Union Budget Rail 2024 Live: उम्मीदों की पटरी से फिसलती भारतीय रेल, रेलवे की कुल आमदनी 278500 करोड़ होने का अनुमान
By अरविंद कुमार | Published: July 24, 2024 11:25 AM2024-07-24T11:25:02+5:302024-07-24T11:26:37+5:30
Union Budget Rail 2024 Live: सामान्य राजस्व से 2,52,000 करोड़ की राशि मिलेगी, पर आंतरिक संसाधनों से रेलवे महज 3000 करोड़ रु. जुटा सकेगा क्योंकि भारी कमाई के साथ भारी व्यय भी बरकरार है और आंतरिक संसाधनों की दशा चिंताजनक है.
Union Budget Rail 2024 Live: 2024-25 में भारतीय रेल मुसाफिरों से करीब 80,000 करोड़ रुपए और माल ढुलाई से 174500 करोड़ की कमाई करेगी. विभिन्न शीर्षों में रेलवे की कुल आमदनी 2,78,500 करोड़ रु. होने का अनुमान है. 2022-23 से इन दोनों क्षेत्रों में भारतीय रेल की कमाई काफी अधिक बढ़ी है. धन आवंटन और अन्य तथ्यों को देखें तो बेशक आंकड़े सुखद दिखते हैं. रेलवे का सकल राजस्व व्यय 2023-24 में 2,58,600 करोड़ रु. था. 2024-25 में 2,78,500 करोड़ रु. का अनुमान है. बजट अनुमान 2024-25 में पूंजीगत व्यय 2,65,200 करोड़ रु. है.
इसमें सामान्य राजस्व से 2,52,000 करोड़ की राशि मिलेगी, पर आंतरिक संसाधनों से रेलवे महज 3000 करोड़ रु. जुटा सकेगा क्योंकि भारी कमाई के साथ भारी व्यय भी बरकरार है और आंतरिक संसाधनों की दशा चिंताजनक है. 2024-25 में केंद्र सरकार के कुल व्यय 4830512 करोड़ में से परिवहन क्षेत्र के हिस्से में 544128 करोड़ आया है.
इस लिहाज से देखें तो रेलवे को ठीकठाक धन मिला है. पर आम नागरिकों को यह बजट निराश कर गया. उम्मीद थी कि इस बजट में वित्त मंत्री कुछ अहम ऐलान के साथ रेलवे में सुरक्षा और संरक्षा के हक में कुछ ठोस ऐलान करेंगी और आम मुसाफिरों के हक में कुछ अहम फैसले होंगे, वरिष्ठ नागरिकों, मीडिया और अन्य क्षेत्रों की कोविड-19 के बाद से बंद रियायतें बहाल होंगी.
लेकिन इस तरफ ध्यान नहीं दिया गया. ताजा आंकड़ों के मुताबिक 68,584 रूट किमी में फैला विशाल भारतीय रेल नेटवर्क 12.54 लाख कर्मचारियों के साथ देश की लाइफ लाइन है. भारतीय रेल रोज ऑस्ट्रेलिया की आबादी के बराबर मुसाफिरों को ढोते हुए देश का सबसे बड़ा नियोजक और परिवहन का मुख्य आधार स्तंभ बनी हुई है.
लेकिन बालासोर जैसी भयानक रेल दुर्घटना के बाद भारतीय रेल में सुरक्षा और संरक्षा पर चिंता बढ़ गई है. एक लाख करोड़ रुपए के संरक्षा कोष के बाद भी चुनौतियां कायम हैं. भारतीय रेल की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय रेल योजना में 2024 तक भीड़भाड़ वाले मार्गों का संकुचन हटाने, दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर 160 किमी प्रति घंटा और अन्य स्वर्णिम चतुर्भुज और स्वर्णिम विकर्ण मार्गों पर 130 किमी प्रतिघंटा की गति के साथ सभी स्तर के क्रॉसिंगों की समाप्ति की दिशा में अपेक्षित काम नहीं हो सके हैं. 2024 तक 2024 मिलियन टन माल ढुलाई भी सपना ही साबित हुआ.
दिसंबर 2021 तक डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पूरा होना था, वह भी लेटलतीफी का शिकार रहा. चालू परियोजनाओं के लिए भारी रकम की दरकार है. भारतीय रेल रोज 12 हजार से अधिक सवारी और 9146 माल गाड़ियों का संचालन करती है. 15 फरवरी 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को जोड़ने वाली पहली वंदे भारत एक्सप्रेस के शुभारंभ के बाद से भारतीय रेल का एक नया युग आरंभ हुआ. वंदे भारत ने बहुत सुर्खियां बंटोरी हैं, पर गति के दावे से लेकर बहुत से मामलों में इसे अपना जौहर अभी दिखाना बाकी है.
इसी तरह हमारी पहली बुलेट ट्रेन जिसे 15 अगस्त 2022 तक शुरू हो जाना था, वह भी देरी का शिकार हो गई. रेलवे पूरे देश में एक जैसी दशा में नहीं है. इसके उच्च यातायात घनत्व वाले 7 कॉरिडोरों पर सबसे अधिक दबाव है, जो 11 हजार किमी है. यह भारतीय रेल के कुल नेटवर्क का करीब 16% है, जिस पर 41% माल ढोया जाता है.
वहीं 11 अति व्यस्त मार्गों की लंबाई 24,230 किमी है जो 40% यात्री यातायात संभालता है. नौ खंडों का भारतीय रेल नेटवर्क का आधा बनते हैं और इनका 100% से अधिक क्षमता उपयोग हो रहा है. क्षमता से डेढ़ गुना से अधिक उपयोग होना सुरक्षा चिंताएं बढ़ाता है. रेलवे के पास मुसाफिरों की कमी नहीं.
पर गरमी की छुट्टियां, होली, दिवाली, ईद और दूसरे त्योहारों और मेलों में विशेष रेलगाड़ियां चला कर भी भीड़ संभाल पाने में अक्षम साबित हो रही है. भारतीय रेल थोड़ा ध्यान दे तो सुरक्षित, समय की पाबंद और आरामदायक सार्वजनिक परिवहन के तौर पर वह अपना विशिष्ट स्थान बना सकती है, पर इसके लिए बहुत कुछ करने की दरकार है.