हताश और आत्मविश्वास गंवा चुके खिलाड़ी का उठाया गया कदम!
By रवींद्र चोपड़े | Updated: May 11, 2025 21:20 IST2025-05-11T21:19:28+5:302025-05-11T21:20:17+5:30
रोहित ने आईपीएल के बीच में ही टेस्ट से अपने संन्यास के फैसले की घोषणा कर वाकई क्रिकेट की दुनिया को हैरत में डाल दिया है.

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चौंकाऊ फैसले करने की फितरत तो महेंद्र सिंह धोनी की थी, लेकिन रोहित शर्मा ने भी अपने पूर्ववर्ती कप्तान के नक्शेकदमों पर चलकर बुधवार की शाम टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का अचानक ऐलान कर दिया. भारत को अगले कुछ ही दिनों में इंग्लैंड के खिलाफ उसी की सरजमीं पर पांच टेस्ट मुकाबलों की अहम सीरीज खेलनी है, जो विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (डब्ल्यूटीसी) के नए चक्र की शुरुआत होगी, मगर रोहित ने आईपीएल के बीच में ही टेस्ट से अपने संन्यास के फैसले की घोषणा कर वाकई क्रिकेट की दुनिया को हैरत में डाल दिया है.
रोहित का यह विस्मयकारी निर्णय क्या एक हताश और आत्मविश्वास गंवा चुके खिलाड़ी का उठाया गया कदम प्रतीत नहीं होता? उनका बल्ला रन बनाना जैसे भूल चुका था और दुबले पर दोहरा आषाढ़ यानी इस भारतीय कप्तान ने अपनी खेलने की शैली भी बदल दी थी. टेस्ट को टी-20 के अंदाज में खेलने लगे थे. टेस्ट में हालातों से समझौता करने के बजाय, पिच के मिजाज से बेफिक्र होकर गेंदबाजों पर हावी होने का नशा उन पर था. टेस्ट दरअसल ऐसी बला और कला है जो बल्लेबाज के संयम और धैर्य का कड़ा इम्तिहान लेती है.
अगर बल्लेबाज इसे चुनौती देता है तो उसका खुद का प्रदर्शन गर्त में जा सकता है. रोहित के साथ भी यही हुआ. गेंदबाजों पर हावी होने की उनकी कोशिश दोषपूर्ण शैली बनकर रह गई और विपक्षी टीम के गेंदबाजों ने उनकी कमजोर नस को पकड़ लिया. इसके बाद रोहित के पास ज्यादा कुछ बचा नहीं था.
एक ही तरह की गलती करके रोहित बार-बार आउट होने लगे थे. अपनी तकनीक और शैली में परिवर्तन करने के बजाय रोहित आक्रामकता के अपने फलसफे पर अडिग रहे. फिर तो ऐसा हुआ कि सबसे आसानी से आउट होने वाले बल्लेबाज के तौर पर उनकी छवि बन गई. गैरजिम्मेदार बल्लेबाज का लेबल उन पर चस्पा हो गया.
रोहित के खराब प्रदर्शन का असर भारतीय टीम पर भी पड़ा और पहली बार ऐसा हुआ कि वह डब्ल्यूटीसी फाइनल में पहुंच नहीं सकी. लगातार घटिया निजी प्रदर्शन की वजह से रोहित पिछले दो साल से आलोचकों के निशाने पर थे. बल्ले की खामोशी कुछ टूट नहीं रही थी. मीडिया में भी रोहित पर काफी कुछ कहा जा रहा था.
इस बीच कोच गौतम गंभीर के साथ भी उनके रिश्ते तल्ख हो चुके थे. दोनों के संबंधों में खटास आ गई थी. कहा जाता है कि गंभीर को भारतीय टीम के मुख्य कोच बनाने के पक्ष में रोहित नहीं थे. इतना ही नहीं उनकी फिटनेस का स्तर भी लगातार गिर रहा था. हालांकि कुछ समीक्षक इसे रोहित का ‘लेजी एलिगेंस’ कहते थे.
रोहित अगर सचमुच गंभीरता दिखाते और अपनी बल्लेबाजी शैली में सुधार करते तो बल्ले से रन निकलते और कम से कम 2025 के अंत तक वह जरूर खेल सकते थे लेकिन उनका स्वभाव उथला है. कोई भी फैसला तपाक से करने का उनकी प्रवृत्ति लगती है.
वे शायद अपनी आलोचनाओं को बर्दाश्त नहीं कर सके और उद्वेलित हो गए. रोहित से ज्यादा आलोचनाएं तो विराट कोहली झेल चुके हैं लेकिन अभी भी डटे हैं मैदान में. मन की दृढ़ता की बात होती है, जिसमें रोहित शायद कमजोर निकले.