अवधेश कुमार का ब्लॉग: दुनिया को चकित करता महापर्व

By अवधेश कुमार | Published: March 13, 2019 05:45 AM2019-03-13T05:45:02+5:302019-03-13T05:45:02+5:30

चुनाव आयोग की घोषणा के साथ आम चुनाव की औपचारिक रणभेरी बज गई है. संसदीय लोकतंत्न में 89 करोड़ 88 लाख मतदाताओं वाला यह दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव है.

Awadhesh kumar's blog: world surprising festival lok sabha election | अवधेश कुमार का ब्लॉग: दुनिया को चकित करता महापर्व

अवधेश कुमार का ब्लॉग: दुनिया को चकित करता महापर्व

चुनाव आयोग की घोषणा के साथ आम चुनाव की औपचारिक रणभेरी बज गई है. संसदीय लोकतंत्न में 89 करोड़ 88 लाख मतदाताओं वाला यह दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव है. इतने मतदाताओं में 99 प्रतिशत से ज्यादा को मतदाता पहचान पत्न उपलब्ध करा देना भी सामान्य उपलब्धि नहीं है. दुनिया के दो तिहाई देशों की अलग-अलग जितनी आबादी नहीं है उतनी मतदाताओं की संख्या केवल पिछले लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ी है. 2014 के आम चुनाव से 8 करोड़ 43 लाख अधिक मतदाता इस बार होंगे.

हालांकि 2009 से 2014 के बीच 10 करोड़ मतदाता बढ़े थे. उसकी तुलना में यह वृद्धि कम है. शायद इस बीच आबादी उस अनुपात में नहीं बढ़ी है. यही नहीं 18 से 19 वर्ष के बीच के ही मतदाता 1 करोड़ 50 लाख के करीब हैं. अनेक लोकतांत्रिक देशों में इतने भी मतदाता नहीं हैं. 10 लाख मतदान केंद्र कोई सामान्य संख्या है क्या? इसके साथ लाखों ईवीएम एवं वीवीपैट तथा कुल मिलाकर एक करोड़ से ज्यादा लोगों की चुनाव आयोजित कराने में भूमिका है. पश्चिमी देशों के विश्लेषक इस आंकड़े को देखकर ही भौंचक्के रह जाते हैं. इसलिए भारत का आम चुनाव दुनिया भर के चुनावशास्त्रियों तथा राजनीतिक विश्लेषकों के लिए सबसे रुचि का कारण रहता है. भारी संख्या में ये लोग चुनाव अभियानों तथा मतदान व मतगणना का अवलोकन करने आते हैं. 

चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों द्वारा ईवीएम पर लगातार उठाई गई आशंकाओं को हालांकि बार-बार खारिज किया है, किंतु उसने सभी ईवीएम के साथ वीवीपैट की व्यवस्था कर दी है. ऐसा आम चुनाव में पहली बार हो रहा है. इसके बाद किसी को भी चुनाव परिणाम पर उंगली उठाने का आधार नहीं मिलेगा.

जीपीएस प्रणाली के कारण सारी मशीनों पर नजर रखी जा सकेगी. मतदाता भी एप्प से बहुत सारी सूचनाएं पा सकेंगे. तो पिछले चुनावों से ज्यादा हाईटेक होगा यह चुनाव. इन सारी व्यवस्थाओं पर दूसरे देशों के पर्यवेक्षकों की टिप्पणियां हमारे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण होंगी. कुल मिलाकर 66 दिनों तक भारत चुनाव की राजनीतिक गर्मी तथा आयोग की बहुआयामी सक्रियता से  ंतप्त रहेगा.

2019 के इस आम चुनाव में पिछले एक साल से बनाए जा रहे मुद्दों का धरातल पाकिस्तान की सीमा पारकर वायुसेना द्वारा आतंकवादी ठिकानों पर किए गए हमलों के नीचे ढक रहा है. इस हवाई हमले ने आम चुनाव की बिल्कुल एक अलग जमीनी पिच तैयार कर दी है. इसकी कल्पना विपक्ष ने की ही नहीं थी. 

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