भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सेवा क्षेत्र में सुनहरा अवसर

By भरत झुनझुनवाला | Published: July 20, 2019 06:40 AM2019-07-20T06:40:50+5:302019-07-20T06:40:50+5:30

अपने देश में अंग्रेजी भाषा बोलने वाले भी उपलब्ध हैं इसलिए हमें सेवा क्षेत्न को बढ़ावा देना चाहिए और पर्यटन, विदेशी भाषा, सिनेमा इत्यादि क्षेत्नों के आधार पर अर्थव्यवस्था को बढ़ाना चाहिए, क्योंकि वर्तमान समय में परिस्थितियों में मौलिक अंतर आ गया है. 

Bharat Jhunjhunwala blog: Golden opportunity in service sector | भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: सेवा क्षेत्र में सुनहरा अवसर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

वर्ष 1980 में चीन के नागरिक की औसत आय भारत के नागरिक की तुलना में 1.2 गुना थी. 2018 में यह 4.4 गुना हो गई. जाहिर है कि हमारी तुलना में चीन बहुत आगे निकल गया है.

चीन ने 80 के दशक में आर्थिक सुधार लागू किए थे. उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया था. बहुराष्ट्रीय कंपनियों को न्योता दिया था कि वे चीन में आकर फैक्ट्रियां लगाएं. बहुराष्ट्रीय कंपनियों को श्रम एवं पर्यावरण कानून में ढील दी जिससे उन्हें निवेश करने में परेशानी न हो.

चीन के सस्ते श्रम का लाभ उठाने के लिए भारी संख्या में बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने चीन में निवेश किया था. उन्होंने चीन में फैक्ट्रियां लगाईं जिससे चीन में रोजगार बने और देश की आय भी बढ़ी. लेकिन वह 1980 का दशक था. आज 2020 आने को है. आज उस नीति को हम अपनाकर सफल नहीं हो सकते हैं क्योंकि परिस्थितियां बदल गई हैं. 

इस परिस्थिति में हमें सेवा क्षेत्न को बढ़ावा देना चाहिए. बताते चलें कि अर्थव्यवस्था के तीन मुख्य क्षेत्न होते हैं- कृषि, मैन्युफैक्चरिंग एवं सेवा. आज अमेरिका जैसे विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं में कृषि का हिस्सा मात्न एक प्रतिशत, मैन्युफैक्चरिंग का लगभग 9 प्रतिशत और सेवा क्षेत्न का 90 प्रतिशत हो गया है.

सेवा क्षेत्न में सॉफ्टवेयर, सिनेमा, संगीत, पर्यटन आदि सेवाएं आती हैं. इससे पता लगता है कि अर्थव्यवस्था जैसे-जैसे बढ़ती है उसमें सेवा क्षेत्न का हिस्सा बढ़ता जाता है. अत: सिकुड़ते हुए मैन्युफैक्चरिंग को पकड़ने के स्थान पर सूर्योदय होते सेवा क्षेत्न को पकड़ना चाहिए.

सेवा क्षेत्न हमारे लिए विशेषकर उपयुक्त इसलिए भी है कि सेवा क्षेत्न में बिजली की जरूरत कम होती है. मैन्युफैक्चरिंग में एक रु पया जीडीपी उत्पन्न करने में जितनी बिजली की जरूरत होती है तुलना में सेवा क्षेत्न में वही एक रुपया जीडीपी उत्पन्न करने में उसकी मात्न दस प्रतिशत बिजली की जरूरत होती है. इसलिए पर्यावरण की दृष्टि से भी सेवा क्षेत्न हमारे लिए उपयुक्त है.

अपने देश में अंग्रेजी भाषा बोलने वाले भी उपलब्ध हैं इसलिए हमें सेवा क्षेत्न को बढ़ावा देना चाहिए और पर्यटन, विदेशी भाषा, सिनेमा इत्यादि क्षेत्नों के आधार पर अर्थव्यवस्था को बढ़ाना चाहिए, क्योंकि वर्तमान समय में परिस्थितियों में मौलिक अंतर आ गया है. 

Web Title: Bharat Jhunjhunwala blog: Golden opportunity in service sector

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