Royal Challengers Bengaluru IPL 2025: लंबे इंतजार का इससे मीठा फल और क्या होगा!, 18 सालों से बंदा बेंगलुरु की जीत के लिए मेहनत करता रहा
By रवींद्र चोपड़े | Updated: June 5, 2025 05:15 IST2025-06-05T05:15:37+5:302025-06-05T05:15:37+5:30
Royal Challengers Bengaluru IPL 2025: बल्लेबाजी में विराट कोहली और गेंदबाजी में जोश हेजलवुड को अगर छोड़ दिया जाए तो ऐसा कोई बड़ा नाम इस टीम के पास नहीं था.

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Royal Challengers Bengaluru IPL 2025: 18 बरस कोई कम नहीं होते. एक पीढ़ी गुजर जाती है. बेंगलुरु ने आईपीएल की अपनी पहली ट्रॉफी के लिए एक पीढ़ी गुजर जाने तक का इंतजार किया. तब जाकर उसे मंगलवार रात फल चखने का मौका मिला. अहमदाबाद के विशाल नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेले गए खिताबी मुकाबले में बेंगलुरु ने पंजाब को छह रन से शिकस्त देकर अपना पहला आईपीएल खिताब जीता. इस खिताबी जीत से पहले बेंगलुरु की टीम तीन बार ( 2009, 2011, 2016) ट्रॉफी के करीब पहुंची थी.
ट्रॉफी को बस उठाना और चूमना ही बाकी रह गया था लेकिन हर बार प्रतिद्वंद्वी टीम बाजी मार गई. दिलचस्प बात यह थी कि तीनों बार टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए हार गई, मगर इस दफा कुछ बड़ा होनेवाला था. बेंगलुरु को लक्ष्य का पीछा करना नहीं पड़ा, बल्कि लक्ष्य की रक्षा करनी पड़ी जिसमें उसके गेंदबाज सफल रहे.
आईपीएल के 18वें संस्करण में बेंगलुरु की टीम फाइनल समेत कुल 16 मुकाबले खेली. 10 में जीती और एक मुकाबला बारिश की वजह से रद्द कर दिया गया. चैंपियन ऐसे ही नहीं बनते. बरसों की तपस्या होती है जब कोई टीम ट्रॉफी उठाती है. इस खिताबी जीत का श्रेय बेंगलुरु की पूरी टीम और उसके प्रबंधन को देना होगा.
आईपीएल-18 जब शुरू हुआ था तब बेंगलुरु पर बहुत कम लोग दांव लगाने के इच्छुक थे. हैदराबाद, मुंबई और गुजरात की टीमों का अंतरराष्ट्रीय स्तर का संयोजन देखते हुए वह चैंपियन बनने के दावेदारों में चोटी पर थीं, लेकिन एक अपेक्षाकृत लो प्रोफाइल टीम बाजी मार ले गई. मानना होगा कि बेंगलुरु के पास सितारों की बड़ी फौज नहीं थी.
बल्लेबाजी में विराट कोहली और गेंदबाजी में जोश हेजलवुड को अगर छोड़ दिया जाए तो ऐसा कोई बड़ा नाम इस टीम के पास नहीं था. लेकिन फिर भी इस टीम ने जीत का परचम लहराया और साबित कर दिया कि अगर खिलाड़ियों में जज्बा है तो वह कभी भी, किसी भी मैदान पर हार नहीं मान सकती.
बेंगलुरु की यह जीत विराट कोहली केंद्रित जरूर है लेकिन बाकी खिलाड़ियों के प्रदर्शन को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. बेंगलुरु के बल्लेबाजों की अपेक्षा गेंदबाजों का प्रदर्शन उम्दा रहा है. सत्र के शीर्ष 10 गेंदबाजों की सूची में हेजलवुड (22 विकेट) समेत कृणाल पंड्या और भुवनेश्वर कुमार (दोनों 17-17 विकेट) शामिल हैं.
टीम की बल्लेबाजी हालांकि विराट कोहली पर निर्भर रही और वही टीम के एकमात्र बल्लेबाज हैं जो बेहतरीन प्रदर्शन करनेवाले शीर्ष 10 बल्लेबाजों की सूची में 657 रन बनाकर शामिल हैं. इस सीनियर स्टार बल्लेबाज ने हर बार सूत्रधार की भूमिका निभाई. टीम ने रणनीति ही ऐसी बनाई थी कि कोहली पूरे 20 ओवर खेलें.
इसका एक कारण यह भी था कि कोहली जैसा बल्लेबाज अगर मैदान के बीच हो तो प्रतिद्वंद्वी टीमों के गेंदबाजों में दहशत होती है. क्योंकि कोहली अपने हिसाब से मैच का रंग बदलने की काबिलियत रखते हैं. यह बल्लेबाज उम्मीदों पर आखिरकार खरा उतरा और टीम को ट्रॉफी दिलाने में बेशकीमती योगदान दिया. इसी वजह से इस जीत को विराट कोहली को समर्पित किया गया.
18 सालों से यह बंदा बेंगलुरु की जीत के लिए मेहनत करता रहा और जब खिताब आगोश में आ गया तो वह अपने आंसुओं को थाम न सका और मैदान पर बैठकर ही रोने लगा. इस शानदार सफलता के नायक अकेले कोहली नहीं, पूरी टीम खुद है. कोहली ने कप्तानी जरूर छोड़ दी है लेकिन रजत पाटीदार के लिए वह संबल बने रहे और उन्हें परामर्श देते रहे.