वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: आर्थिक मंदी का क्या है कारण?
By वेद प्रताप वैदिक | Published: December 2, 2019 12:59 PM2019-12-02T12:59:24+5:302019-12-02T12:59:24+5:30
नरेंद्र मोदी का नेतृत्व पूरे दमखम से बरकरार है. फिर क्या वजह है कि अर्थव्यवस्था में निरंतर गिरावट बढ़ती चली जा रही है?
अभी महाराष्ट्र में लगा घाव हरा ही था कि भाजपा सरकार को अब एक और गंभीर चोट लग गई. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछली तिमाही में भारत की विकास-दर जितनी गिरी है, उतनी पिछले छह साल में कभी नहीं गिरी. इस बार देश की जीडीपी घटकर सिर्फ4.5 प्रतिशत रह गई है.
ऐसा नहीं है कि भारत की विकास दर हमेशा ऊंची ही उठती रही है. आजादी के बाद वह कई बार नीचे गिरी है लेकिन उसके पीछे कई अपरिहार्य कारण रहे हैं. जैसे भारत-चीन युद्ध, भारत-पाक युद्ध, भयंकर अकाल, विदेशी मुद्रा में भुगतान का असंतुलन आदि. लेकिन इस बार ऐसा कोई कारण नहीं है. इसके अलावा केंद्र की सरकार में किसी प्रकार की कमजोरी या अस्थिरता भी दिखाई नहीं पड़ रही है.
नरेंद्र मोदी का नेतृत्व पूरे दमखम से बरकरार है. फिर क्या वजह है कि अर्थव्यवस्था में निरंतर गिरावट बढ़ती चली जा रही है? वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण द्वारा बड़े उद्योगों को दी गई रियायतों और बैंक-व्यवस्था में सुधार के बावजूद हमारी अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती क्यों जा रही है? विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुमान भी सही क्यों नहीं बैठ पा रहे हैं?
लाखों मजदूर और किसान बेरोजगार हो गए हैं, बड़ी-बड़ी कंपनियां अपना माल आधे दाम पर बेचने को बेताब हैं, दिवाली पर बाजारों में रौनक भी नहीं दिखी और सरकार भी परेशान है कि उसके पास बुनियादी ढांचा खड़ा करने के लिए पैसा नहीं है. इसका कारण क्या है?
अर्थशास्त्नी कहते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी लागू करते वक्त सरकार ने जल्दबाजी कर दी. माना कि नेता लोग आर्थिक बारीकियों को ठीक से नहीं समझते लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि इन मामलों में वे किनसे सलाह लें.
चाहे अर्थ नीति हो या विदेश नीति या समर नीति- जब तक आप खुद विशेषज्ञों से परामर्श नहीं करेंगे, वे आपकी खुशामद के लिए आगे क्यों आएंगे? यहां मैं यह भी कहना चाहता हूं कि डॉ. मनमोहन सिंह जैसे कई अन्य अर्थशास्त्नी सरकार की आलोचना तो मुक्तकंठ से कर रहे हैं लेकिन वे कोई ठोस समाधान क्यों नहीं सुझाते? आखिर यह देश उनका भी है.