अवधेश कुमार का ब्लॉग: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रास्ता दिखाया
By अवधेश कुमार | Published: January 28, 2019 09:01 PM2019-01-28T21:01:04+5:302019-01-28T21:01:04+5:30
प्रशांत कुमार व अन्य ने उच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध याचिका दायर की थी. इस मामले की सुनवाई पहले एकल पीठ में हुई जिसने 20 जुलाई 2018 को सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण कराने के नियम को गलत ठहराते हुए याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर विचार करने के निर्देश सरकार को दिए.
यह सच है कि इस समय अनेक राज्यों ने सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए एक निश्चित सीमा तक पदों को आरक्षित किया हुआ है. कुछ नौकरियों के लिए तो राज्य के रोजगार या सेवायोजन कार्यालयों में पंजीयन अनिवार्यता लागू है. अपने राज्य के निवासी तथा राज्य के रोजगार कार्यालयों में पंजीयन के कारण दूसरे राज्य के नौजवान अपने-आप रोजगार के अवसर से वंचित हो जाते हैं.
ऐसे ही एक मामले को उत्तराखंड में न्यायिक चुनौती दी गई थी. उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में एक्स रे तकनीशियन के 45 पदों को भरने के लिए 15 अप्रैल 2016 को एक विज्ञप्ति जारी की थी. उत्तराखंड से बाहर के कुछ लोगों ने उसके लिए ऑनलाइन आवेदन किया लेकिन उनका आवेदन यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया गया कि उनका प्रदेश के किसी भी सेवायोजन कार्यालय में पंजीयन नहीं है.
प्रशांत कुमार व अन्य ने उच्च न्यायालय में इसके विरुद्ध याचिका दायर की थी. इस मामले की सुनवाई पहले एकल पीठ में हुई जिसने 20 जुलाई 2018 को सेवायोजन कार्यालय में पंजीकरण कराने के नियम को गलत ठहराते हुए याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर विचार करने के निर्देश सरकार को दिए. सरकार ने एकल पीठ के इस आदेश को बड़ी पीठ में चुनौती दी जिसमें वर्तमान फैसला आया है.
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व रमेश चंद्र खुल्बे की युगल पीठ ने राज्य सरकार की इस विशेष याचिका पर सुनवाई की. इसने भी अंतत: सरकार की याचिका को खारिज कर याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला सुनाया.
संभवत: भारत के किसी राज्य में ऐसा फैसला पहली बार आया है. इसका मतलब जिस किसी भी राज्य ने स्थानीय लोगों के लिए सरकारी, अर्धसरकारी, स्वायत्त संस्थाओं या निजी क्षेत्रों में भी अपने राज्य के लोगों के लिए निश्चित सीमा तक पदों को आरक्षित किया है वह असंवैधानिक है.
साथ ही राज्य के रोजगार कार्यालयों में निबंधन की शर्त भी अवैध है. ये दोनों बाधाएं हट जाएं तो किसी राज्य का व्यक्ति कहीं भी जाकर अपनी प्रतिभा के आधार पर रोजगार पा सकता है.