अभिषेक कुमार सिंह का ब्लॉग: उड़ते ही डगमगा न जाए ड्रोन
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 5, 2018 02:20 PM2018-12-05T14:20:53+5:302018-12-05T14:20:53+5:30
ड्रोन को जब बनाया गया था तो यह महज एक खिलौना था। वक्त के साथ इसकी जरूरतें बदलने लगीं। जो कभी खिलौना था, अब उसका इस्तेमाल निगरानी रखने से लेकर युद्ध के मैदान में भी शुरू हो गया है।
सरकार ने देश में ड्रोन का परिचालन करने के लिए नियम तय करते हुए पहली दिसंबर से नई ड्रोन नीति लागू कर दी है। इन नियमों के तहत ड्रोन का इस्तेमाल करने वालों को अपने ड्रोन का एक बार रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उन्हें ड्रोन के पायलट और मालिक का विवरण भी दर्ज कराना होगा। इसके ऑनलाइन पंजीकरण के लिए एक पोर्टल डिजिटल स्काई की शुरु आत भी की गई है। हालांकि अभी सरकार ने नैनो ड्रोन को इन कायदों से बाहर रखा है, पर नागर विमानन मंत्नी जयंत सिन्हा ने एक टास्क फोर्स भी गठित किया है जो साल के अंत तक एक रिपोर्ट जारी कर ड्रोन्स की स्वायत्त उड़ानों के विषय में नए नियम लागू करने की सिफारिश कर सकता है।
ताजा नियमों के तहत अभी देश में ड्रोन का व्यावसायिक इस्तेमाल करते हुए इनसे किसी सामान या खाद्य पदार्थो की डिलीवरी की इजाजत नहीं होगी। सिर्फ कृषि, स्वास्थ्य और आपदा राहत के लिए इन्हें उड़ाया जा सकेगा। लेकिन कानूनी दायरे में ड्रोन्स का उड़ना देश के लिए नई बात है। सनसनी मचाने वाली इस सूचना का दूसरा पहलू यह है कि देश को ड्रोन्स के खतरों से निपटने के लिए तैयार होना पड़ेगा, क्योंकि अभी तक चोरी-छिपे जहां कहीं भी ड्रोन उड़ते देखे गए हैं, ज्यादातर मौकों पर उनसे हड़कंप मचा है।
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सुरक्षा कारणों से देश की राजधानी दिल्ली में कैमरे वाले ड्रोन उड़ाने की अभी तक इजाजत नहीं दी गई है, एयरपोर्ट, प्रधानमंत्नी आवास और राष्ट्रपति भवन जैसे इलाकों में उड़ते ड्रोनों की खबरों पर अक्सर हैरानी हुई है। इससे इनकार नहीं कि आने वाला वक्त ड्रोन्स का होगा। पर ड्रोन का एक खतरनाक चेहरा भी है। यह है युद्ध और आतंकवाद में इनका इस्तेमाल और यही ड्रोन्स का सबसे चिंताजनक पहलू है।
ड्रोन को जब बनाया गया था तो यह महज एक खिलौना था। वक्त के साथ इसकी जरूरतें बदलने लगीं। जो कभी खिलौना था, अब उसका इस्तेमाल निगरानी रखने से लेकर युद्ध के मैदान में भी शुरू हो गया है। जैसे-जैसे कम्प्यूटर स्मार्ट होते जा रहे हैं, ड्रोन भी स्मार्टनेस की तरफ बढ़ रहे हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि वह दिन दूर नहीं जब इंसानी कंट्रोल की दरकार धीरे-धीरे कम हो जाएगी और एक खास कमांड देकर सारा काम ड्रोन पर ही छोड़ा जा सकेगा।
यह देखते हुए कि हमारे देश में अभी भी साइबर सिक्योरिटी काफी पेचीदा मसला है, ऐसे में ड्रोन को कोई खुली छूट देना परेशानी का सबब बन सकता है। इस नजरिये से सरकार की ड्रोन पॉलिसी एक शुरुआती कदम है और इसमें हमें जरूरत और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बड़े बदलावों की अपेक्षा करनी होगी।