जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः छोटे कारोबारियों के अच्छे दिन!

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 9, 2018 09:57 AM2018-11-09T09:57:29+5:302018-11-09T09:57:29+5:30

देश में एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित करीब 6.5 करोड़ इकाइयां हैं, जिनमें करीब 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यह क्षेत्र देश में कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है।

Achhe Din came for small businessmen after noteban? | जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः छोटे कारोबारियों के अच्छे दिन!

जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉगः छोटे कारोबारियों के अच्छे दिन!

जयंतीलाल भंडारी

हाल ही में 5 नवंबर को केंद्र सरकार ने देश के सूक्ष्म, लघु और मझोले (एमएसएमई) क्षेत्र की इकाइयों को राहत एवं समर्थन कार्यक्रम के लिए 90 अरब रुपए आवंटित किए हैं। इस समर्थन कार्यक्रम की घोषणा विगत 2 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। निश्चित रूप से एमएसएमई इकाइयों ने नोटबंदी और जीएसटी के झटकों से मिली मुश्किलों को झेला है। 

देश में एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित करीब 6.5 करोड़ इकाइयां हैं, जिनमें करीब 12 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है। यह क्षेत्र देश में कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। चूंकि देश के ऐसे महत्वपूर्ण एमएसएमई क्षेत्र के कारोबारियों के द्वारा अभी तक कारोबार संबंधी परेशानियों का सामना किया जा रहा है, अत: उनके द्वारा सरकार से राहत और समर्थन की अपेक्षा की जा रही थी। यह अपेक्षा अब पूरी हुई है। 

एमएसएमई क्षेत्र के पुनर्जीवन के लिए दिए गए 12 विभिन्न प्रोत्साहनों के तहत अब जीएसटी में रजिस्टर्ड एमएसएमई इकाइयां नए पोर्टल के जरिए सिर्फ 59 मिनट में एक करोड़ रुपए तक कर्ज हासिल कर सकती हैं। इस सीमा के भीतर अतिरिक्त कर्ज पर ब्याज में दो फीसदी छूट मिलेगी। एमएसएमई को निर्यात के लिए प्री और पोस्ट शिपमेंट कर्ज पर ब्याज में छूट तीन फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी की गई है। 

एमएसएमई फैक्ट्रियों के निरीक्षण को कम्प्यूटराइज्ड रेंडम अलॉटमेंट के जरिए मंजूरी दी जाएगी। इंस्पेक्टर को रिपोर्ट 48 घंटे के भीतर पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। पर्यावरण नियमों को भी आसान किया गया है। फैक्ट्री लगाने के लिए वायु और जल प्रदूषण की सिर्फ एक मंजूरी लेने की जरूरत होगी। आठ श्रम कानूनों व 10 केंद्रीय नियमों के लिए एमएसएमई को सिर्फ एक सालाना रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा। 

छोटे-मोटे केस विभागों में ही निपटाए जाएंगे, सरकारी कंपनियों को हर साल अपनी 25 फीसदी खरीद एमएसएमई से करनी पड़ेगी। अब तक यह सीमा 20 फीसदी थी। इसमें 3 फीसदी खरीद महिला उद्यमियों से करनी होगी। छोटी कंपनियों पर बड़ी की तुलना में आधी पेनाल्टी लगेगी। छह हजार करोड़ से तकनीकी उन्नयन के 20 हब और 100 टूल रूम बनाए जाएंगे। 

आशा करें कि 2 नवंबर को केंद्र  द्वारा सूक्ष्म, छोटी और मझोली औद्योगिक और कारोबारी इकाइयों को जो  12 प्रोत्साहन पैकेज दिए गए हैं उनसे इन क्षेत्रों की इकाइयों की मुश्किलों में कमी आएगी।

Web Title: Achhe Din came for small businessmen after noteban?

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