Maharashtra Amravati: अंधविश्वास के आगे आंख मूंदकर बैठा समाज

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: January 20, 2025 05:56 AM2025-01-20T05:56:48+5:302025-01-20T05:56:48+5:30

Maharashtra Amravati: संपूर्ण घटनाक्रम का विश्लेषण किया जाए तो बीस दिन बाद यही समझ में आता है कि अंधविश्वास के आगे अब भी समाज और व्यवस्था पंगु है.

Amravati Horror 77-Year-Old Tribal Woman Paraded Slipper Garland Forced to Drink Urine Over Suspicion of Practicing Black Magic Chikhaldara tehsil | Maharashtra Amravati: अंधविश्वास के आगे आंख मूंदकर बैठा समाज

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Highlightsउन्मूलन अधिनियम, 2013 विधानसभा में पारित कर विधिवत एक कानून बनाया गया. छह माह से लेकर अधिकतम सात वर्ष तक कारावास और अधिकतम 50,000 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. कानून के बावजूद चिखलदरा में इतनी बड़ी घटना होती है और शिकायत सामने आने में भी सात दिन का समय लगता है.

Maharashtra Amravati:महाराष्ट्र के अमरावती जिले की चिखलदरा तहसील के रेट्याखेड़ा में 77 वर्षीय वृद्ध महिला के साथ हुई इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना के बाद पुलिस सक्रिय है. उसने पुलिस पाटिल समेत पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि 30 दिसंबर 2024 की घटना की छह जनवरी को शिकायत होने के बाद पीड़ित के परिवार को धमकियों से मुकाबला करना पड़ा. आखिरकार 19 दिन बाद पुलिस गांव में पहुंच ही गई. संपूर्ण घटनाक्रम का विश्लेषण किया जाए तो बीस दिन बाद यही समझ में आता है कि अंधविश्वास के आगे अब भी समाज और व्यवस्था पंगु है.

यह उसी राज्य में हुआ, जहां अंधविश्वास की कुप्रथाओं के खिलाफ लंबे समय तक आंदोलन चलाया गया और वर्ष 2013 में मानव बलि एवं अन्य अमानवीय, अनैतिक व अघोरी प्रथा तथा काला जादू रोकथाम एवं उन्मूलन अधिनियम, 2013 विधानसभा में पारित कर विधिवत एक कानून बनाया गया. इसमें कम-से-कम छह माह से लेकर अधिकतम सात वर्ष तक कारावास और अधिकतम 50,000 रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है. करीब बारह साल पहले बने कानून के बावजूद चिखलदरा में इतनी बड़ी घटना होती है और शिकायत सामने आने में भी सात दिन का समय लगता है.

जब कार्रवाई होती है तो उसमें ग्रामीण भागों में कानून-व्यवस्था के लिए शासन के प्रतिनिधि पुलिस पाटिल का भी नाम सामने आता है. स्पष्ट है कि इस कुकर्म को अचानक आवेश में आकर अंजाम नहीं दिया गया होगा. इसको लेकर काफी दिनों से चर्चाएं चल रही होंगी. फिर भी कानों-कान किसी को खबर नहीं लगी.

दरअसल समाज में लोगों का अंधविश्वास और जादू-टोना के खिलाफ निष्क्रिय रहना इस तरह की घटनाओं को अवसर देता है. सामाजिक कुरीतियां हर क्षेत्र में अपने-अपने स्तर पर पाई जाती हैं और उन पर रोकथाम के लिए नियम-कायदे भी बनाए जाते हैं. किंतु जागरूकता के अभाव में अंधविश्वासी लोग अपनी इच्छा को पूरा करने में सफल हो ही जाते हैं.

सर्वविदित है कि अंधविश्वास अधिकतर कमजोर मानसिकता के लोगों के बीच देखने को मिलता है. उनके जीवन में आई असफलता अंधविश्वास को मन में जल्दी घर बनाने का अवसर देती है. अंधविश्वास का किसी जाति, समुदाय या वर्ग से संबंध नहीं होता है, वह समान रूप से हर तरफ विद्यमान होती है, जिसे समय-समय पर अलग-अलग रूपों में देखा जाता है.

देश में महाराष्ट्र के अलावा बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े राज्यों सहित असम, राजस्थान, ओडिशा, कर्नाटक में अंधविश्वास के खिलाफ कानून हैं. फिर भी सभी स्थानों से समान रूप से घटनाएं सामने आती हैं. इससे सिद्ध होता है कि इन घटनाओं की रोकथाम के लिए केवल कानून ही पर्याप्त नहीं है.

इसके लिए समाज के स्तर पर व्यापक कदम उठाने होंगे. इस पर रोक लगाने के लिए मानवता के आधार पर विचार कर राजनीति और धर्म-समाज से परे समाज में स्वस्थ वातावरण तैयार करना होगा. अन्यथा चिखलदरा जैसी घटनाएं कभी जल्दी तो कभी देरी से सुनाई देती ही रहेंगी और हम शर्मसार होते रहेंगे.

Web Title: Amravati Horror 77-Year-Old Tribal Woman Paraded Slipper Garland Forced to Drink Urine Over Suspicion of Practicing Black Magic Chikhaldara tehsil

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