अयाज मेमन का कॉलम: विश्व टेस्ट चैंपियनशिप खतरे में
By अयाज मेमन | Published: April 22, 2020 12:48 PM2020-04-22T12:48:22+5:302020-04-22T12:48:22+5:30
फिलहाल अंक तालिका पर नजरें डालने पर भारत और ऑस्ट्रेलिया का फाइनल में प्रवेश लगभग तय माना जा रहा है. यदि वर्तमान सत्र एक भी मैच नहीं खेला गया तो अहम सवाल यह होगा कि अगले वर्ष कितने मुकाबले खेले सकेंगे.
पिछले कुछ दिनों से क्रिकेट प्रेमियों की जुबां पर आईपीएल के आयोजन को लेकर चर्चा है. साथ ही इन क्रिकेट के चहेतों को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप के आयोजन को लेकर चर्चा करते सुना जा सकता है. लेकिन इन चर्चाओं के बीच विश्व टेस्ट चैंपियनशिप पर किसी का ध्यान नहीं है.
पिछले वर्ष से इसका आगाज हुआ जिसका खिताबी मुकाबला 2021 में लॉर्ड्स पर खेला जाना था. लेकिन कोरोना संकट के चलते ऐसा होता नहीं दिख रहा है. यदि ऐसा होता है तो दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमियों के लिए यह एक और झटका माना जाएगा.
इसकी वजह दो हैं. एक- आर्थिक रूप से आईसीसी को नुकसान और दूसरी खिलाडि़यों की मेहनत. साथ ही खेल के इस प्रारूप पर आश्रित खिलाड़ी और टीमों के प्रशिक्षकों का भविष्य. फिलहाल पूरे क्रिकेट जगत में खेल गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं. इसी बीच पाकिस्तान जैसे देश ने दोबारा इस प्रारूप के मुकाबले कराने की मांग की है. इसकी वजह यह बताई जा रही है कि सभी देशों को बराबरी का मौका मिल सकेगा.
अंक तालिका में भारत 9 मुकाबलों से 360 अंक लेकर टॉप पर चल रहा है. ऑस्ट्रेलिया 296 अंकों के साथ दूसरे क्रम पर है जिसने 3 सीरीज में कुल दस टेस्ट खेले हैं. इसके बाद क्रम आता है न्यूजीलैंड (3 सीरीज, 7 मुकाबले, 180 अंक) का आता है. निचले क्रम पर नजर डालने पर पाकिस्तान (2 सीरीज से 5 मैच), श्रीलंका (2 सीरीज से 4 मैच), विंडीज (एक सीरीज), दक्षिण अफ्रीका (2 सीरीज) और बांग्लादेश (एक सीरीज) की टीमें आती है. जाहिर ये निचले क्रम की ज्यादातर टीमें इस प्रणाली से नाराज हैं. लिहाजा आईसीसी बैठक में वह सीरीज कराने की मांग कर सकती हैं.
असल में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप में सभी को बराबरी के अवसर मिलने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. ऐसा नहीं सभी को बराबरी के मुकाबले खेलने का मौका नहीं मिल पाया लेकिन 'होम' और 'अवे' मुकाबले के बीच संतुलन नहीं साधा गया. साथ ही प्रत्येक सीरीज में मुकाबलों की संख्या में एक-समान होन चाहिए थी. इसी से स्पर्धा का तकनीकी स्वरूप भी बिगड़ता गया. फिलहाल अंक तालिका पर नजरें डालने पर भारत और ऑस्ट्रेलिया का फाइनल में प्रवेश लगभग तय माना जा रहा है. यदि वर्तमान सत्र एक भी मैच नहीं खेला गया तो अहम सवाल यह होगा कि अगले वर्ष कितने मुकाबले खेले सकेंगे.
ऐसे में शेष टीमों के लिए स्थितियां मुश्किल भरी हो जाएंगी. लिहाजा, पाकिस्तान जैसे क्रिकेट बोर्ड की मांग जायज दिखाई देती है. मेरा मानना है कि स्पर्धा को रद्द न करते हुए इसके स्वरूप को बदलने की जरूरत है. क्योंकि, मूल रूप से विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की योजना ही शानदार है.