राजेंद्र पाल गौतम का ब्लॉगः समानता के पैरोकार संत रविदास
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 19, 2019 01:56 PM2019-02-19T13:56:29+5:302019-02-19T15:06:08+5:30
संत रविदास हर तरह की विषमता, चाहे वो जन्म के आधार पर हो, आर्थिक या राजनीतिक हो, उसके विरोध में एक बड़े सांस्कृतिक अभियान पर निकले थे. वे कहते थे कि जन्म के कारण कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है, आदमी को छोटा उसका कर्म बनाता है.
संत रविदासजी का जन्म वाराणसी में हुआ. वे जूते बनाने और सुधारने का काम किया करते थे. एक महान संत, दार्शनिक, समाज सुधारक, कवि और भक्तिकाल के प्रदीप्त कर्मयोगी ने अपने पेशे में रहते हुए भी भक्तिकाल का नेतृत्व किया. अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्होंने लोगों को सामाजिक एवं धार्मिक संदेश दिए.
जिस समय रविदासजी का जन्म हुआ उस समय समाज में धर्म के नाम पर जाति और रंगभेद बहुत व्याप्त था. रविदासजी ने लोगों को संदेश दिया कि भगवान ने इंसान को बनाया है न कि इंसान ने भगवान को. इसका मतलब सब इंसान बराबर हैं. रविदासजी ने समाज से छुआछूत और भेदभाव को दूर करने की ठानी और अपनी रचनाओं तथा वाणी के माध्यम से लोगों को संदेश देना शुरू किया. रविदासजी समाज में ऐसी शासन व्यवस्था चाहते थे जहां सबको भोजन मिले, कोई भी भूखा न सोए और जहां छोटे-बड़े की कोई भावना न रहे. सभी मनुष्य समान हों और प्रसन्न रहें.
वैश्वीकरण के इस दौर में जब बाजार की शक्तियां प्रभावी हैं, मानवता गिरती जा रही है. कॉरपोरेट संस्कृति की चकाचौंध में गरीबी केवल राजनीतिक शब्दावली बन कर रह गई है, ऐसे में हमको रविदासजी का मकसद नहीं भूलना चाहिए.
संत रविदास हर तरह की विषमता, चाहे वो जन्म के आधार पर हो, आर्थिक या राजनीतिक हो, उसके विरोध में एक बड़े सांस्कृतिक अभियान पर निकले थे. वे कहते थे कि जन्म के कारण कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है, आदमी को छोटा उसका कर्म बनाता है.
जब भी समाज में असमानता अपने चरम पर रही तब उस युग के समकालीन पुरोधाओं ने आवाज उठाई और समाज को एक नई दिशा देने का काम किया. आज रविदासजी की शिक्षा पर चलते हुए हमें ऐसे समाज का निर्माण करना चाहिए जहां गैरबराबरी और असमानता के लिए कोई जगह न हो.
सबको अवसर, समान सुविधाएं मुहैया कराना ही किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. संत रविदास के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम समाज के सभी नागरिकों को समान अवसर देने हेतु कटिबद्ध हों.