Bihar Hooch Tragedy: बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब ने ऐसा तांडव मचाया है, जिससे दर्जनों घरों में मातम छा गया है. प्रदेश के दो जिलों सीवान और छपरा के 16 गांवों में जहरीली शराब से कई दर्जन लोगों की मौत हुई और अनेक लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है. बताया जाता है कि सीवान जिले के भगवानपुर हाट के मेले में स्प्रिट से बनी शराब की थैलियां बेची गई थीं, जिसे पीने के बाद लोगों ने पेटदर्द, उल्टी व सिरदर्द की शिकायत की और देखते ही देखते जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला शुरू हो गया. जहरीली शराब से मौतों की जांच के लिए जिला प्रशासन द्वारा एसआईटी का गठन किया गया है. बिहार में तो जहरीली शराब पीने से मौतों के मामले अक्सर सामने आते ही रहे हैं, अन्य राज्यों में भी यह समय-समय पर कहर बरपाती रही है.
इसी साल जून महीने में तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में जहरीली शराब पीने से 63 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 135 से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उत्तरी तमिलनाडु के ही मरक्कनम और मधुरांतकम में 2023 में भी जहरीली शराब की त्रासदी ने कई जिंदगियों को लील लिया था.
मारे गए लोगों के रिश्तेदारों ने इलाके में सस्ती कच्ची शराब की नियमित रूप से आसान उपलब्धता की बात स्वीकारी थी. बेहद चिंताजनक स्थिति है कि जहरीली शराब का यह अवैध कारोबार देशभर में फल-फूल रहा है. हालांकि कभी-कभार छापेमारी के बाद जिस प्रकार शराब तस्करों से बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरामद होती है.
उससे स्पष्ट होता रहा है कि काल बनती जहरीली शराब का यह अवैध धंधा ताकतवर लोगों के संरक्षण में ही तेजी से फल-फूल रहा है. इस साल झारखंड के देवघर में 26 अप्रैल को पुलिस ने छापेमारी कर अलग-अलग ब्रांड की 420 अवैध शराब की बोतलें बरामद की थीं, वहीं 22 फरवरी को पुलिस की विशेष टीम ने राजस्थान के हनुमानगढ़ में आलू के बोरों में छिपाकर ले जाई जा रही शराब से भरे एक ट्रक को पकड़कर पंजाब निर्मित शराब की 290 पेटियां बरामद की थीं. ऐसे मामले कहीं न कहीं से रह-रहकर सामने आ रहे हैं.
अवैध शराब का जहरीला धंधा इसीलिए तेजी से फलता-फूलता है क्योंकि सस्ती और खुली शराब पाने के लालच में लोग खुद-ब-खुद अवैध शराब की ओर खिंचे चले जाते हैं लेकिन सस्ती शराब के कारण कोई अपनी आंखों की रोशनी गंवा बैठता है तो कोई अपनी जीवनलीला ही समाप्त कर डालता है.
नकली शराब पीकर मरने वाले ज्यादातर गरीब तबके के लोग ही होते हैं, जो कम पैसे में नशे की पूर्ति के लिए ऐसी शराब खरीदते हैं. लेकिन जहरीली शराब से उनकी मौत होने पर उनके परिवार के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाता है. यही कारण है कि नकली शराब बनाने वालों के खिलाफ ऐसे कठोर कदम उठाने की मांग होती रही है जो दूसरों के लिए भी नजीर बने.
अवैध शराब का कारोबार कमोबेश हर राज्य की समस्या है और चोरी-छिपे अवैध शराब बनाने और बेचने वाले हर कहीं मौजूद हैं, इसलिए जब तक इस अवैध धंधे की मोटी मछलियों पर हाथ नहीं डाला जाएगा, तब तक जहरीली शराब इसी प्रकार लोगों को बेमौत मारती रहेगी.