आलोक मेहता का ब्लॉगः नई उम्मीदों की लहर से ही हासिल होगी कोरोना पर फतह
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 29, 2020 12:51 PM2020-03-29T12:51:02+5:302020-03-29T12:51:02+5:30
लंदन से मेरी बेटी आस्था ने सभी चिंताजनक खबरों के बावजूद कहा कि इन दिनों टीवी और सोशल मीडिया पर सकारात्मक और कोरोना से बचाव को मिल रही सफलताओं की सकारात्मक खबरों पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए. बेटी होने से उसकी बात पर थोड़ा संतोष हो सकता है लेकिन जब विश्व स्वास्थ्य संगठन के जिनेवा स्थित विशेषज्ञ डेविड नेबारो ने भी भारत द्वारा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उठाए गए कदमों और जनता के व्यापक सहयोग से संकट पर नियंत्नण का विश्वास व्यक्त किया तो सचमुच लगा कि सकारात्मक सोच से मानसिक शक्ति ही नहीं रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है.
कुछ घंटे बाद अमेरिका के प्रमुख अखबार ‘लॉस एंजिलिस टाइम्स’ को दिया गया नोबल पुरस्कार विजेता जैव भौतिकी वैज्ञानिक मिशेल लेविट का इंटरव्यू पढ़ने को मिला, जिसमें उन्होंने शोध और तर्को के आधार पर विश्वास व्यक्त किया कि कोरोना वायरस-19 पर बहुत जल्द नियंत्नण हो जाएगा. उनकी बात इसलिए सही मानी जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने अपने अध्ययन के आधार पर फरवरी के प्रारंभ में यह निष्कर्ष सार्वजनिक रूप से बता दिया था कि कोरोना से चीन में लगभग 80 हजार लोग प्रभावित होंगे तथा करीब 3250 लोगों की मृत्यु हो सकती है. उनका आकलन बहुत सही निकला और वहां कोरोना से हुई क्षति के अधिकृत आंकड़े उसी के आसपास हैं.
अब भारत के भोले-भाले लोगों को यह भी समझ लेना चाहिए कि अपनी वैज्ञानिक प्रगति एवं संस्कृति के मिलेजुले प्रयास इटली जैसे विकसित संपन्न देशों से बेहतर हैं. यही नहीं अंधविश्वासों से बहुत हद तक निजात पाते हुए पिछले वर्षो के दौरान व्यापक टीकाकरण अभियानों और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का लाभ मिल रहा है. कोरोना संक्र मण के वर्तमान संकट में अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ इस बात की ओर ध्यान दिला रहे हैं कि इटली में रोग प्रतिरोधक टीकों के विरुद्ध अभियान और संसद द्वारा भी टीकों की अनिवार्यता खत्म करने की वजह से भी इस समय मरने वालों की संख्या चीन से अधिक हो गई है. दुनिया अब भारत को इस आधार पर भी महत्व दे रही है कि हमने चेचक तथा पोलियो जैसे खतरनाक रोगों पर पूर्ण नियंत्नण में अद्भुत सफलता प्राप्त की है. इसमें कोई शक नहीं कि अपनी स्वास्थ्य एवं शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए हमें लंबी दूरी तय करनी है.
फिर भी देश की सवा अरब जनता तथा प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी के निरंतर प्रयासों का परिणाम है कि कोरोना से निपटने के लिए संपन्न शक्तिशाली देशों के नेता भारत से अग्रणी भूमिका निभाने की अपेक्षा कर रहे हैं. कोरोना के यूरोप में घुसने पर फ्रांस के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधानमंत्नी ने नरेंद्र मोदी से फोन पर सलाह-मशविरा किया. यों इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पहल से दक्षिण एशिया संगठन के सदस्य देशों के साथ संवाद कर तैयारी कर ली थी. ब्रिटेन और अमेरिका में सरकारों पर नाराजगी व्यक्त हो रही है कि उन्होंने समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए.
भारत में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी की एक अपील पर सवा अरब के विशाल देश में एक दिन के जनता कफ्यरू की सफलता पर भी सारी दुनिया दंग रह गई. अब तीन हफ्तों के लॉकडाउन से थोड़ी बेचैनी, चिंता, कहीं-कहीं कठिनाई से समस्याएं आ रही हैं लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन के अति शिक्षित और धनी समाज में लोगों की भीड़, उत्तेजना, सरकारी स्वास्थ्य सेवा की अवहेलना देखने को मिली. बहरहाल विश्व समुदाय आशा कर रहा है कि सरकारों और समाज तथा डॉक्टरों-स्वास्थ्य कर्मियों के संयुक्त प्रयासों से कोरोना संकट से निकला जा सकेगा. फिर चिकित्सा वैज्ञानिक इस कोरोना-19 से पूरी तरह मुक्ति के लिए वैक्सीन-यानी टीका खोजने के लिए भी दिन-रात लगे हैं. इलाज और टीकों के बावजूद आने वाले वर्षो में स्वस्थ समाज की आशा अपेक्षा के साथ जागरूकता एवं सुधारों का प्रयास जारी रखना होगा.