BLOG: हैवानियत रोकने के लिए उठाने होंगे कदम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 12, 2019 06:24 AM2019-01-12T06:24:05+5:302019-01-12T06:24:05+5:30
इसके पहले कि फिनिक्स जैसी वीभत्स घटनाएं हमारे देश में सामने आएं, हमारे अस्पतालों को अपने कर्मचारियों पर निगरानी के कड़े उपाय करने होंगे।
अमेरिका के फिनिक्स में एक निजी अस्पताल में दस साल से अधिक समय से कोमा में पड़ी महिला के मां बनने के मामले में स्वास्थ्य केंद्र के सभी पुरुषों का डीएनए कराने के लिए पुलिस ने सर्च वारंट जारी किया है, जो कि अपरिहार्य था। इसके अलावा उक्त स्वास्थ्य केंद्र के सीईओ ने इस्तीफा भी दे दिया है। नैतिक दृष्टि से उनका ऐसा करना जरूरी था। स्वास्थ्य केंद्र ने मामले की जांच में पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों को सहयोग देने की बात भी कही है। लेकिन इस मामले ने इस शर्मनाक सच्चाई को सामने ला दिया है कि दुनिया में हैवानियत कितनी ज्यादा है। आखिर कोई कोमा में पड़ी महिला के साथ सहवास की बात सोच भी कैसे सकता है! भले ही हम वहशीपन के पर्यायवाची के रूप में कई बार ‘जानवर’ शब्द का इस्तेमाल करते हों, लेकिन उनके स्वभाव में भी इस तरह की हैवानियत नहीं होती।
संबंधित अस्पताल के पुरुष कर्मचारियों के डीएनए टेस्ट से आरोपी का पता तो चल ही जाएगा और उसे सजा भी मिलेगी ही, लेकिन यह घटना सोचने पर मजबूर कर रही है कि दुनिया भर के अस्पतालों में क्या इस तरह के और भी मामले नहीं होते होंगे जो सामने नहीं आ पाते होंगे! भारत में तो चिकित्सकों को भगवान का रूप माना जाता है और अधिकांश लोग आज भी अस्पताल प्रशासन पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं। हालांकि हमारे देश में भी अस्पतालों में लापरवाही की अनेक घटनाएं सामने आतीे हैं लेकिन इस तरह के यौन शोषण की तो आशंका ही दिल दहला देने वाली है।
इसके पहले कि फिनिक्स जैसी वीभत्स घटनाएं हमारे देश में सामने आएं, हमारे अस्पतालों को अपने कर्मचारियों पर निगरानी के कड़े उपाय करने होंगे। अब तो अत्याधुनिक तकनीकों के बल पर निगरानी का काम बेहद आसान हो गया है। डॉक्टरों और मरीजों के बीच विश्वास का टूटना किसी के भी हक में नहीं होगा। चिकित्सा क्षेत्र का व्यवसायीकरण तो हो ही रहा है, लेकि