पर विचार करना चाहिए.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala's blog: Free trade not profitable for India

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे