Lawrence Bishnoi: लॉरेंस बिश्नोई के 28 अगस्त, 2023 से गुजरात की साबरमती जेल में बंद होने का मामला उन कई राज्यों की पुलिस और सुरक्षा बलों को उलझन में डाल रहा है, जहां बी-गैंग का सरगना कई आपराधिक मामलों में वांछित है. रहस्यमय ढंग से, आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस), गुजरात पुलिस ने ड्रग तस्करी के एक मामले में पंजाब पुलिस से लॉरेंस बिश्नोई को हिरासत में लिया. यह सितंबर 2022 की बात है, जब गुजरात तट से दूर अरब सागर में एक पाकिस्तानी मछली पकड़ने वाली नाव से 34 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई थी.
हालांकि यह गुजरात पुलिस और भारतीय तटरक्षक बल द्वारा चलाया गया एक संयुक्त अभियान था, लेकिन मामला राज्य पुलिस के पास ही रहा. लॉरेंस बिश्नोई को सितंबर 2022 में गुजरात तट से दूर अरब सागर में एक पाकिस्तानी मछली पकड़ने वाली नाव से बरामद लगभग 195 करोड़ रुपए मूल्य की ड्रग्स के संबंध में उसके संभावित संबंधों के बारे में पूछताछ के लिए ले जाया गया था.
नाव से मादक पदार्थ बरामद होने के बाद छह पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था. इन आरोपियों की गिरफ्तारी के लगभग एक साल बाद बिश्नोई के बारे में पता चला कि उसके निर्देश पर पाकिस्तान से भारत में ड्रग्स की तस्करी की जा रही थी.
दिलचस्प बात यह है कि लॉरेंस बिश्नोई उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों और महाराष्ट्र में भी सक्रिय था, लेकिन उसने गुजरात से जबरन वसूली और आपराधिक गतिविधियों से दूरी बनाए रखी. इस मामले में लॉरेंस बिश्नोई पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) (यूएपीए) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया और उसे हवाई मार्ग से अहमदाबाद ले जाया गया तथा रिमांड पर कोर्ट में पेश किया गया. बाद में, उसे अगस्त 2023 में साबरमती की उच्च सुरक्षा वाली जेल में स्थानांतरित कर दिया गया.
बिश्नोई की तिहाड़ से पंजाब होते हुए साबरमती यात्रा
इससे पहले बिश्नोई दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद था, जहां उससे जबरन वसूली और हत्या की साजिश के कई मामलों में पूछताछ की जा रही थी. यहीं से पंजाब पुलिस उसे बठिंडा ले गई और बाद में गुजरात एटीएस ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. गुजरात पुलिस ने बिश्नोई का संबंध भारत भूषण उर्फ भोला शूटर से जोड़ा जो उसके गिरोह का सदस्य था.
भोला, जो पंजाब की जेल के अंदर से ड्रग नेटवर्क चला रहा था, की 2021 में मोरबी ड्रग जब्ती मामले में जेल में रहते हुए मौत हो गई थी. हालांकि बिश्नोई का नाम मोरबी मामले में भी आया था, लेकिन वह तब से सुर्खियों में है जब गुजरात एटीएस ने उसे पाकिस्तानी नाव से जब्त किए गए ड्रग्स से जोड़ा और साबरमती जेल की सुरक्षित सीमा में रखा.
जून 2024 से बिश्नोई की हिरासत हासिल करने के लिए मुंबई पुलिस के बार-बार के प्रयास दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 268 (1) के तहत कानूनी बाधाओं में फंस गए हैं, जो राज्य सरकार की मंजूरी के बिना कैदियों के स्थानांतरण पर रोक लगाता है. गुजरात सरकार ने बिश्नोई को राज्य से बाहर भेजने से मना कर दिया है और उससे पूछताछ करने की अनुमति भी नहीं दी है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस धारा के तहत गुजरात पुलिस को बिश्नोई को किसी दूसरे राज्य में भेजने से मना करने का अधिकार दिया है. यह भी रहस्य है कि गुजरात एटीएस बिश्नोई से पूछताछ के बीच में ही क्यों हरकत में आ गई, जबकि व्यापारी कुणाल छाबड़ा को धमकी मिली थी और जिन्हें बी-गैंग से जबरन वसूली के लिए फोन आया था. गिरोह उनसे 5 करोड़ रुपए मांग रहा था.
बिश्नोई गिरोह ने छाबड़ा को 2023 में वीडियो कॉल करके 5 करोड़ रुपए मांगे थे. पता चला है कि छाबड़ा ने साउथ दिल्ली में नादिर शाह से संपर्क किया था, जो अपना खुद का गिरोह चलाता था. वह चाहता था कि नादिर उसकी मदद करे और उसे बचाने के लिए एक करोड़ रुपए देने का वादा किया. छाबड़ा कथित तौर पर अवैध कॉल सेंटर चलाता है और दुबई में रहता है.
नादिर शाह ने कुछ फिक्सिंग की और दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बिश्नोई से कहा कि छाबड़ा के पीछे मत पड़ो, क्योंकि वह एक करोड़ रुपए देने को तैयार है. इस पर बिश्नोई ने अधिकारी से कहा कि अब छाबड़ा को दस करोड़ रुपए देने होंगे. नादिर शाह को इसकी कीमत बाद में एक गोलीबारी में अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी.
क्या राहुल की रणनीति कामयाब होगी ?
हरियाणा और जम्मू में हार के बाद राहुल गांधी ने गठबंधन और समायोजन की कमान संबंधित राज्यों के नेतृत्व पर छोड़ने के बजाय खुद अपने हाथ में लेने का फैसला किया. यहां तक कि एआईसीसी द्वारा चुनाव रणनीतियों और संबंधित मुद्दों की देखरेख के लिए नियुक्त किए गए राज्य पर्यवेक्षकों को भी लगभग शक्तिहीन बना दिया गया.
मध्य प्रदेश में भी ऐसा ही हुआ था जब राहुल ने रणदीप सिंह सुरजेवाला और अन्य पर्यवेक्षकों को भेजा था. लेकिन वे कमलनाथ के आभामंडल और व्यक्तित्व का सामना करने में बहुत जूनियर थे. आखिरकार पार्टी और राहुल गांधी को इसकी कीमत चुकानी पड़ी. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी यही हुआ.
राहुल गांधी ने अपना रुख बदला और झारखंड, महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए अशोक गहलोत, भूपेश बघेल और अधीर रंजन चौधरी जैसे वरिष्ठ नेताओं को पर्यवेक्षक नियुक्त करने का फैसला किया. वरिष्ठ नेताओं को क्षेत्रवार नियुक्त किया गया. गहलोत और कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर को मुंबई और कोंकण क्षेत्र सौंपा गया है, जबकि विदर्भ क्षेत्र को छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, पंजाब के पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी (पंजाब) और मध्य प्रदेश के विधायक व पूर्व मंत्री उमंग सिंघार संभालेंगे.
सचिन पायलट और तेलंगाना के वरिष्ठ मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी को मराठवाड़ा क्षेत्र में नियुक्त किया गया है, जबकि छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और कर्नाटक के वरिष्ठ मंत्री एमबी पाटिल को पश्चिमी महाराष्ट्र का जिम्मा सौंपा गया है. वरिष्ठ राज्यसभा सांसद सैयद नासिर हुसैन और तेलंगाना की वरिष्ठ मंत्री डी. अनसूया सीठक्का को उत्तर महाराष्ट्र देखने के लिए कहा गया है.
वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक और अविनाश पांडे को राज्य चुनाव वरिष्ठ समन्वयक नियुक्त किया गया है. पर्यवेक्षकों का कहना है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और भाजपा लगभग 75 से अधिक विधानसभा सीटों पर आमने-सामने हैं और अगली सरकार का भाग्य इसके नतीजों पर निर्भर करता है.