भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: कोरोना के कहर के बीच चीन को ऐसे दे सकते हैं मात

By भरत झुनझुनवाला | Published: May 16, 2020 11:13 AM2020-05-16T11:13:32+5:302020-05-16T11:13:32+5:30

हमने मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा अवसर पहले ही गंवा दिया है. मार्च में लॉकडाउन करते समय यदि सरकार फैक्ट्रियों को छूट देती कि वे अपनी सरहद में ही श्रमिकों के रहने खाने की व्यवस्था उपलब्ध कराएं और अपनी फैक्ट्री चालू रखें तो आर्थिक संकट नहीं गहराता और हम उत्पादन जारी रखते और माल बनाकर निर्यात करते रह सकते थे. अपने मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों को जारी रख सकते थे. यह चूक हो ही गई है तो भी आज यह व्यवस्था की जा सकती है.

Bharat Jhunjhunwala blog: This is how India can defeat China amidst Coronavirus havoc | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: कोरोना के कहर के बीच चीन को ऐसे दे सकते हैं मात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

चीन की तुलना में हमारी तीन ताकत है. पहली यह कि हमारी जनसंख्या की औसत आयु 28 वर्ष है जबकि चीन की जनसंख्या की 38 वर्ष. कोरोना वायरस युवाओं को कम प्रभावित करता है इसलिए हमारे यहां कोरोना का संकट कम होना चाहिए. दूसरी, हमारे देश का औसत तापमान 23 डिग्री सेल्सियस है जबकि चीन का 7 डिग्री सेल्सियस. हमारा देश गर्म होने के कारण कोरोना का प्रभाव कम होना चाहिए. तीसरी ताकत यह है कि हमारी महारत सेवा क्षेत्र में है जैसे साफ्टवेयर, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन, ट्रांसलेशन इत्यादि में. यह क्षेत्र कोरोना से कम प्रभावित होता है क्योंकि इस क्षेत्र की तमाम सेवाओं को घर से प्रदान किया जा सकता है.

तुलना में चीन की महारत मैन्युफैक्चरिंग में है जहां पर श्रमिकों का एक स्थान पर आना और मिल कर कार्य करना अनिवार्य हो जाता है. इसलिए हमारे लिए कोरोना के संकट के दौरान अर्थव्यवस्था को चालू रखना ज्यादा संभव है.

इन तीनों ताकतों के बावजूद आज चीन में कोरोना के नए केस लगभग शून्यप्राय हो गए हैं और कुल 82 हजार के करीब केस आज तक हुए हैं. तुलना में अपने देश में 70 हजार के ऊपर मामले आ चुके हैं. हमारे वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में यह संख्या 2 लाख से भी अधिक हो सकती है. यानी अपनी तीनों ताकतों के बावजूद हमारी स्थिति चीन की तुलना में ज्यादा गड़बड़ है.

इसका मुख्य कारण यह है कि चीन ने लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया. उनका प्रशासन कुशल था. तुलना में  हमारा प्रशासन फेल है. हमारी यह असफलता आज भी जारी है.

चीन ने अपने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को पुन: चालू कर लिया है. आज विश्व में संभवत: चीन अकेला बड़ा देश है जो कि माल का पुरजोर उत्पादन कर विश्व को सप्लाई कर सकता है. इसलिए यदि दुनिया के किसी भी देश को कोई माल की जरूरत पड़े तो आज उसे मजबूरन चीन से ही खरीदना होगा.

इस समय चीन के विरुद्ध अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प शोर मचा रहे हैं. वे पूरे विश्व को चीन के विरोध में लामबंद करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं. मेरा मानना है कि यह शोर टिकेगा नहीं. ट्रम्प के शोर मचाने के पीछे अमेरिका की गड़बड़ाती अर्थव्यवस्था दिखती है. अमेरिकी सरकार भारी मात्रा में विश्व बाजार से ऋण ले रही है और इस ऋण का उपयोग अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए कर रही है. विश्व बाजार में यह ऋण बड़ी मात्रा में चीन द्वारा ही सप्लाई किया जा रहा है.

अमेरिकी सरकार द्वारा लिए गए ऋण में 15 प्रतिशत सीधे चीन द्वारा उपलब्ध कराया गया है. दूसरे देशों द्वारा भी उपलब्ध कराए गए ऋण में चीन का हिस्सा दिखता है. जैसे चीन ने इंग्लैंड के बैंकों में रकम जमा कराई और इंग्लैंड के बैंकों ने उस रकम से अमेरिकी सरकार द्वारा जारी ट्रेजरी बांड खरीदे. इसलिए अमेरिका आर्थिक दृष्टि से दबा हुआ है और इस दबाव के कारण राष्ट्रपति ट्रम्प चीन के विरोध में आवाज उठा रहे हैं. इसलिए अनुमान है कि कोरोना संकट के बाद विश्व अर्थव्यवस्था में चीन का दर्जा बढ़ेगा, घटेगा नहीं.

फिर भी भारत के लिए अवसर है. हमने मैन्युफैक्चरिंग का एक बड़ा अवसर पहले ही गंवा दिया है. मार्च में लॉकडाउन करते समय यदि सरकार फैक्ट्रियों को छूट देती कि वे अपनी सरहद में ही श्रमिकों के रहने खाने की व्यवस्था उपलब्ध कराएं और अपनी फैक्ट्री चालू रखें तो आर्थिक संकट नहीं गहराता और हम उत्पादन जारी रखते और माल बनाकर निर्यात करते रह सकते थे. अपने मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों को जारी रख सकते थे. यह चूक हो ही गई है तो भी आज यह व्यवस्था की जा सकती है.

जितने भी औद्योगिक संस्थान हैं उनसे कहा जा सकता है कि वे अपने श्रमिकों के रहने-खाने की व्यवस्था अपने यहां करें और उत्पादन शुरू करें. दूसरी बात यह कि सरकार को वित्तीय घाटा बढ़ाकर यानी ऋण लेकर इस संकट से उबरने का प्रयास नहीं करना चाहिए. सरकार यदि विश्व बाजार से ऋण लेती है तो उस ऋण का एक हिस्सा चीन से आएगा और हम पुन: किसी न किसी रूप में चीन के दबाव में आएंगे. उत्तम तो यह होगा कि पेट्रोल पर वर्तमान में 25 रुपए प्रति लीटर का जो टैक्स केंद्र सरकार द्वारा वसूल किया जा रहा है उसे बढ़ाकर सीधे 100 रुपया कर दे और इस रास्ते लगभग 10 लाख करोड़ रुपए की वार्षिक आय हो सकती है जिसका उपयोग हम अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में कर सकते हैं.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala blog: This is how India can defeat China amidst Coronavirus havoc

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