आलोक मेहता का ब्लॉग: प्रधानमंत्री ने संसद के समर्थन से फटाफट इतने ऐतिहासिक निर्णय लागू कर दिए कि दुनिया चौंक गई

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 30, 2020 02:18 PM2020-05-30T14:18:51+5:302020-05-30T14:18:51+5:30

पर्वत की ऊंचाइयों पर स्वयं टिके रहना और उस पर लगाया ध्वज निरंतर लहराते रखने की व्यवस्था आसान नहीं होती.

Alok Mehta's blog: The Prime Minister, with the support of Parliament, implemented so many historical decisions that the world was shocked. | आलोक मेहता का ब्लॉग: प्रधानमंत्री ने संसद के समर्थन से फटाफट इतने ऐतिहासिक निर्णय लागू कर दिए कि दुनिया चौंक गई

नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरा होने की सफलता पर गौरव करने के साथ तत्काल कल-कारखानों में काम शुरू करवाने की घोषणाओं, अनुदान-कर्ज के प्रावधानों को लागू करवाने तथा नए सिरे से निर्माण कार्यो को शुरू करवाने के लिए राज्यों से पूरा तालमेल करना होगा.

इतिहास के काले पन्नों को बहुत पीछे दबाते हुए नए सुनहरे पन्ने लिखे गए. ऊंची पर्वत श्रृंखला पर पहुंच गए. युद्ध में नए इलाकों पर विजय पाते गए. लेकिन असली चुनौतियां इसके बाद शुरू होती हैं. नया इतिहास या पुराने में सुनहरे पृष्ठ लिखने के बाद उनकी चमक बनाए हुए सुरक्षित रखना कठिन होता है. पर्वत की ऊंचाइयों पर स्वयं टिके रहना और उस पर लगाया ध्वज निरंतर लहराते रखने की व्यवस्था आसान नहीं होती.

युद्ध की विजय के बाद उन इलाकों को संभालना और लोगों को खुशहाल रखना असली परीक्षा होती है. यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार और पार्टी की सत्ता के सातवें वर्ष में प्रवेश पर लागू हो रही है. दुबारा लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केवल चार महीनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के समर्थन से फटाफट इतने ऐतिहासिक निर्णय लागू कर दिए कि देश ही नहीं दुनिया चौंक गई.

चाहे जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 की समाप्ति  या तीन तलाक की भयावह कुप्रथा को एक ही झटके में खत्म करना अथवा दशकों से आधे रास्ते पर खड़े पड़ोसी हिंदुओं के लिए नागरिकता देने का निर्णय या ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास के क्रांतिकारी कदम लोकतंत्र के इतिहास में हमेशा महत्वपूर्ण रहने वाले हैं.

इसी तरह सारी कठिनाइयों, समस्याओं के बावजूद शताब्दी की सबसे बड़ी महामारी कोविड-19 के विश्वव्यापी संकट में डेढ़ अरब की आबादी को अन्य संपन्न शक्तिशाली देशों की तुलना में सुरक्षित जीवित रखना भी शायद अगली शताब्दियों तक स्मरणीय रहेगा.

विश्व में हिमालय के आंगन में तीन हजार से अधिक झीलों वाला देश कोई और नहीं है. लगभग यही स्थिति असम और पूर्वोत्तर राज्यों की है. वहां भी पर्यटन और औद्योगिक विकास की व्यापक अपेक्षाएं तथा संभावनाएं हैं.

नागरिकता संशोधन कानून का लाभ केवल राजनीतिक नहीं सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अधिक मिल सकता है. चुनौती इस बात की अवश्य रहेगी कि असम और पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक भी सुरक्षित एवं विकास से जुड़ा महसूस करते रहें.

