India lost Mumbai: क्रिकेट टीम का सिर्फ 18 दिनों में किला ध्वस्त होना शर्मनाक?, क्या से क्या हो गया...
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 4, 2024 05:21 AM2024-11-04T05:21:18+5:302024-11-04T05:21:18+5:30
India lost Mumbai and Mackay: टॉम लैथम की कप्तानी में कीवियों का दल भारत का उसी की धरती पर क्लीन स्वीप के साथ ‘मानमर्दन’ करके स्वदेश लौट रहा है.
India lost Mumbai and Mackay: 15 अक्तूबर 2024 तक भारतीय क्रिकेट टीम का किला इतना अभेद्य लग रहा था कि दुनिया की दो टीमें मिलकर भी शायद उसका बाल तक बांका नहीं कर सकें. 16 अक्तूबर से बेंगलुरु में उसी न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टेस्ट मुकाबलों की सीरीज का आगाज हुआ जो कुछ ही दिनों पहले श्रीलंका में बुरी तरह से धुलकर भारत पहुंची थी... और अब तारीख है तीन नवंबर 2024. केवल 18 दिनों में न्यूजीलैंड ने भारतीय क्रिकेट की बखिया उधेड़कर रख दी है. भारतीय क्रिकेट के तथाकथित अभेद्य किले को जमींदोज कर दिया है. टॉम लैथम की कप्तानी में कीवियों का दल भारत का उसी की धरती पर क्लीन स्वीप के साथ ‘मानमर्दन’ करके स्वदेश लौट रहा है. भारत का उसी की सरजमीं पर इस तरह का क्लीन स्वीप पहली बार हुआ है.
18 दिनों में ही ऐसा क्या हो गया कि भारतीय टीम को अपेक्षाकृत काफी कमजोर टीम ने दिन में तारे दिखाए? भारतीय टीम की इस शर्मनाक पराजय की मीमांसा करें तो स्पष्ट है कि हमारे बल्लेबाज ही ‘दगाबाज’ निकले. रोहित शर्मा, विराट कोहली जैसे सितारों से सजी हमारी बल्लेबाजी भ्रमणकारी टीम की गेंदबाजी के आगे फिसड्डी रही.
जैसे अस्सी और नब्बे के दशक में कहा जाता था कि भारतीय टीम की बल्लेबाजी सिर्फ कागजों पर मजबूत होती है, उसी बात को आज दोहराना पड़ रहा है. और बल्लेबाजों ने भी किसके आगे घुटने टेके! स्पिन आक्रमण के आगे, जिन्हें खेलना भारतीयों की विशेषता रही है. एजाज पटेल, मिचेल सैंटनर, ग्लेन फिलिप्स जैसे दिग्गज स्पिनर, शेन वॉर्न, मुथैया मुरलीधरन और उससे भी थोड़ा पीछे जाएं तो अब्दुल कादिर की दाल भारत में कभी नहीं गली लेकिन अब तो हालात ही बदल चुके हैं. स्पिनर ही हावी होने लगे हैं.
एक और मजेदार बात यह है कि जिस पिच पर हमारे स्पिनर निकम्मे साबित होते हैं उसी पिच पर विदेशी स्पिनर हमारे बल्लेबाजों को लपेट लेते हैं. दरअसल, डेढ़ दशक से ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड के तकरीबन सारे खिलाड़ी भारत में आईपीएल खेल रहे हैं. दो-ढाई महीने का लंबा समय यहां बिताने और अलग-अलग स्थानों पर खेलने से उन्हें पिचों की प्रकृति का पता चल गया है.
यहां की पिचें जो पहले उनके लिए कभी रहस्यमयी होती थीं, आज खुली किताब हो गई हैं. भारतीय पिचों का खौफ विदेशी टीमों के दिमाग से निकल चुका है. आईपीएल में लंबा साथ बिताने से विदेशी गेंदबाजों को भारतीय बल्लेबाजों की तकनीकी खामियों का भी पता चल चुका है. बहरहाल, न्यूजीलैंड के खिलाफ शर्मनाक और ऐतिहासिक क्लीन स्वीप भारतीय क्रिकेट के कर्ताधर्ताओं की आंखें खोलनेवाला है.
बीसीसीआई में मठाधीश बनकर बैठे लोग, जो इसे दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड बनाए रखने की जुगत में ही जुटे रहते हैं, उनके लिए यह हार सोचनेवाली है. अब उस समय को भूल जाना ही बेहतर होगा जब स्पिन अनुकूल पिचों को बनाकर हम आसानी से सीरीज जीत जाते थे. अब स्पोर्टिंग पिचें जरूरी हो चुकी हैं, वरना न्यूजीलैंड ने जो किया वही बाकी की टीमें भी करेंगी.
रोहित शर्मा को बहुत आक्रामक और सूझबूझवाला कप्तान माना जाता था लेकिन न्यूजीलैंड ने बता दिया कि भारतीयों की उनकी कप्तान के बारे में सोच महज वहम है. रोहित ने तीन मैचों की छह पारियों में केवल 91 रन बनाए और उन्हीं की पगडंडी पर चलकर कोहली ने इतनी ही पारियों में दो रन ज्यादा बनाए.
कोच गौतम गंभीर को भी सोचना चाहिए. उन्होंने अपने मनमाफिक स्टाफ चुना है. निश्चित तौर पर भारतीय क्रिकेट के कर्ताधर्ताओं के लिए यह गहन अध्ययन और चिंतन का समय है. भारत के लिए इस हार के बाद विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल की डगर बेहद मुश्किल हो चुकी है.
अब सोचिए भारतीय टीम डगमगाए आत्मविश्वास के साथ ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगी तो कैसा खेल पाएगी. ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के बयानों से जाहिर हो रहा है कि वह टीम आत्मविश्वास से भरी है. भारतीय टीम वहां कौनसे दिन क्रिकेट प्रेमियों को दिखाएगी, यह कहने का साहस करना फिलहाल मुश्किल है.