वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः शिक्षा में क्रांति की जरूरत 

By वेद प्रताप वैदिक | Published: January 18, 2019 07:43 PM2019-01-18T19:43:46+5:302019-01-18T19:43:46+5:30

किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति या पिछड़े वर्ग का कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए. वह यदि समृद्ध घर का नहीं है तो उसे उत्तम शिक्षा पाने से कौन रोक सकता है? कम से कम 10 वीं कक्षा तक के छात्नों के दिन के भोजन, स्कूल की पोशाक और जिन्हें जरूरत हो, उन्हें छात्नावास की सुविधाएं मुफ्त दी जाएं तो दस वर्षो में भारत का नक्शा ही बदल जाएगा.

Educational institutions: Need for revolution in indian education | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः शिक्षा में क्रांति की जरूरत 

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः शिक्षा में क्रांति की जरूरत 

आर्थिक आधार पर शिक्षा-संस्थाओं में आरक्षण स्वागत योग्य है. वह दस प्रतिशत क्यों, कम से कम 60 प्रतिशत होना चाहिए और उसका आधार जाति या कबीला नहीं होना चाहिए. जो भी गरीब हो, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या भाषा का हो, यदि वह गरीब का बेटा है तो उसे स्कूल और कॉलेजों में प्रवेश अवश्य मिलना चाहिए. 

किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति या पिछड़े वर्ग का कोई बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए. वह यदि समृद्ध घर का नहीं है तो उसे उत्तम शिक्षा पाने से कौन रोक सकता है? कम से कम 10 वीं कक्षा तक के छात्नों के दिन के भोजन, स्कूल की पोशाक और जिन्हें जरूरत हो, उन्हें छात्नावास की सुविधाएं मुफ्त दी जाएं तो दस वर्षो में भारत का नक्शा ही बदल जाएगा. ये सब सुविधाएं देने के पहले सरकार को गरीब की अपनी परिभाषा को ठीक करना पड़ेगा. सवर्णो के वोट पाने के लिए 8 लाख रु. सालाना की जो सीमा रखी गई है, उसे आधा या एक-तिहाई करना होगा. 

सबसे पहले तो यह होगा कि जो करोड़ों बच्चे अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं, वे नहीं छोड़ेंगे. मैट्रिक तक पहुंचते-पहुंचते वे बहुत से हुनर सीख जाएंगे. यदि उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी तो भी वे इतने हुनरमंद बन जाएंगे कि उन्हें अपने रोजगार के लिए किसी का मोहताज नहीं रहना पड़ेगा. यह तभी होगा जबकि मैकाले की शिक्षा पद्धति को तिलांजलि दी जाए. देश में चल रही समस्त निजी शिक्षा-संस्थाओं के पाठ्यक्र मों और फीस पर नियंत्नण रखने के लिए एक असरदार शिक्षा-आयोग बनाया जाए. आज देश के निजी अस्पताल और स्कूल-कॉलेज लूट-पाट के सबसे बड़े अड्डे बन गए हैं. उनका लक्ष्य एक सबल, संपन्न और समतामूलक भारत का निर्माण करना नहीं है बल्कि सिर्फ पैसा बनाना है. 

यदि भारत की शिक्षा-संस्थाओं में शरीर और चरित्न, दोनों की सबलता पर भी जोर दिया जाए तो भारत को अगले एक दशक में हम दुनिया के सबसे शक्तिशाली राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा कर सकते हैं. भारत की शिक्षा में विज्ञान और तकनीक के शोध-कार्यो पर जोर दिया जाए और वह शोध स्वभाषाओं में किया जाए तो भारत के प्रतिभाशाली युवक अपने देश को बहुत आगे ले जा सकते हैं. 

Web Title: Educational institutions: Need for revolution in indian education

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