वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भाजपा का रामबाण है मिशेल
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 7, 2018 09:26 AM2018-12-07T09:26:20+5:302018-12-07T09:26:20+5:30
मिशेल का प्रत्यर्पण ही डगमगाती नाव का सहारा बन सकता है। अगुस्ता-वेस्टलैंड का मामला राफेल-सौदे को भी मंच के नीचे ढकेल देगा
अगस्ता-वेस्टलैंड हेलिकॉप्टरों के सौदे में बिचौलिए का काम करनेवाले क्रिश्चियन मिशेल को आखिरकार हमारी सरकार ने धर दबोचा है। 3000 करोड़ रु। के इस सौदे में लगभग 300 करोड़ रु। की रिश्वत बांटनेवाले इस दलाल को दुबई से पकड़कर दिल्ली ले आया गया है। जांच ब्यूरो के अधिकारी इससे अब सारी सच्चाई उगलवाएंगे। फौज के लिए खरीदे गए हेलिकॉप्टरों के सौदे में किस नेता और किस अफसर को कितने रु। दिए गए हैं, ये तथ्य अब इस ब्रिटिश नागरिक मिशेल से उगलवाए जाएंगे। इसके पहले उक्त कंपनी के जो अफसर पकड़े गए थे, उनकी डायरियों से कुछ नाम उजागर हुए हैं। हमारी फौज के एक बड़े अफसर पर भी रिश्वतखोरी के आरोप हैं।
प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के हाथ में यह जबर्दस्त हथियार आ गया है। हो सकता है कि मिशेल जो भी सच उगले, वह कांग्रेस के गले की फांस बनाने की कोशिश हो। चुनाव के अगले छह-सात माह में भाजपा के लिए वह रामबाण सिद्ध हो सकता है। हमारे प्रधानमंत्नी इतने तीर चलाएंगे कि कांग्रेस का महागठबंधन परेशान हो सकता है। भाजपा यह दावा भी कर सकती है कि जब उसने मिशेल-जैसे ब्रिटिश नागरिक को अपने पंजे में फंसा लिया तो विजय माल्या, नीरव मोदी और चोकसी वगैरह तो अपने ही खेत की मूली हैं।
उसका भ्रष्टाचार-विरोधी चेहरा देश के मतदाताओं को उसके प्रति उत्साह से भर सकता है। मोदी सरकार ने देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए बहुत-सी पहल की हैं। उसमें से कई तो विफल हो गईं और कइयों के सुपरिणाम पर्याप्त ठोस नहीं हैं।
ऐसे में मिशेल का प्रत्यर्पण ही डगमगाती नाव का सहारा बन सकता है। अगुस्ता-वेस्टलैंड का मामला राफेल-सौदे को भी मंच के नीचे ढकेल देगा। लेकिन यह न भूलें कि दिल्ली में यदि दूसरी कोई सरकार आ गई तो उसके हाथ में राफेल का ब्रह्मास्त्न होगा। भ्रष्टाचार तो लोकतांत्रिक सरकारों की प्राणवायु है। उसके बिना वे जिंदा रह ही नहीं सकतीं।