Maharashtra Police: करियर काउंसिलिंग के नाम पर एक नराधम ने जिस तरह 50 से अधिक लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाया है, निश्चित रूप से यह खबर दिल दहला देने वाली है. हैरानी की बात यह है कि उसकी ये हरकतें वर्ष 2011 से जारी थीं और इतने दिनों तक पोल भी नहीं खुली! यह भी कम हैरानी की बात नहीं है कि उसकी पत्नी भी इस घिनौने कार्य में उसका साथ दे रही थी. पिछले 13-14 वर्षों से वह मनोविकास केंद्र की आड़ में नागपुर सहित विदर्भ के अन्य जिलों की नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण कर रहा था.
बताया जाता है कि पहले वह एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के पास काम करता था और 2011 में वहां काम छोड़ने के बाद अपना सेंटर आरंभ किया. वह खुद को मनोचिकित्सक के रूप में पेश करता था, जिससे मरीजों के अभिभावक भरोसा करके कमजोर मानसिक स्थिति वाले मरीजों या पढ़ाई से दूर भागने वाले कमजोर बच्चों को काउंसिलिंग के लिए उसके पास लाते थे.
वह करियर बनाने का लालच देकर बच्चों को नागपुर स्थित अपने सेंटर पर रखने के लिए राजी कर लेता और फिर उसका घिनौना खेल शुरू हो जाता. बरगला कर पहले वह उन्हें सिगरेट-शराब की आदत लगा देता और फिर अश्लील तस्वींरें खींचकर, वीडियो क्लिप बनाकर ब्लैकमेल करते हुए अपनी हवस का शिकार बनाता था.
कई पीड़िताएं तो अब विवाहित हो चुकी हैं, इसलिए जाहिर है कि घर तबाह होने के डर से उन्हें शिकायत दर्ज कराने में संकोच हो रहा होगा लेकिन एक पूर्व विद्यार्थी ने आरोपी द्वारा ब्लैकमेल किए जाने से आखिर परेशान होकर पुलिस से संपर्क किया. समाज में यौन शोषण की घटनाएं नई नहीं हैं, आंकड़े बताते हैं कि भारत में बलात्कार के प्रतिदिन औसतन 86 मामले दर्ज होते हैं.
जाहिर है कि वास्तविक आंकड़े इससे कहीं ज्यादा होंगे क्योंकि बहुत से मामले तो लोकलाज के भय से दर्ज ही नहीं करवाए जाते. लेकिन चिकित्सकों, मनोचिकित्सकों को समाज अपने स्वास्थ्य के रक्षक के रूप में देखता है और जब उनका मुखौटा लगाकर कोई ऐसा दरिंदा बन जाए तो भय लगने लगता है कि लोग आखिर विश्वास किस पर करें?
नागपुर के इस मामले में हालांकि 47 वर्षीय आरोपी विजय धायवट को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया है, लेकिन देश में यह इस तरह की इकलौती घटना नहीं है. चिकित्सकों-मनोचिकित्सकों को लोग भगवान का ही दूसरा रूप मानते हैं, इसलिए उन पर आंख मूंदकर भरोसा करते हैैं.
लेकिन रक्षक का मुखौटा लगाकर कोई भक्षक बनने लगे तो भरोसा उठने लगता है. इसलिए यह सुनिनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे अपराधियों को कठोर से कठोर दंड मिले. साथ ही समाज में भी जागरूकता फैलानी चाहिए कि ऐसे नकाबपोश अपराधियों के बारे में जिसे भी सुराग मिले, वह तत्काल पुलिस को सूचना दे, ताकि निर्दोषों को यौन शोषण का शिकार बनने से बचाया जा सके.