अवधेश कुमार का ब्लॉग: बड़ी आतंकवादी साजिश से बचा देश
By अवधेश कुमार | Published: January 2, 2019 07:34 PM2019-01-02T19:34:24+5:302019-01-02T19:34:24+5:30
सच यही है कि छापेमारी कर आतंकवादी संगठन आईएस से प्रेरित जिस मॉड्यूल का पर्दाफाश किया गया है उसे सुरक्षा ऑपरेशनों के इतिहास की एक बड़ी सफलता के रूप में याद किया जाएगा. छापेमारी दिल्ली, मेरठ, अमरोहा, लखनऊ और हापुड़ में हुई.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा तथा उत्तर प्रदेश आतंकवाद निरोधी दस्ते या एटीएस ने राजधानी दिल्ली से उत्तर प्रदेश तक छापा मारकर जो कुछ सामने लाया है उसका सच यही है कि भारत अनेक आतंकवादी हमलों से बचा लिया गया है. ये तैयारी के अंतिम चरण में थे. सबके पास हथियार पहुंचने के पहले ही ये पकड़ में आ गए इसलिए इनकी साजिशें सफल नहीं हुईं.
किंतु कुछ बुद्धिजीवियों और सक्रियतावादियों की नजर में यह पूरी कार्रवाई ही फर्जी है. एनआईए, उत्तर प्रदेश पुलिस तथा दिल्ली पुलिस क्या इतनी नाकारा है कि बिना किसी सबूत के 26 स्थानों पर छापा मारेगी? क्या वे इतने गैरजिम्मेवार हैं कि बिना किसी आधार के 10 लोगों को आतंकवादी होने के संदेह में गिरफ्तार कर लेंगे? पहले उन्होंने 16 लोगों को पकड़ा था जिनमें से पूछताछ के बाद छह को छोड़ दिया गया.
सच यही है कि छापेमारी कर आतंकवादी संगठन आईएस से प्रेरित जिस मॉड्यूल का पर्दाफाश किया गया है उसे सुरक्षा ऑपरेशनों के इतिहास की एक बड़ी सफलता के रूप में याद किया जाएगा. छापेमारी दिल्ली, मेरठ, अमरोहा, लखनऊ और हापुड़ में हुई. पिछले कुछ दिनों से सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर इनमें से कुछ लोग थे. जैसा एनआईए के आईजी आलोक मित्तल ने बताया, ये मॉड्यूल चार महीने से तैयार हो रहा था. इसकी जानकारी थी और 20 दिसंबर को ही इस मामले में कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जा चुका था.
गिरफ्तार हुए लोगों में सब साधारण परिवार एवं व्यवसाय से हैं. इनके साधारण होने के नाम पर छापा एवं गिरफ्तारी का उपहास उड़ाने वाले तथा विरोध करने वाले जरा बरामद सामग्रियों पर एक नजर डाल लें. छापेमारी में बड़ी संख्या में विस्फोटक, सुसाइड जैकेट, रिमोट कंट्रोल, एक देसी रॉकेट लान्ॅंचर, 25 पिस्तौल, 100 मोबाइल फोन, 135 सिम कार्ड, लैपटॉप, 120 अलार्म घड़ियां, 150 राउंड गोला-बारूद, करीब 25 किलोग्राम बम बनाने की सामग्री, पोटैशियम नाइट्रेट, पोटैशियम क्लोरेट, सल्फर बरामद हुआ है. इनके पास से स्टील पाइप भी मिले हैं, जिसका पाइप बम बनाने में प्रयोग होता है. तलवारें भी मिलीं हैं.
ये सारी सामग्रियां देश में शांति फैलाने में प्रयोग तो हो नहीं सकती थीं. सर्वसामान्य ही नहीं, सुरक्षा स्थितियों को बेहतर तरीके से समझने वालों का भी कलेजा धड़क गया है. अगर ये न पकड़े जाते तो पता नहीं कहां-कहां खून और विध्वंस का खेल खेला जाता, इसकी कल्पना से ही सिहरन पैदा हो जाती है. हाल के वर्षो में आतंकवादी इन्हीं सामग्रियों का उपयोग कर विस्फोट करते रहे हैं.
गहराई से विचार करें तो साफ दिखाई देगा कि इनकी साजिशों में आत्मघाती विस्फोट भी शामिल था. आईएस अपने मुख्य केंद्र इराक एवं सीरिया में पराजित किया जा चुका है लेकिन वह खत्म नहीं हुआ है. उसके विचार से प्रभावित अलग-अलग नामों के संगठन आतंकवाद को अंजाम देते रहे हैं.