भीड़ और भगदड़: बेंगलुरु में 11 मौतों का जिम्मेदार कौन?, 18 साल से आईपीएल जीतने का सपना देख रही आरसीबी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 9, 2025 05:22 IST2025-06-09T05:22:57+5:302025-06-09T05:22:57+5:30
Bengaluru Stampede: स्टेडियम के आसपास एजेंसी रिपोर्ट्स के मुताबिक तीन लाख से ज्यादा लोग इकट्ठे हो गए, भगदड़ मच गई और 11 खेल प्रेमियों की जान चली गई.

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किरण चोपड़ा
कोई भी आयोजन हो, वहां भीड़भाड़ होना एक आम बात है. हाल ही में हमने देखा कि पिछले 18 साल से आईपीएल जीतने का सपना देख रही आरसीबी की टीम ने ट्राफी जीत ली. स्वाभाविक है कि आरसीबी के फैंस के लिए यह एक खुशी का मौका था. अब जश्न मनाना भी जरूरी था. यह टीम दक्षिण भारत के सबसे सुरक्षित राज्य कर्नाटक के बेंगलुरु शहर से जुड़ी है. वहां के चिन्नास्वामी स्टेडियम में आरसीबी के जश्न समारोह से पहले शहर में विक्टरी परेड थी लेकिन स्टेडियम के आसपास एजेंसी रिपोर्ट्स के मुताबिक तीन लाख से ज्यादा लोग इकट्ठे हो गए, भगदड़ मच गई और 11 खेल प्रेमियों की जान चली गई.
कोई सामाजिक समारोह हो या फिर जश्न समारोह, हमने भीड़ जुटाना सीख लिया है. जिनके लिए भीड़ जुटती है वो तो स्टार होेते हैं लेकिन हमने भीड़ को कंट्रोल करना नहीं सीखा. बेंगलुरु की बात करें तो राज्य सरकार ने वहां पुलिस कमिश्नर और कुछ बड़े अफसरों को सस्पेंड कर दिया है. चैम्पियन आरसीबी पर एफआईआर भी दर्ज कर दी गई है. यह क्या काफी है?
जिन परिवारों के 11 सदस्य भगदड़ का शिकार बनकर मौत का निवाला बन गए उनके दर्द को कौन दूर करेगा. हालांकि बेंगलुरु भगदड़ में मृतकों के परिजनों को आरसीबी ने 10-10 लाख रुपए मुआवजा दिए जाने का ऐलान किया है. यह मानवता का एक उदाहरण तो हो सकता है लेकिन जिन लोगों के यहां मौत हुई है उनके गम की भरपाई नहीं हो सकती.
जहां 40-50 हजार की जगह हो वहां तीन या चार लाख लोग नहीं उमड़ने चाहिए. आखिरकार व्यवस्था और जिम्मेवारी तो बनती है. वह कर्नाटक सरकार हो या कोई अन्य प्रशासन हो, आपको उचित व्यवस्था करनी ही होगी. हमारे देश में चाहे कुंभ का मेला हो या अन्य धार्मिक आयोजन, भीड़ उमड़ती है और कई बार भगदड़ मचने की खबरें सुर्खियां बनती हैं.
कुल मिलाकर इस प्रवृत्ति पर रोक जरूरी है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से ऐसे मौकों पर जाने से ही बचना चाहिए क्योंकि आज के जमाने में सब सुविधाएं टीवी पर मिल जाती हैं. लेकिन धार्मिक, सामाजिक या राजनीतिक या फिर खेल आयोजनों के प्रति लोग अपने प्रेम, अपनी दीवानगी, अपने जुनून को रोक नहीं पाते.
इस मामले में माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को भीड़भाड़ में जाने से बचाएं. सारा आईपीएल भीषण गर्मी में चला है, हालांकि देश में कभी हॉट वेदर टूर्नामेंट चला करते थे. गर्मियों में और भी आयोजन चलते हैं. पूरे आईपीएल के दौरान लोगों की भीड़ स्टेडियमों में उमड़ती रही. अगर भीड़ ही सफलता का पैमाना है तो सुरक्षा भी बहुत जरूरी है.
इस हादसे से एक सबक लिया जाना चाहिए और भविष्य में कभी भी खेल आयोजन के अलावा अन्य सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों में भी भीड़ बेकाबू न हो इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, क्योंकि भावनाओं का सैलाब अगर कंट्रोल में रहे तो अच्छा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में ऐसे हादसे होने से रोकने के लिए उचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी.