वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: तब अखंड भारत अब आर्यावर्त

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 16, 2022 03:03 PM2022-04-16T15:03:48+5:302022-04-16T15:03:48+5:30

इस आर्यावर्त की सीमाएं अराकान (म्यांमार) से खुरासान (ईरान) और त्रिविष्टुप (तिब्बत) से मालदीव तक होनी चाहिए। इनमें मध्य एशिया के पांच गणतंत्रों और मॉरिशस को जोड़ लें तो यह 16 देशों का विशाल संगठन बन सकता है।

Akhand Bharat can become Aryavart vedpratap vaidik blog | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: तब अखंड भारत अब आर्यावर्त

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: तब अखंड भारत अब आर्यावर्त

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक ऐसा महत्वपूर्ण मुद्दा हरिद्वार के एक समारोह में उठा दिया है, आजकल कोई जिसका नाम भी नहीं लेता, न तो कोई राजनीतिक दल, न कोई सरकार और न ही कोई नेता ‘अखंड भारत’ की बात करता है। मोहनजी का कहना है कि अखंड भारत का यह स्वप्न अगले 15 साल में पूरा हो सकता है।

ऐसा हो जाए तो क्या कहने? लेकिन जो काम पिछले 75 साल में नहीं हुआ, वह सरकारों और नेताओं के भरोसे अगले 15 साल में कैसे हो सकता है? सबसे पहली बात तो यह है कि नेताओं को इस मुद्दे की समझ होनी चाहिए। दूसरी बात यह कि उनमें इसे ठोस रूप देने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए। मेरी विनम्र राय है कि यह काम सरकारों से कहीं बेहतर वे गैर-सरकारी संस्थाएं कर सकती हैं, जो सर्वसमावेशी हों।

1945-50 के दिनों में गुरु गोलवलकर ने अखंड भारत और डॉ. राममनोहर लोहिया ने भारत-पाक एक का नारा दिया था। उस समय के लिए ये दोनों नारे ठीक थे लेकिन आज के दिन इन दोनों नारों के क्षेत्र को बहुत फैलाने की जरूरत है। ये दोनों नारे उस समय के अंग्रेज के भारत के बारे में थे लेकिन 50-55 साल पहले जब 15-20 पड़ोसी देशों में मुझे जाने और रहने को मिला तो मुझे लगा कि हमें महर्षि दयानंद के सपनों का आर्यावर्त खड़ा करना चाहिए़।

इस आर्यावर्त की सीमाएं अराकान (म्यांमार) से खुरासान (ईरान) और त्रिविष्टुप (तिब्बत) से मालदीव तक होनी चाहिए। इनमें मध्य एशिया के पांच गणतंत्रों और मॉरिशस को जोड़ लें तो यह 16 देशों का विशाल संगठन बन सकता है। बाद में इसमें थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात को भी जोड़ा जा सकता है। 

यह दक्षेस (सार्क) के आठ देशों से दोगुना है। इन देशों को मिलाकर मेरा सपना है कि इसे यूरोपीय संघ से भी अधिक मजबूत और संपन्न संगठन बनाया जाए। हमारे इन राष्ट्रों में यूरोप से कहीं अधिक धन-संपदा है और अगले 5 साल में संपूर्ण दक्षिण व मध्य एशिया (आर्यावर्त) के लोग यूरोपीय लोगों से भी अधिक संपन्न बन सकते हैं।

Web Title: Akhand Bharat can become Aryavart vedpratap vaidik blog

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