यहां इस बात का उल्लेख जरूरी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि ये फैसले प्रारंभिक महीनों में नहीं लेते तो क्या इस साल उन मुद्दों को प्राथमिकता देकर समर्थन लिया जा सकता था? प्रतिपक्ष ही नहीं प्रगतिशील कहे जाने वाले एक वर्ग ने भी इन्हें जल्दबाजी तथा व्यापक सलाह-मशविरा किए बिना लिए गए निर्णय कहकर आलोचना की. लेकिन पूरे देश के साथ उन्हें याद नहीं कि वर्षो तक इन विषयों पर संसद से सड़कों पर बहस, आंदोलन, अभियान, कानूनी दांवपेंच होते रहे.

केवल नई कमेटी बनाकर या बैठकों में फिजूल की नई माथापच्ची से सारे मुद्दे लटके रह जाते.  जमींदारी उन्मूलन, राजाओं के प्रिवीपर्स खत्म करने या बैंकों के राष्ट्रीयकरण को लेकर विपक्ष ही नहीं कांग्रेस के एक वर्ग की सहमति नहीं थी. इस बार कश्मीर, तलाक और नागरिकता के मुद्दों पर भाजपा पूरी तरह एक स्वर के साथ और कई अन्य राजनीतिक दल साथ रहे तथा संपूर्ण देश में स्वागत हुआ. कोरोना के संकट से निपटने के मुद्दे पर भी अनावश्यक विरोध व्यक्त हो रहा है.  

यह सही है कि उत्तर भारत के श्रमिकों ने सर्वाधिक कष्ट ङोला. कुछ सप्ताह में धैर्य, धन, मजदूरी, रोटी का संकट होने पर वह घर-गांवों की ओर निकल पड़े. लेकिन आप इस बात की तो सराहना करेंगे कि वे अपने बोरिया बिस्तर, परिवार, टूटी लाठियां लेकर संसद, विधानसभा, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री के दरवाजे के सामने जाकर नहीं खड़े हो गए.

वे कांग्रेस या किसी अन्य पार्टी, संगठन के भड़काऊ राजनीतिक बयानों से उत्तेजित नहीं हुए. गांवों में बैठे उनके परिजनों, पंचायतों ने उन्हें भरोसा भी दिलाया कि घर आने पर ही कुछ इंतजाम होगा, बस किसी तरह कुशल से आ जाओ. किसी प्रदेश में कोई उग्रता नहीं दिखाई गई, सबने प्रधानमंत्री के निर्णयों का बहुत हद तक पालन किया. इसका एक कारण यह भी रहा कि लगभग आठ-दस करोड़ किसानों के खातों में थोड़ी-थोड़ी रकम सीधी पहुंची.

ग्रामीणों के मकान बनने का काम कुछ हफ्ते रु का लेकिन उन्हें मालूम है कि अगली किस्त भी आएगी. मोदी सरकार को एक साल की सफलता पर गौरव करने के साथ तत्काल कल-कारखानों में काम शुरू करवाने की घोषणाओं, अनुदान-कर्ज के प्रावधानों को लागू करवाने तथा नए सिरे से निर्माण कार्यो को शुरू करवाने के लिए राज्यों से पूरा तालमेल करना होगा.

ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों और मजदूरों के लिए आवश्यक संसाधन में सहायता दिलवानी होगी. संभव है कई श्रमिक परिवार वहीं काम करने लगें और कई कुछ सप्ताह बाद फिर शहरों की तरफ लौटने लगें. इसलिए  लघु मध्यम अथवा बड़े उद्योगों के लिए बैंकों या विदेशी पूंजी की व्यवस्था करवाने को प्राथमिकता देनी होगी. इसी तरह प्रतिपक्ष को सब कुछ गलत कहने के बजाय रचनात्मक भूमिका निभानी होगी. किसी भी कामयाबी के लिए स्वयं के साथ समाज का विश्वास जीतना जरूरी होता है.

Web Title: Alok Mehta's blog: The Prime Minister, with the support of Parliament, implemented so many historical decisions that the world was shocked.

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