भ्रष्ट अफसरों के विरुद्ध कार्रवाई सराहनीय कदम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: June 12, 2019 03:22 PM2019-06-12T15:22:17+5:302019-06-12T15:22:17+5:30
आजादी के बाद भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ संभवतया सबसे बड़ी कार्रवाई में नरेंद्र मोदी सरकार ने आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त स्तर तक के 11 भ्रष्ट अधिकारियों की छुट्टी कर दी है.
आजादी के बाद भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ संभवतया सबसे बड़ी कार्रवाई में नरेंद्र मोदी सरकार ने आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त स्तर तक के 11 भ्रष्ट अधिकारियों की छुट्टी कर दी है. अधिकारियों को सरकार ने नियम 56 जे के तहत प्राप्त विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करके अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया. इनमें से कुछ अफसरों पर रिश्वत, जबरन वसूली, बदनीयती से फैसले तो एक पर दो महिला अफसरों का यौन शोषण करने के गंभीर आरोप लगे थे. कई लोग इसे मोदी सरकार के सफाई अभियान के रूप में देख रहे हैं.
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी इसी नियम के तहत ऐसे कुछ और सरकारी अधिकारियों पर गाज गिर सकती है जिन पर भ्रष्टाचार, अवैध और बेहिसाब संपत्ति के आरोप लग चुके हों. भारत विश्व में तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, लेकिन भारत में कालाधन और भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या है. कालाधन अघोषित आय है जिस पर टैक्स की देनदारी बनती है लेकिन उसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को नहीं दी जाती. कालेधन के कारण भारत में समानांतर अर्थव्यवस्था खड़ी है, जो भारत के समावेशी विकास में बाधा है.
देश में शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र होगा जिस पर सरकार ने नीतिगत ढांचा तैयार नहीं किया है. हर बात के लिए कानून तो है, लेकिन क्रियान्वयन पर सवालिया निशान लगते रहते हैं. कानून के दुरुपयोग या यूं कहें सही समय और सही स्थान पर सही रूप में इसका इस्तेमाल न होने पर भ्रष्टाचार का जन्म होता है. भ्रष्ट आचरण से ऐसा माहौल बनता है जिसमें साफ-सुथरी प्रतिस्पर्धा के लिए जगह नहीं बचती, आर्थिक प्रगति अवरुद्ध होती है और अंतत: देश का भारी नुकसान होता है. हमारे देश में आम तौर पर शिकायत मिलने पर ही भ्रष्टाचार की जांच की जाती है.
जबकि संदिग्ध कर्मचारियों पर सतत निगाह रखी जानी चाहिए. उस व्यवस्था को ठीक करना होगा जिसमें भ्रष्ट व्यक्ति उच्च पदों पर नियुक्त हो जाते हैं. एक तरफ तो विश्व में हम आर्थिक तौर पर तेजी से बढ़ने वाले देशों में सबसे आगे हैं, दूसरी तरफ भ्रष्टाचार की ग्लोबल रैंकिंग में, कई कदम उठाने के बावजूद अपनी स्थिति सुधार नहीं पा रहे हैं. भ्रष्टाचार की बीमारी को कुछ वर्ग विशेष के लोगों ने अपने स्वार्थ के कारण फैला रखा है. गरीबों के हक को नजरंदाज कर ये खुद फलते-फूलते रहे हैं. कुछ लोगों ने पद का दुरुपयोग करते हुए इसका भरपूर फायदा उठाया. प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार पर प्रहार का वादा किया था. इस वादे पर आगे बढ़ते हुए उनका यह कदम निश्चित ही भ्रष्ट अफसरों की नींद उड़ा देगा और व्यवस्था में सुधार भी हो सकेगा.