अवधेश कुमार का ब्लॉग: नई शिक्षा नीति लागू करे सरकार
By अवधेश कुमार | Published: June 6, 2019 08:44 PM2019-06-06T20:44:32+5:302019-06-06T20:44:32+5:30
आखिर नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव में ऐसा क्या है जिसका विरोध हो रहा है? इसमें कहा गया है कि प्री-स्कूल और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में पढ़ाना चाहिए जिसमें वह इन्हें बोलना सीखें और इनकी लिपि पहचानें और पढ़ें.
यह भारत के भाग्य निर्धारण की घड़ी है. नई शिक्षा नीति के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने इसका दस्तावेज मानव संसाधन विकास मंत्नी को सौंपा नहीं कि इसकी भाषा संबंधी अनुशंसा को लेकर आग उगलने वाले सामने आ गए. अभी शिक्षा नीति विचार-विमर्श की अवस्था में भी नहीं आई है.
इसे जनता के बीच रखा जाना है और लोगों की प्रतिक्रियाओं के आधार पर आवश्यक संशोधन परिवर्तन कर लागू किया जाएगा. किंतु तमिलनाडु में डीएमके के राज्यसभा सांसद तिरुचि सिवा ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र की सरकार ने तमिलनाडु के लोगों पर हिंदी भाषा को थोपने की कोशिश की तो प्रदेश के लोग सड़क पर उतरकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे.
हालांकि पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्नी एवं मौजूदा सूचना एवं प्रसारण मंत्नी प्रकाश जावड़ेकर ने स्पष्टीकरण दिया है कि किसी पर कोई भाषा थोपने का विचार नहीं है. हम देश की सभी भाषाओं को प्रोन्नत करना चाहते हैं. अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन ने कहा कि मैंने कई भाषाओं की फिल्मों में काम किया है, किसी पर भी भाषा थोपी नहीं जानी चाहिए. यह आश्चर्य की ही बात है कि एक ऐसा अभिनेता जिसको राष्ट्रीय पहचान हिंदी सिनेमा से मिली वह प्रदेश की राजनीति के संकुचित दायरे में ऐसी प्रतिक्रि याएं दे रहा है.
आखिर ‘थोपना’ शब्द प्रयोग करने का तात्पर्य क्या है? भारत जैसे विविध भाषाओं और बोलियों वाले देश पर कोई सरकार किसी पर भाषा थोप नहीं सकती, किंतु लंबे अनुभवों के बाद यह तो विचार करना पड़ेगा कि भारतीय ज्ञान की थाती, जिसमें सभी भाषाओं में दुर्लभ ज्ञान भरे हैं उनका लाभ पूरे देश को मिले तथा उससे आत्मविश्वास प्राप्त कर हमारे छात्न दुनिया का मुकाबला कर सकें. ज्ञान के क्षेत्न में जो प्रगति हमारे देश में थी उसे समझने के लिए बचपन से ही भारतीय भाषाओं की शिक्षा देना तो देशहित का सर्वप्रमुख कार्य है.
आखिर नई शिक्षा नीति के प्रस्ताव में ऐसा क्या है जिसका विरोध हो रहा है? इसमें कहा गया है कि प्री-स्कूल और पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में पढ़ाना चाहिए जिसमें वह इन्हें बोलना सीखें और इनकी लिपि पहचानें और पढ़ें. तीसरी क्लास तक मातृभाषा में ही लिखें और उसके बाद दो और भारतीय भाषाएं लिखना भी शुरू करें. अगर कोई विदेशी भाषा भी पढ़ना और लिखना चाहे तो यह इन तीन भारतीय भाषाओं के अलावा चौथी भाषा के तौर पर पढ़ाई जाए. इसमें कहीं नहीं कहा गया कि किसी राज्य की जो मातृभाषा है उसमें पढ़ाई न हो.