अरविंद कुमार सिंह का ब्लॉग: पहली लोकसभा में हुई थीं सबसे अधिक 677 बैठकें, 16वीं बार में हुई हैं केवल 331 बैठक
By अरविंद कुमार | Published: November 26, 2022 05:28 PM2022-11-26T17:28:25+5:302022-11-26T17:37:12+5:30
आपको बता दें कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद भारत के साथ आजाद हुए कुछ देशों में सैन्य तानाशाही उभरी तो कहीं एकदलीय शासन काबिज हो गया था। लेकिन भारत ने बहुत सी आशंकाओं को गलत साबित किया है।
नई दिल्ली: मौजूदा ऐतिहासिक संसद भवन में संविधान सभा ने 11 सत्रों में 165 बैठकों में व्यापक मंत्रणा के बाद 90 हजार शब्दों वाला संविधान बनाया था। 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने इसे मंजूरी दी और यह 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था।
करीब 3 साल में बना था संविधान
करीब तीन साल का समय संविधान बनाने में लगा और इसकी पूरी प्रक्रिया पर करीब 63.96 लाख रुपए का खर्च आया था। संविधान सभा के वाद-विवाद को सुनने के लिए दर्शक दीर्घा में 53,000 लोगों को अनुमति दी गई थी।
वहीं अगर बात करेंगे क्षेत्रफल की तो इसके हिसाब से भारत दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा गणतंत्र और आबादी के हिसाब से विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत में संविधान सर्वोपरि है, जिसने जनता को केंद्र में रखा है। ‘हम भारत के लोग’ संविधान का सबसे महत्वपूर्ण शब्द है।
जनता के प्रति ही जवाबदेह है राज्य का प्रत्येक अंग
राज्य का प्रत्येक अंग किसी न किसी रूप में जनता के प्रति ही जवाबदेह है। संविधान की सुरक्षा और उसे मजबूत बनाने की जिम्मेदारी राज्य के तीनों अंगों की है, जिनको संविधान से शक्तियां मिली हैं। भारत में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की लंबी कड़ी है लेकिन सांसद और विधायक इसमें सबसे अहम हैं।
वयस्क मताधिकार के आधार पर पहला आम चुनाव 25 अक्तूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच हुआ, जिसमें 17.32 करोड़ मतदाताओं ने भाग लिया था। 17वीं लोकसभा के चुनाव में 2019 में 61 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने भाग लिया। अब तक हुए 17 लोकसभा चुनावों में से मतदाताओं ने आठ बार केंद्र में सरकार को बदला है। विभिन्न राज्यों की अपनी अलग कहानी है।
आपको बता दें कि गांधीनगर में 2016 में हुए पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में यह प्रस्ताव पारित हुआ था कि संसद कम से कम 100 दिन, बड़ी विधानसभाएं 60 दिन और छोटी विधानसभाएं कम से कम 30 दिन चलें। लेकिन पिछले एक दशक में संसद की सालाना 63 दिन से कम बैठकें हो रही हैं।
कमजोरियों और विरोधाभासों के बावजूद भारत में लोकतंत्र सफल रहा है
जबकि अमेरिका की प्रतिनिधि सभा 2020 में कोरोना के दौरान भी 163 दिन और 2021 में 166 दिन बैठी। आजादी के बाद सबसे बेहतरीन कामकाज पहली लोकसभा में 677 बैठकों में हुआ था लेकिन 16वीं लोकसभा की कुल 331 बैठकें ही पांच साल में हुईं।
फिर भी बहुत सी कमजोरियों और विरोधाभासों के बावजूद भारत में लोकतंत्र सफल रहा है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद भारत के साथ आजाद हुए कुछ देशों में सैन्य तानाशाही उभरी तो कहीं एकदलीय शासन काबिज हो गया। लेकिन भारत ने बहुत सी आशंकाओं को गलत साबित किया. हमारी संसदीय प्रणाली में एक के बाद दूसरे दल की सरकारें बनती हैं। सत्ता का हस्तांतरण गोली या बंदूक से नहीं बल्कि वोट से होता है।