अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का सार्थक पहलू भी देखें

By भरत झुनझुनवाला | Published: October 19, 2018 06:09 AM2018-10-19T06:09:55+5:302018-10-19T06:09:55+5:30

तर्क है कि अमेरिका द्वारा स्टील, एल्युमीनियम तथा अन्य कच्चे माल पर आयात कर बढ़ाए जाने से अमेरिकी उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ेगी। उन्हें कच्चा माल महंगा खरीदना पड़ेगा। इससे अमेरिकी उद्योग दबाव में आएंगे। साथ-साथ चीन और भारत जैसे देशों के माल का निर्यात भी कम होगा। फलस्वरूप इनकी अर्थव्यवस्था डगमगाएगी।

US-China Trade War: See the meaningful aspects also | अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर का सार्थक पहलू भी देखें

सांकेतिक तस्वीर

वर्तमान में अमेरिका और चीन में चालू ट्रेड वॉर को लेकर मध्यधारा अर्थशास्त्रियों द्वारा आशंका जताई जा रही है कि यह वैश्विक मंदी में पलट सकता है। तर्क है कि अमेरिका द्वारा स्टील, एल्युमीनियम तथा अन्य कच्चे माल पर आयात कर बढ़ाए जाने से अमेरिकी उद्योगों की उत्पादन लागत बढ़ेगी। उन्हें कच्चा माल महंगा खरीदना पड़ेगा। इससे अमेरिकी उद्योग दबाव में आएंगे। साथ-साथ चीन और भारत जैसे देशों के माल का निर्यात भी कम होगा। फलस्वरूप इनकी अर्थव्यवस्था डगमगाएगी।

अमेरिकी कंपनियों को कच्चा माल उपलब्ध नहीं होगा जिससे उन पर पुन: दबाव पड़ेगा। इस प्रकार अमेरिका, भारत और चीन सभी देशों के उद्योग दबाव में आएंगे। उनका आत्मविश्वास घटेगा और वे निवेश करना बंद कर देंगे। अमेरिका विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था होने से वहां आने वाली मंदी का वैश्विक फैलाव हो जाएएगा और विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी छा जाएगी।

पहला बिंदु

मेरी समझ से इस विचार के विपरीत बिल्कुल अलग परिणाम हो सकते हैं। ऊपर के तर्को का बिंदुवार वैकल्पिक विश्लेषण मैं देना चाहूंगा। पहला बिंदु है कि अमेरिका द्वारा कच्चे माल पर आयात कर बढ़ाने से अमेरिका के उद्योग दबाव में आएंगे। लेकिन कच्चे माल के साथ-साथ दूसरे उत्पादित माल पर भी अमेरिका द्वारा आयात कर बढ़ाए जा रहे  हैं। मान लीजिए मैक्सिको और कनाडा से आयात होने वाली कारों पर अमेरिका ने आयात कर बढ़ा दिए।

ऐसा करने से आयातित कारों का मूल्य अमेरिका में बढ़ जाएगा। अमेरिका में कारों का उत्पादन बढ़ेगा। मेरे एक जानकार ने बताया कि बीते समय में ट्रम्प द्वारा निर्देश दिए गए हैं कि लोहे के ढले हुए माल का आयात करने के स्थान पर इनका उत्पादन अमेरिका में ही किया जाए। वे पहले चीन से ढले हुए माल का आयात करते थे। उनका धंधा लगभग चौपट हो गया है क्योंकि ढला हुआ माल अब अमेरिका में उत्पादित होने लगा है। इसलिए आयात कर बढ़ाने से कच्चे माल का दाम अवश्य बढ़ता है लेकिन साथ-साथ अमेरिका में घरेलू उत्पादन भी बढ़ेगा जो कि अमेरिका के लिए हितकारी होगा। 

दूसरा बिंदु 

दूसरा बिंदु है कि अमेरिका द्वारा आयात कर बढ़ाने से भारत और चीन के निर्यात प्रभावित होंगे, साथ ही इनकी अर्थव्यवस्थाओं में भी मंदी का प्रवेश होगा। यह बात सही है कि भारत और चीन के निर्यात प्रभावित होंगे। लेकिन भारत के निर्यात कम और आयात ज्यादा हैं। अत: निर्यात में जो गिरावट होगी उससे ज्यादा आयात में गिरावट आएगी।

जैसे अमेरिका ने भारत से निर्यातित स्टील पर आयात कर बढ़ा दिए उससे भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले स्टील की मात्र में गिरावट आई। लेकिन साथ-साथ भारत यदि अमेरिका से आयातित अखरोट और सेब के ऊपर आयात कर बढ़ा देता है तो इनका आयात कम हो जाएगा और भारत में इनका उत्पादन बढ़ेगा। अत: ट्रेड वॉर से उन देशों को लाभ होगा जो विदेशी निर्यात पर कम आश्रित हैं, और उनको नुकसान होगा जो निर्यात पर ज्यादा आश्रित हैं।  अत: यह आशंका निमरूल है कि विदेश व्यापार के कम होने से सभी देशों को नुकसान होगा। 

तीसरा बिंदु 

तीसरा बिंदु है कि सभी देशों में ट्रेड वॉर के कारण कच्चा माल महंगा हो जाएगा। सीधे देखा जाए तो यह बात सही है। लेकिन कच्चे माल के विकल्प उपलब्ध होते हैं। जैसे यदि अमेरिका को भारत से निर्यातित एल्युमीनियम नहीं मिलेगा तो वहां एल्युमीनियम के दरवाजे बनाने के स्थान पर प्लास्टिक के दरवाजे बनाए जाएंगे। प्लास्टिक के दरवाजे बनाने से अमेरिका में रोजगार ज्यादा उत्पन्न होंगे। इसलिए कच्चे माल का सीधा प्रभाव नकारात्मक पड़ने के बावजूद कुल प्रभाव नकारात्मक नहीं होगा। 

चौथा बिंदु 

चौथा बिंदु है कि ट्रेड वॉर के कारण सभी देशों के उद्यमियों में आत्मविश्वास की गिरावट आएगी। इस तर्क को सीधे स्वीकार नहीं किया जा सकता। सच यह नहीं है। हम देख रहे हैं कि अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रम्प के सत्तारूढ़ होने के बाद आयात कर बढ़ाए गए लेकिन अमेरिका की अर्थव्यवस्था की गति बढ़ी है। अमेरिकी उद्यमियों में अत्मविश्वास बढ़ा है, यह घटा नहीं है। कारण यह कि संरक्षणवाद को अपनाने से घरेलू उद्योगों को आयात से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी पड़ती है।   

पांचवां बिंदु 

अंतिम पांचवां बिंदु है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था में आई मंदी का वैश्विक स्तर पर फैलाव हो सकता है। लेकिन जैसा ऊपर बताया गया है कि यही संदिग्ध है कि अमेरिका में मंदी आएगी। इसके अलावा यदि यह फैलाव होता भी है तो यह उन देशों को होगा जो अमेरिका को किए गए निर्यात पर ज्यादा निर्भर हैं जैसे चीन द्वारा अमेरिका को निर्यात ज्यादा और आयात कम किए जाते हैं। तुलना में भारत द्वारा अमेरिका को निर्यात कम और वहां से आयात ज्यादा किए जाते हैं। अत: संरक्षणवाद अपनाने से भारत को लाभ होगा।

Web Title: US-China Trade War: See the meaningful aspects also

कारोबार से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे