विनीत नारायण का ब्लॉगः आतंक पर अमित शाह का प्रहार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 1, 2019 08:46 AM2019-07-01T08:46:32+5:302019-07-01T08:46:32+5:30

अब तक देश ने अमित शाह को भाजपा के अध्यक्ष के रूप में देखा है. इस पद रहते हुए उन्होंने एक सेनापति के रूप में अनेक चुनावी महाभारत जिस कुशलता से लड़े और जीते, उससे देश की राजीनीति में उनकी कड़ी धमक बनी है.

amit shah strikes on terror parliament speech budget session | विनीत नारायण का ब्लॉगः आतंक पर अमित शाह का प्रहार

विनीत नारायण का ब्लॉगः आतंक पर अमित शाह का प्रहार

विनीत नारायण

 संसद में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद  देते हुए भारत के गृह मंत्नी अमित शाह ने जितना दमदार भाषण दिया, उससे आतंकवादियों के हौसले जरूर पस्त हुए होंगे. शाह ने बिना लागलपेट के दो टूक शब्दों में आतंकवादियों, विघटनकारियों और देशद्रोहियों को चेतावनी दी कि वे सुधर जाएं, वरना उनसे सख्ती से निपटा जाएगा.

अब तक देश ने अमित शाह को भाजपा के अध्यक्ष के रूप में देखा है. इस पद रहते हुए उन्होंने एक सेनापति के रूप में अनेक चुनावी महाभारत जिस कुशलता से लड़े और जीते, उससे देश की राजीनीति में उनकी कड़ी धमक बनी है. उनके विरोधी भी यह मानते हैं कि इरादे के पक्के, जुझारू और रात-दिन जुटकर काम करने वाले अमित शाह जो चाहते हैं, उसे हासिल कर लेते हैं. इसलिए दिल्ली की सत्ता के गलियारों और मीडिया के बीच चर्चा होने लगी है कि अमित शाह शायद कश्मीर समस्या का हल निकालने में सफल हो जाएं. 

हालांकि इस रास्ते में चुनौतियां बहुत हैं. गृह मंत्नी शाह ने अपने भाषण में यह साफ कहा कि आतंकवादियों को मदद पहुंचाने वालों या शरण देने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा. उल्लेखनीय है कि कश्मीर के खतरनाक आतंकवादी संगठन ‘हिजबुल मुजाहिदीन’ को दुबई और लंदन से आ रही अवैध आर्थिक मदद का खुलासा 1993 में मैंने ही किया था. 

अमित शाह जैसे कुशल सेनापति को किसी की सलाह की जरूरत नहीं होती. वे अपने निर्णय लेने  में स्वयं सक्षम हैं, पर फिर भी उन्हें ये सावधानी बरतनी होगी कि आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे पर कोई निर्णय लेने से पहले वे उन सभी लोगों से राय जरूर लें, जिनका इस समस्या से लड़ने में गत 30 वर्षो में कुछ न कुछ महत्वपूर्णं योगदान रहा है. 

केंद्रीय खुफिया ब्यूरो के पुराने निदेशक ही नहीं, जम्मू कश्मीर में नौकरी कर चुके स्वच्छ छवि वाले पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों से भी अमित शाह जी को बात करनी चाहिए. ताकि एक ऐसी रणनीति बने, जो कारगर भी हो और उसमें जान-माल की कम से कम हानि हो. अगर अमित शाह 72 साल से लटकी हुई कश्मीर की समस्या को हल करवाने में सफल हो जाते हैं, तो वे एक बड़ा इतिहास रचेंगे.

Web Title: amit shah strikes on terror parliament speech budget session

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