अवधेश कुमार का ब्लॉग: सीबीआई में मचा यह घमासान चिंताजनक

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Published: October 24, 2018 04:07 AM2018-10-24T04:07:42+5:302018-10-24T04:07:42+5:30

अस्थाना एवं अन्य पर दर्ज प्राथमिकी एवं वर्मा के खिलाफ अस्थाना के आरोप दोनों सतीश साना के बयान के ही आधार पर हैं। दोनों पक्षों ने सना को ही एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया।

Avadhesh kumar's blog: It's a worrisome issue in the CBI | अवधेश कुमार का ब्लॉग: सीबीआई में मचा यह घमासान चिंताजनक

अवधेश कुमार का ब्लॉग: सीबीआई में मचा यह घमासान चिंताजनक

 सीबीआई के अंदर शीर्ष अधिकारियों के बीच मचा घमासान गहरी चिंता का विषय है। सीबीआई के इतिहास का यह पहला अवसर है जब दूसरे स्थान के शीर्ष अधिकारी विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर घूस लेने की प्राथमिकी निदेशक की पहल पर दर्ज की गई है। 

यह सन्न करने वाली घटना है। हालांकि इसके पहले भी सीबीआई के अधिकारी भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे हैं किंतु अभी तक इतने बड़े अधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी। वैसे तो सीबीआई पर नजर रखने वालों को लंबे समय से अधिकारियों के बीच जारी द्वंद्व का पता था। 

खासकर सीबीआई निदेशक आलोक कुमार वर्मा तथा राकेश अस्थाना के बीच खींचतान व गुटबाजी एजेंसी के अंदर सामान्य घटना की तरह हो चुकी है। किंतु मामला यहां तक पहुंच जाएगा इसकी उम्मीद शायद ही किसी ने की होगी।

 जो प्राथमिकी दर्ज हुई है उसके अनुसार तेलंगाना निवासी कारोबारी सतीश बाबू सना ने बहुचर्चित मांस कारोबारी मोईन कुरैशी मामले से अपनी मुक्ति के लिए सीबीआई के विशेष निदेशक को 2।95 करोड़ रुपए दिए हैं। प्राथमिकी में राकेश अस्थाना के अलावा उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार एवं कारोबरी सोमेश प्रसाद, मनोज प्रसाद और अन्य कुछ अज्ञात लोगों के नाम शामिल हैं। 

अस्थाना एवं अन्य पर दर्ज प्राथमिकी एवं वर्मा के खिलाफ अस्थाना के आरोप दोनों सतीश साना के बयान के ही आधार पर हैं। दोनों पक्षों ने सना को ही एक दूसरे के खिलाफ खड़ा किया। यहां कई प्रश्नों के उत्तर नहीं मिलते। अगर अस्थाना ने घूस लिया तो उनकी टीम ने ही सना के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर क्यों खोला? सना को गिरफ्तार कर पूछताछ करने की अनुमति क्यों मांगी? 

निदेशक ने इसकी अनुमति क्यों नहीं दी? कैबिनेट सचिव एवं मुख्य सतर्कता आयुक्त को पत्न में वर्मा पर दो करोड़ घूस लेने का आरोप क्यों लगाया? यह समझना आसान है कि जब दो उच्चतम अधिकारी एक दूसरे का काम तमाम करने में उलङो होंगे तो सीबीआई के पास जो मामले होंगे उनकी क्या दशा होगी। लंबे समय से सीबीआई ने प्रमुख और चर्चित मामलों में कोई प्रगति नहीं की है। 

अस्थाना कई प्रमुख मामलों की जांच की निगरानी कर रहे हैं। इसमें अगुस्ता वेस्टलैंड चॉपर मामला, विजय माल्या कर्ज धोखाधड़ी, लालू यादव एवं उनके परिवार संबंधी मामले शामिल हैं। 

अस्थाना ने आलोक वर्मा पर लालू से जुड़ी जांच में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था तो निदेशक ने सीबीआई की ओर से बयान जारी करवा दिया कि विशेष निदेशक खुद आधा दर्जन मामलों में आरोपों का सामना कर रहे हैं। 

वर्मा ने अस्थाना के विशेष निदेशक पद पर पदोन्नत किए जाने का यह कहते हुए विरोध किया था कि उनके विरुद्ध जांच चल रही है। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त ने इस आपत्ति को दरकिनार किया तथा नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय ने भी सही ठहराया था। 

इस घटना ने फिर एक बार स्पष्ट कर दिया है कि देश भले निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई की ओर देखता हो, लेकिन वहां हालात अच्छे नहीं हैं।

Web Title: Avadhesh kumar's blog: It's a worrisome issue in the CBI

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