Arvind Kejriwal Resignation: इस्तीफे के दांव से पूरी होगी महत्वाकांक्षा!

By राजकुमार सिंह | Published: September 17, 2024 10:17 AM2024-09-17T10:17:36+5:302024-09-17T10:18:46+5:30

केजरीवाल को 13 सितंबर को जमानत मिली और 15 सितंबर को उन्होंने ऐलान कर दिया कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे और मतदाताओं द्वारा जनादेश के जरिये उन्हें 'ईमानदार' मान लेने के बाद ही पद लेंगे. यह भी कि चुनाव तक आप का कोई अन्य नेता मुख्यमंत्री पद संभालेगा.

Arvind Kejriwal Resignation ambition will be fulfilled by the move of resignation! | Arvind Kejriwal Resignation: इस्तीफे के दांव से पूरी होगी महत्वाकांक्षा!

Arvind Kejriwal Resignation: इस्तीफे के दांव से पूरी होगी महत्वाकांक्षा!

Highlightsकेजरीवाल चाहते हैं कि महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव भी नवंबर में कराए जाएं.  वह न तो नीतिगत फैसले ले सकते हैं और न ही लोक-लुभावन घोषणाओं का ऐलान कर सकते हैं.अगर जनादेश भाजपा के अनुकूल नहीं आया तो विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के तेवर और भी आक्रामक हो जाएंगे. 

चित कौन होगा—यह तो चुनाव परिणाम बताएंगे, लेकिन शराब घोटाले में जमानत पर रिहा अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे के दांव से चौंका सभी को दिया है. गिरफ्तारी के बाद से ही केजरीवाल का इस्तीफा मांगती रही भाजपा ने जमानत की शर्तों के आधार पर भी मांग दोहराई थी, पर आप ने साफ इनकार कर दिया. 

केजरीवाल को 13 सितंबर को जमानत मिली और 15 सितंबर को उन्होंने ऐलान कर दिया कि वह दो दिन बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे और मतदाताओं द्वारा जनादेश के जरिये उन्हें 'ईमानदार' मान लेने के बाद ही पद लेंगे. यह भी कि चुनाव तक आप का कोई अन्य नेता मुख्यमंत्री पद संभालेगा. केजरीवाल चाहते हैं कि महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही दिल्ली विधानसभा चुनाव भी नवंबर में कराए जाएं. 

उनकी इच्छा कितनी पूरी होगी यह तो उनके इस्तीफे पर उप राज्यपाल और फिर चुनाव आयोग के फैसले से तय होगा, लेकिन शराब घोटाले से बनीं परिस्थितियों का दबाव उन पर भी है. 

बेशक जमानत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ के एक सदस्य न्यायमूर्ति उज्जवल भुईयां ने सीबीआई पर तल्ख टिप्पणियां भी कीं, जिसने ईडी केस में जमानत मिलते ही केजरीवाल को गिरफ्तार करने की तत्परता दिखाई थी, लेकिन जमानत की शर्तों के मद्देनजर मुख्यमंत्री की वैसी भूमिका निभा ही नहीं सकते, जिसके लिए केजरीवाल जाने जाते हैं.

वह न तो नीतिगत फैसले ले सकते हैं और न ही लोक-लुभावन घोषणाओं का ऐलान कर सकते हैं. फिर वह चौथी बार जनादेश के लिए मतदाताओं के बीच किस आधार पर जाते? दूसरी ओर 'जमानत पर रिहा अभियुक्त' करार देते हुए भाजपा उनके विरुद्ध चुनाव अभियान चलाती, जिसकी सफाई देते हुए खुद को राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बताने में ही दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार निकल जाता. 

लोकपाल के मुद्दे पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना आंदोलन का समय हो या उसके बाद बनीं आम आदमी पार्टी की राजनीति का दौर—केजरीवाल की छवि आक्रामक नेता और वक्ता की रही है. ऐसे में अपने और पार्टी के भविष्य की लड़ाई वह रक्षात्मक मुद्रा में लड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते. 

पहले भी केजरीवाल सरकार चलाने की जिम्मेदारी अपने उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सौंप कर आप के राजनीतिक विस्तार के जरिये अपनी महत्वाकांक्षाओं के पंख फैलाने में ही जुटे थे इसलिए इस अभूतपूर्व संकटकाल में उन्होंने 'पद-मुक्त' हो कर अपनी उसी पुरानी आक्रामक छवि में लौटने का विकल्प चुना है, जिसने नई नवेली आप को साल भर में ही दिल्ली में सत्तारूढ़ और एक दशक में ही राष्ट्रीय दल बनवा दिया. दिल्ली की तरह पंजाब में भी आप ने प्रचंड बहुमत से सत्ता हासिल की.

मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे कर केजरीवाल, राजनीतिक प्रतिशोध की शिकार आप के संयोजक के रूप में खासकर भाजपा के विरुद्ध आक्रामक अभियान चलाएंगे. अभियान हरियाणा विधानसभा चुनाव से शुरू हो कर दिल्ली, महाराष्ट्र और झारखंड तक जारी रहेगा. 

हाल के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत न मिलने से तेलुगु देशम पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और लोक जनशक्ति पार्टी पर बढ़ गई नरेंद्र मोदी सरकार की निर्भरता के मद्देनजर इन राज्यों के विधानसभा चुनावों का महत्व जगजाहिर है. अगर जनादेश भाजपा के अनुकूल नहीं आया तो विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' के तेवर और भी आक्रामक हो जाएंगे. 

नई लोकसभा के अभी तक के दो सत्रों में और संसद के बाहर भी विपक्ष के तेवर सत्तापक्ष को लगातार घेरनेवाले नजर आ रहे हैं. पूछा जा सकता है कि इन राज्यों में दिल्ली के अलावा तो कहीं भी आप का जनाधार नहीं है. बेशक, लेकिन हरियाणा केजरीवाल का गृह राज्य है. लोकसभा चुनाव साथ लड़नेवाली कांग्रेस ने कई दौर की बातचीत के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में गठबंधन से इनकार कर दिया. 

अब कांग्रेस की तरह आप भी 90 में से 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. केजरीवाल के आक्रामक प्रचार का खतरा कांग्रेस आलाकमान समझता है. ऐसे में अभी भी हरियाणा में तालमेल का रास्ता खोजा जा सकता है. विपक्ष के लिए स्टार प्रचारक की भूमिका निभा सकनेवाले केजरीवाल महाराष्ट्र और झारखंड में भी आप के लिए कुछ सीटों का दबाव बना सकते हैं. 

Web Title: Arvind Kejriwal Resignation ambition will be fulfilled by the move of resignation!

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