अवधेश कुमार का ब्लॉग: कारोबारियों का समर्थन पाना भाजपा की चुनौती
By अवधेश कुमार | Published: April 26, 2019 07:25 AM2019-04-26T07:25:21+5:302019-04-26T07:25:21+5:30
उद्योगपति-कारोबारी पार्टियों को चंदा भी देते रहे हैं किंतु कोशिश यही रहती है कि उन्होंने किसको कितना चंदा दिया यह सार्वजनिक नहीं हो.
आजाद भारत का संभवत: यह पहला चुनाव है जिसमें देश के कुछ शीर्ष उद्योगपतियों ने खुलकर किसी उम्मीदवार का समर्थन किया है. मुंबई दक्षिण से कांग्रेस के उम्मीदवार मिलिंद देवड़ा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और कोटक महिंद्रा बैंक के प्रबंध निदेशक उदय कोटक के साथ कई कारोबारी उनका नाम लेकर समर्थन कर रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि इसके पहले उद्योगपति या कारोबारी किसी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करते थे, पर वह पर्दे के पीछे से होता था. उद्योगपति-कारोबारी पार्टियों को चंदा भी देते रहे हैं किंतु कोशिश यही रहती है कि उन्होंने किसको कितना चंदा दिया यह सार्वजनिक नहीं हो. वस्तुत: किसी भी व्यापारी की आम सोच यही होती है कि एक पार्टी को खुलेआम समर्थन करना दूसरी पार्टियों का कोपभाजन बनना होगा जो उनके कारोबार को प्रभावित कर सकता है. अंबानी और कोटक ने पार्टी का नाम नहीं लिया है किंतु आप जिस उम्मीदवार का समर्थन कर रहे हैं वह कांग्रेस पार्टी का है, यह सबको पता है. इनका उद्देश्य जो भी हो, पिछले दो वर्षो के अंदर उद्योगपतियों और कारोबारियों के अंदर भाजपा सरकार के प्रति असंतोष बढ़ा है, यह सच है. वैसे यह भी सच है कि भजपा सरकार ने व्यापार के मार्ग में आने वाले अनेक बाधक कानूनों को समाप्त किया है. नियमों को लचीला बनाया है. कंपनियों का निबंधन पहले से आसान हुआ है. उद्योग या कारोबार के लिए बैंक से कर्ज लेना भी आसान बनाया गया है. लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए गए हैं. बिना गारंटी के एक करोड़ तक का कर्ज मिलने का प्रावधान बन गया है. नौकरशाही का स्थान काफी कम कर दिया गया है. जिन कार्यो के लिए विभागीय कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते थे, उनमें से ज्यादातर नेट और वेबसाइट पर पूरा किया जा सकता है. भारत में व्यापार ज्यादा सुगम हुआ है और इसकी रैकिंग भी सुधरी है.
इसके बावजूद कारोबारियों का बड़ा वर्ग आशंकित है. गुजरात चुनाव में पटेलों के अलावा व्यापारियों की नाराजगी का अहसास भाजपा को हो गया था. प्रधानमंत्नी ने एक राज्य के विधानसभा चुनाव में 34 आम सभाएं कीं. चुनाव अभियान में शायद कुछ संकेत मिला. इसलिए राजधानी के तालकटोरा स्टेडियम में देशभर के कारोबारियों से प्रधानमंत्नी ने संवाद किया. उसमें उन्होंने व्यापारियों के हित में उठाए गए कदमों की जानकारी के साथ भविष्य की योजनाएं भी बताईं. मोदी ने अपनी ओर से आश्वस्त करने की कोशिश की कि उनका लक्ष्य भारत में उद्योग और हर प्रकार के वैध कारोबार को प्रोत्साहित कर भारत को दुनिया की प्रमुख आर्थिक शक्ति बनाना है इसलिए वे आश्वस्त रहें. उनके आश्वासन से कारोबारी वर्ग कितना प्रभावित हुआ कहना कठिन है. कुल मिलाकर आज का सच यही है कारोबारी वर्ग भाजपा को लेकर आगा-पीछा की स्थिति में है.