अवधेश कुमार का नजरियाः कश्मीर में अलकायदा  की नाकाम कोशिश

By अवधेश कुमार | Published: July 14, 2019 05:27 AM2019-07-14T05:27:22+5:302019-07-14T05:27:22+5:30

इस बात का विश्लेषण किया जा रहा है कि आखिर अल जवाहिरी एकाएक कश्मीर को लेकर सामने क्यों आया है?

Awadhesh Kumar's view: Al Qaeda's failed attempt in Kashmir | अवधेश कुमार का नजरियाः कश्मीर में अलकायदा  की नाकाम कोशिश

अवधेश कुमार का नजरियाः कश्मीर में अलकायदा  की नाकाम कोशिश

आतंकवादी संगठन अलकायदा प्रमुख अयमान अल जवाहिरी अचानक सामने आया है. अपने 14 मिनट के वीडियो में वह कश्मीर में आतंकवाद को हवा देने की कोशिश कर रहा है. वह कहता है कि कश्मीर को हमें नहीं भूलना चाहिए, सेना एवं सरकार पर मुजाहिदीन लगातार हमला करते रहें जिससे भारत की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो.
 
इस बात का विश्लेषण किया जा रहा है कि आखिर अल जवाहिरी एकाएक कश्मीर को लेकर सामने क्यों आया है? उसके वीडियो के साथ स्क्रीन पर आतंकवादी जाकिर मूसा की तस्वीर अवश्य दिख रही है लेकिन उसने उसका एक बार भी नाम नहीं लिया. ध्यान रखने की बात है कि जाकिर मूसा को सुरक्षा बलों ने 23 मई को मौत के घाट उतार दिया था. जाकिर पहले हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर था लेकिन उससे उसका मतभेद होता गया और उसने अंसार गजवत उल हिंद की स्थापना की. इस संगठन को अलकायदा से जुड़ा माना गया और यह सच भी था.

वस्तुत: जाकिर मूसा ने खुलकर यह ऐलान किया कि जम्मू कश्मीर में हमारी लड़ाई आजादी या पाकिस्तान में मिलने के लिए नहीं है, यह अंतर्राष्ट्रीय खिलाफत की लड़ाई है. उसने हुर्रियत नेताओं को धमकी देते हुए कहा कि जो भी इससे परे बात करेगा उसे लाल चौक पर लटका देंगे. इसके पहले किसी आतंकवादी ने हुर्रियत नेताओं के बारे में ऐसी बात नहीं कही थी. सीमा पार स्थित आतंकवादी संगठनों ने इसका विरोध किया लेकिन जाकिर मूसा अपने मत पर अड़ा रहा. इससे पहला निष्कर्ष यह निकलता है कि अल कायदा ने इस क्षति के बाद जम्मू-कश्मीर में फिर से अपने संगठन को खड़ा करने की पहल की है.

ऐसा लगता नहीं है कि पाकिस्तान इस समय जवाहिरी को सामने लाने की भूमिका अदा करेगा. आतंकवाद को लेकर भारत की कूटनीति के कारण वह भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाव में है. बालाकोट कार्रवाई के बाद भारत की रणनीति तो उसके सामने है ही, एफएटीएफ द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम न उठाए जाने के कारण उस पर काली सूची में डाले जाने का खतरा मंडरा रहा है. इसी महीने इमरान खान अमेरिका जाने वाले हैं. 

इसलिए पाकिस्तान इस समय जवाहिरी को सामने लाने की मूर्खता नहीं करेगा. हां, पाकिस्तान में एक वर्ग ऐसा है जो इनका समर्थक है और उस वर्ग के लोग हरसंभव मदद कर रहे होंगे. किंतु  अंतर्राष्ट्रीय दबाव एवं अपनी आंतरिक स्थिति के कारण पाक  खुलकर पहले की तरह इनकी मदद करने की स्थिति में नहीं है.  

Web Title: Awadhesh Kumar's view: Al Qaeda's failed attempt in Kashmir

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