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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवसः धरती के भगवान की तरह होते हैं डॉक्टर

By योगेश कुमार गोयल | Updated: July 1, 2023 13:00 IST

चिकित्सक दिवस मनाने का मूल उद्देश्य चिकित्सकों की बहुमूल्य सेवा, भूमिका और महत्व के संबंध में आमजन को जागरूक करना, चिकित्सकों का सम्मान करना और साथ ही चिकित्सकों को भी उनके पेशे के प्रति जागरूक करना है।

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समाज के प्रति चिकित्सकों के समर्पण एवं प्रतिबद्धता के लिए कृतज्ञता और आभार व्यक्त करने तथा मेडिकल छात्रों को प्रेरित करने के लिए प्रतिवर्ष एक जुलाई को ‘राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस’ मनाया जाता है। चिकित्सक दिवस मनाने का मूल उद्देश्य चिकित्सकों की बहुमूल्य सेवा, भूमिका और महत्व के संबंध में आमजन को जागरूक करना, चिकित्सकों का सम्मान करना और साथ ही चिकित्सकों को भी उनके पेशे के प्रति जागरूक करना है। दरअसल कुछ चिकित्सक ऐसे भी देखे जाते हैं, जो अपने इस सम्मानित पेशे के प्रति ईमानदार नहीं होते लेकिन ऐसे चिकित्सकों की भी कमी नहीं, जिनमें अपने पेशे के प्रति समर्पण की कमी नहीं होती। बिना चिकित्सा व्यवस्था के इंसान की जिंदगी कैसी होती, इसकी कल्पना मात्र से ही रोम-रोम सिहर जाता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में चिकित्सकों का महत्व सदा से रहा है और हमेशा रहेगा।

भारतीय समाज में चिकित्सकों को भगवान के समान दर्जा दिया गया है। कोरोना महामारी के कठिन दौर में तो चिकित्सक तथा स्वास्थ्य कार्यकर्ता फ्रंटलाइन योद्धा के रूप में सामने आए और सफेद लैब कोट में देवदूत बनकर लाखों लोगों का जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। उस दौरान मरीजों की जान बचाने में प्रयासरत सैकड़ों चिकित्सकों की भी कोरोना से मौत हुई लेकिन फिर भी चिकित्सक जी-जान से लोगों को बचाने में जुटे रहे। हालांकि यह अलग बात है कि कुछ निजी अस्पतालों ने उस बुरे दौर को भी आपदा में अवसर बनाने में कसर नहीं छोड़ी लेकिन यह भी सच है कि चिकित्सक लोगों को विभिन्न प्रकार की घातक बीमारियों से निजात दिलाने में पूरी ताकत लगा देते हैं। कनाडा के सुप्रसिद्ध डॉक्टर विलियम ऑस्लर ने कहा था कि एक अच्छा डॉक्टर बीमारी का इलाज करता है जबकि महान् डॉक्टर उस मरीज का इलाज करता है, जिसे बीमारी है।

भारत में चिकित्सक दिवस की स्थापना वर्ष 1991 में हुई थी। पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री और जाने-माने चिकित्सक डा। बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में चिकित्सकों की उपलब्धियों तथा चिकित्सा क्षेत्र में नए आयाम हासिल करने वाले डॉक्टरों के सम्मान के लिए इसका आयोजन होता है। वे एक जाने-माने चिकित्सक, प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और वर्ष 1948 से 1962 में जीवन के अंतिम क्षणों तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे।  

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