अयाज मेमन का कॉलम: श्रेयस अय्यर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ प्रतीभा के साथ दिखाई परिपक्वता
By अयाज मेमन | Published: January 25, 2020 09:22 AM2020-01-25T09:22:43+5:302020-01-25T09:22:43+5:30
भारत की ओर से श्रेयस अय्यर ने 29 गेंदों में 5 चौके और तीन छक्के की मदद से नाबाद 58 रन बनाए, जबकि केएल राहुल ने 56 रनों की पारी खेली।
न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टी-20 मुकाबले में श्रेयस अय्यर के लाजवाब अर्धशतक को अगर कोई संकेत माने तो वह भारतीय क्रिकेट की बल्लेबाजी का भविष्य हो सकता है। अय्यर ने मैदान में तब कदम रखा जब भारतीय टीम राहुल, विराट और दुबे का विकेट गंवाकर संघर्ष कर रही थी। रोहित शर्मा भी जल्द ही लौट गए थे। राहुल तथा कोहली के बीच 99 रन की साझेदारी टूटते ही मुकाबला न्यूजीलैंड के पक्ष में झुकता नजर आ रहा था।
ईडन पार्क की पीच सपाट है और सीमा रेखा बहुत छोटी है, जिससे 204 रन का लक्ष्य कठिन नहीं था। लेकिन राहुल के आउट होने के बाद ऐसा लग रहा था कि पीच का रवैया बदल सा गया है। अग्रिम पंक्ति के बल्लेबाज डग आउट में लौट चुके थे। यह तो श्रेयस अय्यर थे, जिन्होंने अपनी बेमिसाल प्रतिभा के साथ ही परिपक्वता दिखाई। उन्होंने अच्छी गेंदों का सम्मान किया और एक रन के लिए उन्हें खेलते गए और जो खराब गेंदें थीं उन्हें चौके के लिए भेजा।
जैसे ही अय्यर जम गए उन्होंने ताबड़तोड़ पारी खेली। उन्हें बल्लेबाजी करता देख क्रिकेट के विशेषज्ञ और दर्शक ऊह...आह... करते रहे। अय्यर को आक्रामक बल्लेबाजी करता देख दूसरे छोर पर मनीष पाण्डेय शांत रहे। अय्यर ने टिम साउदी तक को नहीं बख्शा। उन्होंने खूबसूरत टाइमिंग और प्लेसमेंट दिखाई। भारत के जीत जाने के बाद भी एक ओर बाकी ही था जिससे मेहमान टीम का दबदबा जाहिर होता है।
अय्यर के अलावा भारत की इस जीत में कई और भी महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं। लक्ष्य का पीछा करते हुए रोहित का विकेट गिरने के बाद राहुल और कोहली ने न सिर्फ हालातों के अनुरूप बल्लेबाजी की बल्कि जीत के लिए आवश्यक रन रेट को भी कायम रखा। यहां मैं विशेष रूप से राहुल का जिक्र करना चाहूंगा। वह खराब दौर से गुजरे हैं, लेकिन अब उनके पास अनुभव है।
घरेलू सत्र में राहुल न सिर्फ रनों के भूखे दिखे, बल्कि हर क्रमांक पर उन्होंने उतरकर रन जुटाए। ऋषभ पंत को चूंकि चुना नहीं गया इसलिए राहुल विकेट कीपर-बल्लेबाज के तौर पर पहली पसंद थे। टीम के नजरिए से यह अहम था, क्यों कि इससे कप्तान तथा प्रबंधन को अंतिम एकादश में बल्लेबाजों या गेंदबाजों के लिए अधिक विकल्प मिले।
गेंदबाजों की अगर बात करें तो सपाट पिच पर भी जसप्रीत बुमराह काफी कंजूस साबित हुए और उन्होंने दिखा दिया कि वे सीमित ओवरों के प्रारुप में क्यों दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज हैं। बल्लेबाजों की मुफीद पीच के बावजूद युजुवेंद्र चहल तथा रवींद्र जडेजा प्रभावी रहे। उन्होंने गुप्टिल, मुनरो, विलियम्सन और टेलर द्वारा तूफानी गति से रन बनाने के बावजूद भारत को मैच में वापस लाया।
बहरहाल भारतीय टीम को एक क्षेत्र ऐसा है जिसपर ध्यान देने की जरूरत है और वह है क्षेत्ररक्षण। कैचिंग तथा मैदानी क्षेत्ररक्षण स्तरीन नहीं था, जिससे न्यूजीलैंड को 200 से अधिक रन बनाने में मदद मिली।