प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: विदेशी छात्रों के लिए पढ़ाई की पहल

By प्रमोद भार्गव | Published: July 9, 2019 01:22 PM2019-07-09T13:22:52+5:302019-07-09T13:22:52+5:30

भारत में केवल तीन फीसदी ही शोध-पत्र बमुश्किल प्रकाशित हो पाते हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद अब जाकर हमारे महज तीन उच्च शिक्षा संस्थान दुनिया के 200 प्रमुख शिक्षा-संस्थानों में शामिल हुए हैं.

Pramod Bhargava's blog on budget 2019: Initiative for foreign students | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: विदेशी छात्रों के लिए पढ़ाई की पहल

नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य है कि देश के ज्यादा से ज्यादा शिक्षा संस्थान दुनिया के 200 प्रमुख संस्थानों में अपनी जगह बनाएं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में साल 2019-20 का बही-खाता पेश करते हुए ‘स्टडी इन इंडिया’ यानी ‘भारत में शिक्षा’  योजना शुरू करने का अहम निर्णय लिया है. इस योजना का उद्देश्य भारत में उच्च विज्ञान व तकनीकी शिक्षा का ऐसा अंतर्राष्ट्रीय माहौल बनाना है, जिससे विदेशी छात्र भारत में पढ़ने के लिए लालायित हों.

इस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए 400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. यदि वाकई हम अपने विश्वविद्यालयों को वैश्विक स्तर का बनाने में सफल हो जाते हैं, तो देश की प्रतिभाएं तो देश में रहेंगी ही, विदेशी छात्रों के भारत में पढ़ने से विदेशी मुद्रा की भी आमदनी होगी. इसके लिए वि.वि. में नवाचारी सोच के साथ मौलिक शोध को बढ़ावा देना होगा. किंतु उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक स्तर का बनाने के तमाम दावों के बावजूद शोध के क्षेत्र में हालात चिंताजनक हैं. 

हाल ही में चिकित्सकों की महत्वपूर्ण संस्था ‘एसोसिएशन ऑफ डिप्लोमेट नेशनल बोर्ड’ ने खुलासा किया है कि देश के कुल 576 चिकित्सा संस्थानों में से 332 ने एक भी शोध-पत्र प्रकाशित नहीं किया है. नए शोध-अनुसंधान नवाचार एवं अध्ययन-प्रशिक्षण का आधार होते हैं.

यदि आधे से ज्यादा चिकित्सा संस्थानों में अनुसंधान नहीं हो रहे हैं, तो क्या इनसे पढ़कर निकलने वाले चिकित्सकों की योग्यता व क्षमता विश्वसनीय होगी? दुनिया भर में चिकित्सा एवं विज्ञान से जुड़े एक तिहाई शोध अमेरिका में होते हैं. इसके बाद चीन और जापान का नंबर है.

भारत में केवल तीन फीसदी ही शोध-पत्र बमुश्किल प्रकाशित हो पाते हैं. तमाम कोशिशों के बावजूद अब जाकर हमारे महज तीन उच्च शिक्षा संस्थान दुनिया के 200 प्रमुख शिक्षा-संस्थानों में शामिल हुए हैं. भारत में शिक्षा के साथ उच्च शिक्षा का माहौल अंतर्राष्ट्रीय बनाने की दृष्टि से राष्ट्रीय शिक्षा नीति, राष्ट्रीय शोध प्रतिष्ठान और शिक्षकों के लिए ज्ञान योजना का भी प्रावधान इस बही-खाते में किया गया है.

दरअसल नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य है कि देश के ज्यादा से ज्यादा शिक्षा संस्थान दुनिया के 200 प्रमुख संस्थानों में अपनी जगह बनाएं. हालांकि इन कोशिशों की शुरुआत मनमोहन सिंह सरकार के समय से ही हो गई थी. तब से लेकर अब तक शिक्षा संस्थानों में संसाधन व सुविधाएं बढ़े हैं, लेकिन न तो विदेश में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या घटी और न ही विदेशी छात्रों की भारत में आमद बढ़ी.

Web Title: Pramod Bhargava's blog on budget 2019: Initiative for foreign students

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