लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: मुंबई-दिल्ली की ओर देखता मराठवाड़ा

By Amitabh Shrivastava | Updated: September 17, 2024 10:32 IST

इतिहास गवाह है कि महाराष्ट्र, वर्तमान तेलंगाना और कर्नाटक का कुछ भाग भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी हैदराबाद राज्य से स्वाधीनता पाने के लिए इंतजार करता रहा. इस दौरान आम जनता को काफी कठिनाइयों का सामना किया.

Open in App
ठळक मुद्देविलय के पहले निजाम शासन ने मराठवाड़ा को अपना क्षेत्र मानारियासत का राजस्व और विकास के फैसले हैदराबाद के अधीन ही रहेमराठवाड़ा को ठीक-ठाक पानी भी सत्तर के दशक में मिला

राजनीति की बिसात पर मुंबई-दिल्ली में मोहरे तय होना भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा का एक भाग बन चुका है, लेकिन महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र की किस्मत का फैसला राजधानियों की चार दीवारियों से बाहर नहीं निकल पाना लगातार मजबूरी बना हुआ है. इसी कारण भौगोलिक एकीकरण, सामाजिक समरसता और देशभक्ति का भाव होने के बावजूद क्षेत्र पिछड़ापन की ऐतिहासिक विरासत ढोने के लिए मजबूर है. 

विकास की रफ्तार में उपेक्षा ही किसानों की समस्याएं या आरक्षण की ज्वाला बार-बार धधकने के सीधा कारण हैं. इतिहास में हैदराबाद के निर्णयों पर अपना भविष्य देखना और वर्तमान में मुंबई-दिल्ली से अपने भले की उम्मीद का आसरा रह गया है. हालांकि लोगों ने 13 माह के कष्ट से अपनी जमीन को अपने अधिकार में लिया था.

यूं तो विलय के पहले निजाम शासन ने मराठवाड़ा को अपना क्षेत्र माना, लेकिन रियासत का राजस्व और विकास के फैसले हैदराबाद के अधीन ही रहे. रेलवे लाइन और हवाई जहाज तक की सुविधा होने के बावजूद फायदा शासकों ने लिया. मराठवाड़ा को ठीक-ठाक पानी भी सत्तर के दशक में मिला, जब छत्रपति संभाजीनगर जिले के पैठण में गोदावरी नदी पर जायकवाड़ी बांध बना. उसके बाद मराठवाड़ा के अन्य जिलों में बांध बने और जल संचय के साथ पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता हुई. चालू साल में बरसात अच्छी हुई है, जो एक-डेढ़ साल जलसंकट से राहत दे सकती है, लेकिन खेतों को पर्याप्त पानी मिलना या घरों में नियमित पानी आना अभी मुश्किल ही है. 

शहरी क्षेत्र का विस्तार और जनसंख्या में बढ़ोतरी अपनी जगह बढ़ रही हैं. आवागमन के साधनों में नया हवाई अड्डा दो हजार के दशक में ही बन कर तैयार हो पाया. रेलवे पटरी मीटर गेज से ब्रॉडगेज नब्बे दशक में हुई. दोहरी रेल लाइन अभी-भी पूरी नहीं हो पाई है. लातूर, उस्मानाबाद, बीड़ जिलों की हालत तो आवागमन के मामले में अभी तक अच्छी नहीं है. हाल ही में बने धुलिया-सोलापुर और नागपुर-मुंबई समृद्धि मार्ग जैसे नए रास्ते एक उम्मीद जगाते हैं. किंतु दोनों मार्गों से प्रगति के मार्ग जुड़ना अभी बाकी है.

आज स्वतंत्रता के 76 साल पूरे होने के बाद मराठवाड़ा की चिंताएं अधिक बदली नहीं हैं. शहरी भाग में प्रगति के कुछ निशान मानकर ग्रामीण भागों में अब भी सड़क, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकता के लिए संघर्ष अनावरत जारी है. नौबत यह कि समस्याओं की लंबी सूची कम तो नहीं होती, लेकिन बढ़ जरूर जाती है. उच्च शिक्षा और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए पुणे, मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु की दौड़ जारी है. रोजगार पाने के लिए भी इन्हीं इलाकों में जाना अनिवार्यता बनती जा रही है. 

छत्रपति संभाजीनगर में बड़ी कंपनी के आरंभ होने का इंतजार है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का आना तो मुश्किल हो चला है. अब रेलवे कोच फैक्ट्री से वंदे भारत ट्रेन बनाने की बात हुई थी, मगर उसे वास्तविकता के धरातल पर आना अभी बाकी है.

इतिहास गवाह है कि महाराष्ट्र, वर्तमान तेलंगाना और कर्नाटक का कुछ भाग भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी हैदराबाद राज्य से स्वाधीनता पाने के लिए इंतजार करता रहा. इस दौरान आम जनता को काफी कठिनाइयों का सामना किया. किसानों ने अपने अधिकारों की रक्षा के लिए शस्त्र हाथों में उठाए. आखिरकार स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारतीय सेना के माध्यम से कदम उठाते हुए निजाम शासन और उनकी निजी सेना के रजाकारों के खिलाफ पांच दिनों तक कार्रवाई कर आसफ जाह वंश के अंतिम निजाम, मीर उस्मान अली खान ने सन् 1948 में 17 सितंबर के दिन विलय समझौते पर हस्ताक्षर कराए और हैदराबाद राज्य का भारतीय संघ में मिलना एक वास्तविकता बनाया. किंतु 76 साल बाद भी मराठवाड़ा के संघर्ष के असली परिणाम आने बाकी हैं. निजाम से मिली स्वतंत्रता का अर्थ विकास के रूप में मिलना शेष है. मराठवाड़ा की अपनी समस्याओं का अपनी धरती पर समाधान मिलना बाकी है. अभी भी दिल्ली और मुंबई की ओर मुंह ताकना स्थायी मजबूरी है, जिससे मुक्ति की प्रतीक्षा सदैव बनी हुई है.

टॅग्स :महाराष्ट्रमुंबईदिल्लीहैदराबाद
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र शीतकालीन सत्र: चाय पार्टी का बहिष्कार, सदनों में विपक्ष के नेताओं की नियुक्ति करने में विफल रही सरकार

कारोबारPetrol Diesel Price Today: संडे मॉर्निंग अपडेट हो गए ईंधन के नए दाम, फटाफट करें चेक

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारत अधिक खबरें

भारतगोवा अग्निकांड: मजिस्ट्रियल जांच के आदेश, सीएम प्रमोद सावंत ने ₹5 लाख मुआवज़े की घोषणा की

भारतसतत निगरानी, सघन जांच और कार्रवाई से तेज़ी से घटा है नक्सली दायरा: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भारतयूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में योगी सरकार लाएगी 20,000 करोड़ रुपए का अनुपूरक बजट, 15 दिसंबर हो सकता है शुरू

भारतकांग्रेस के मनीष तिवारी चाहते हैं कि सांसदों को संसद में पार्टी लाइन से ऊपर उठकर वोट देने की आजादी मिले, पेश किया प्राइवेट मेंबर बिल

भारत32000 छात्र ले रहे थे शिक्षा, कामिल और फाजिल की डिग्रियां ‘असंवैधानिक’?, सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद नए विकल्प तलाश रहे छात्र