अवधेश कुमार का ब्लॉग: गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणाम स्वाभाविक हैं

By अवधेश कुमार | Published: December 9, 2022 01:44 PM2022-12-09T13:44:27+5:302022-12-09T13:50:51+5:30

गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के परिणामों को दोनों जगह स्वाभाविक परिणाम रहे। गुजरात में भाजपा ने 1985 में कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी द्वारा जीत के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ा तो उसके पीछे भी भाजपा भी थी और हिमाचल में भाजपा हारी तो उसके पीछे भी मूलतः भाजपा के ही आंतरिक कारक निहित थे।

Awadhesh Kumar's Blog: Gujarat and Himachal Election Results Are Natural | अवधेश कुमार का ब्लॉग: गुजरात और हिमाचल के चुनाव परिणाम स्वाभाविक हैं

फाइल फोटो

Highlightsगुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम चौंकाने वाले कतई नहीं है, वस्तुतः यह स्वाभाविक हैंगुजरात के जनादेश ने बता दिया कि राज्य राजनीतिक परिवर्तन के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैवहीं हिमाचल में भाजपा कल्पना से ज्यादा रोगग्रस्त है, 68 में 21 पर बागियों का खड़ा होना इसका संकेत है

गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की रिकॉर्ड जीत पर चकित होने का कोई कारण नहीं है। यही बात हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में भी है। गुजरात में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को झटका लगा है तो इसलिए कि उन्होंने वस्तुस्थिति का गलत आकलन किया था। अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि 27 साल बाद यहां परिवर्तन होगा।

जनादेश ने बता दिया कि राज्य राजनीतिक परिवर्तन के पक्ष में बिल्कुल नहीं है। कांग्रेस का दावा था कि वह धरातल पर काम कर रही है, घर-घर जा रही है और उसे जनता का व्यापक समर्थन है। परिणाम ने बता दिया कि उसका दावा भी सही नहीं था। एक सरल विश्लेषण यह है कि कांग्रेस चुनाव अभियान में भाजपा के समकक्ष कहीं दिख नहीं रही थी।

आप ने जोर लगाया लेकिन उसके पास संगठन नहीं है, वहीं दूसरी ओर भाजपा के पास सरकार है, सशक्त संगठन है तथा नरेंद्र मोदी जैसा लोकप्रिय नेता एवं अमित शाह के जैसे चुनावी रणनीतिकार हैं। हिमाचल का सामान्य विश्लेषण यह है कि यहां पिछले 37 वर्षों से हर चुनाव में सरकार बदलती रही है।

क्या गुजरात तथा हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों को इन्हीं कारकों तक सीमित माना जा सकता है? इसका स्पष्ट उत्तर है, नहीं। केंद्रीय नेतृत्व के बिना अगर कांग्रेस की प्रदेश इकाई हिमाचल में अच्छा प्रदर्शन कर पाई तो इसका मतलब है कि भाजपा वहां कल्पना से ज्यादा रोगग्रस्त है। 68 सीटों में पार्टी के 21 विद्रोहियों का खड़ा होना बताता है कि पार्टी की स्थिति क्या है।

भाजपा विद्रोहियों द्वारा काटे गए मतों के कारण ही हारी है। हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा दोनों का वोट लगभग समान है। विपक्षी कांग्रेस के अंदर व्याप्त निराशा को देखें तो भाजपा को आसानी से चुनाव जीतना चाहिए था, क्योंकि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार के कार्यों को लेकर वहां असंतोष का वातावरण नहीं था।

भाजपा को गहराई से मंथन करना होगा कि पूरे देश के वातावरण से अलग हिमाचल का परिणाम क्यों आया? इसके विपरीत गुजरात में भाजपा ने 1995 में अपने उत्थान के बाद मतों का सर्वोच्च शिखर छुआ है तो राज्य बनने के बाद गुजरात में सबसे ज्यादा सीट पाने का रिकॉर्ड बना दिया।

माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस की 149 सीट का रिकॉर्ड बन गया था, जो अब टूट चुका है। 53 प्रतिशत से ज्यादा मत पाने का अर्थ है कि वह किसी पार्टी से सीधे मुकाबले में भी जीत सकती थी। यानी यह विश्लेषण कि आप नहीं होती तो कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती एवं भाजपा का ग्राफ नीचे आता, सही नहीं दिखता है। 

Web Title: Awadhesh Kumar's Blog: Gujarat and Himachal Election Results Are Natural

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