Exit Polls: तो क्या मोदीजी के झोला उठा के निकलने का वक़्त आ गया है?
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 7, 2018 07:35 PM2018-12-07T19:35:24+5:302018-12-07T20:43:37+5:30
मध्यप्रदेश, राजस्थान, छ्त्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधान सभा चुनाव के एग्जिट पोल्स के नतीजे आज विभिन्न चैनलों पर आ गये हैं। इन नतीजों की मानें तो बीजेपी के लिए चुनाव परिणाम बेहत निराशाजनक हो सकते हैं।
मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम की विधान सभाओं के लिए 12 नवंबर से सात दिसंबर के बीच हुए चुनाव आज समाप्त हो गये। शुक्रवार को राजस्थान और तेलंगाना विधान सभाओं के लिए मतदान हुआ। इन दोनों राज्यों के चुनाव के लिए मतदान बन्द होते ही अलग-अलग टीवी चैनलों और एजेंसियों के लिए Exit Polls के नतीजे आ गये हैं। एग्जिट पोल्स के नतीजे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नींद उड़ाने वाले हैं।
सभी पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम 11 दिसंबर को आएंगे। चुनाव की असली तस्वीर तभी साफ होगी लेकिन लोक सभा चुनाव 2014 और उसके बाद हुए तमाम विधान सभा चुनावों में जिस तरह एग्जिट पोल्स वास्तविक परिणाम के जिस तरह करीब रहे उससे पीएम मोदी और अमित शाह आज के एग्जिट पोल्स को आसानी से नकार नहीं सकेंगे।
एग्जिट पोल्स के असर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टीवी चैनल आज तक की एंकर अंजना ओम कश्यप ने बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि पात्रा का इतना विनम्र बहुत कम लोगों ने देखा होगा।
मध्यप्रदेश चुनाव का एग्जिट पोल्स करने वाली छह एजेंसियों में से तीन के अनुसार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। दो एजेंसियों के अनुसार राज्य में बीजेपी अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहेगी। मध्यप्रदेश के एग्जिट पोल्स के रुझान से इतना साफ है कि राज्य में एकतरफा मुकाबला नहीं होने जा रहा है। राज्य की कुल 230 सीटों में से सरकार बनाने के लिए 116 सीटों पर जीत की जरूरत होगी। एग्जिट पोल्स अगर सही निकले तो बीजेपी और कांग्रेस की बीच नजदीकी मुकाबला होगा। अगर मामूली अंतर से कांग्रेस सरकार बनाने से पिछड़ जाती है तो भी उसकी सीटों में बड़ा इजाफा होना तय है।
राजस्थान में वसुंधरा को लग सकता है झटका
राजस्थान विधान सभा चुनाव के छह एग्जिट पोल्स में से पाँच के अनुसार कांग्रेस राज्य में सरकार बनाएगी। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में चुनाव लड़नी वाली बीजेपी का राज्य से सूपड़ा साफ हो सकता है। केवल एग्जिट पोल में दावा किया गया है कि बीजेपी राज्य में सत्ता में बरकरार रहेगी।
एग्जिट पोल्स की मानें तो बीजेपी पूर्वोत्तर में कांग्रेस का आखिरी किला शायद ही ढहा पाये। मिजोरम के एग्जिटल पोल्स के अनुसार राज्य में मिजो नेशनल फ्रंट और कांग्रेस के बीच ही सत्ता की दौड़ है। बीजेपी रेस में कहीं नहीं है। राज्य में 10 साल से मुख्यमंत्री पद पर बने हुए कांग्रेसी नेता लल थनहवला को अगर दोबारा सत्ता में वापस आ गये तो इसका एक ही संदेश होगा कि वो अकेले नरेंद्र मोदी, अमित शाह, हेमंत बिस्व शर्मा और राम माधव की चौकड़ी पर भारी साबित हुए।
तेलंगाना के किंग केसीआर
तेलंगाना में बीजेपी बड़ी दावेदार कभी नहीं थी लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर जिस तरह ओवैसी बंधुओं और बीजेपी नेताओं के बीच छिछली और भड़काऊ बयानबाजियों को प्राइम टाइम की डिबेट का विषय बनाया गया उससे ऐसा लगने लगा कि तेलंगाना में ये योगी आदित्यनाथ, अमित शाह की बीजेपी और ओवैसी बंधुओं की एआईएएमआईएम प्रमुख दावेदार हैं। जबकि राज्य में जमीनी स्तर पर मुख्य मुकाबला के चंद्रशेखर राव की टीआरएस और कांग्रेस के बीच ही मान जा रहा था।
तेलंगाना से जुड़े Exit Polls से भी यही संकेत मिल रहे हैं। सभी एग्जिट पोल्स में राज्य में केसीआर के नेतृत्व वाली टीआरएस सरकार बनने का दावा किया गया है। जाहिर है तेलंगाना के निर्माण में केसीआर की केंद्रीय भूमिका रही थी। ऐसे में तेलंगाना की जनता उन्हें लगातार दूसरी बार राज्य की सत्ता सौंपती है तो किसी को हैरत नहीं होगी।
जिन पाँच राज्यों में चुनाव हुए हैं उनमें से छत्तीसगढ़ ही एकमात्र ऐसा राज्य है जहाँ बीजेपी के सत्ता में बने रहने की सबसे ज्यादा संभावना है। राज्य से जुड़े पाँच एग्जिट पोल्स में से दो में कांग्रेस के सत्ता में आने की और तीन में बीजेपी के सत्ता में आने का दावा किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में साल 2002 से ही रमन सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार है।
पीएम मोदी ने माँगे थे 60 महीने
इन पाँच राज्यों के एग्जिट पोल्स अगर सही हैं तो इनका एक संदेश साफ है कि जिन राज्यों में बीजेपी सत्ता मे है उनमें उसे बड़ा नुकसान हो सकता है। बीजेपी के लिए यह स्थिति काफी चिंताजनक होगी क्योंकि इस समय देश में करीब डेढ़ दर्जन राज्यों में बीजेपी सत्ता में है। लोक सभा 2019 के चुनाव महज छह महीने दूर हैं। अगर बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले इन राज्यों में सत्ता-विरोधी लहर का असर दिख रहा है तो अगले आम चुनाव में पीएम मोदी और अमित शाह को केंद्र में वापसी के लिए इस लहर को पार करना आसान नहीं होगा।
अगले लोक सभा चुनाव में पीएम मोदी शायद ही यह कह पाएँ कि "उन्हें 60 साल दिए हमें 60 महीने देकर देखिए।" पिछले आम चुनाव में नरेंद्र मोदी का यह जुमला काफी लोकप्रिय रहा था। ऐसे में साफ है कि अगर ये एग्जिट पोल्स सच के करीब निकले तो समझिए, पीएम नरेंद्र मोदी के 'झोला उठाकर निकल लेने' का वक़्त आ गया है।'